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मनीषा कोइराला ने नक्‍शे पर किया था नेपाल का समर्थन, अब स्‍वराज कौशल ने दिया ये जवाब | swaraj kaushal tweets against manisha koirala over nepal lipulekh kalapani controversy | nation – News in Hindi

नई दिल्‍ली. नेपाल (Nepal) ने हाल ही में नया नक्शा जारी करके कालापानी-लिपुलेख (kalapani lipulekh) को अपना बताया है. इस कारण भारत और नेपाल के बीच पिछले कुछ दिनों से विवाद बढ़ गया है. वहीं नेपाल की रहने वाली बॉलीवुड एक्ट्रेस मनीषा कोइराला (Manisha Koirala) ने भी इस मुद्दे पर नेपाल का समर्थन किया. अब दिवंगत बीजेपी नेता सुषमा स्‍वराज के पति स्‍वराज कौशल (Swaraj Kaushal) ने मनीषा कोइराला और नेपाल को लेकर कई ट्वीट करके निशाना साधा है.

नेपाली मूल की बॉलीवुड एक्‍ट्रेस मनीषा कोइराला (Manisha Koirala) ने नेपाल सरकार के इस कदम का समर्थन करते हुए ट्वीट किया था. उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा था, ‘हमारे छोटे से देश का गौरव रखने के लिए शुक्रिया. मैं सभी तीन महान देशों के बीच शांतिपूर्ण और सम्मानजनक बातचीत की उम्मीद करती हूं.’

 

अब स्‍वराज कौशल ने ट्वीट किया है, ‘मनीषा कोइराला मैंने हमेशा तुम्‍हें अपनी बच्‍ची जैसा माना है. मैं तुमसे बहस नहीं कर सकता. तुमने हमें अपनी फिल्‍म 1942- अ लव स्टोरी के प्रीमियर पर आमंत्रित किया था. मैं फिल्म के लिए नहीं रुक पाया था, जबकि सुषमा स्‍वराज ने पूरी फिल्म देखी थी.’

उन्‍होंने अगले ट्वीट में कहा, ‘यह 27 साल पहले की बात है. 1977 में तुम लोग दिल्‍ली के साउथ एक्‍सटेंशन में थे. तुम साकेत के एपीजे स्कूल में पढ़ती थीं. तुम्हारे पिता प्रकाश कोइराला मेरे भाई की तरह हैं और तुम्हारी मां सुषमा कोइराला मेरी भाभी और दोस्त रही हैं. हमने बहुत सा मुश्किल वक्त एक साथ काटा है.’

स्वराज कौशल ने आगे कहा, ‘तुम्हारे दादा बीपी कोइराला को जब एम्स में कैंसर का पता चला तो उस वक्त मैं उनके साथ ही था. मुझे तुम्हारे परिवार की गौरवशाली परंपरा के बारे में पता है. तुम्हारे दादा बीपी कोइराला, उनके ही नाम वाले उनके भाई बीपी कोइराला और सबसे छोटे भाई जीपी कोइराला तीनों नेपाल के प्रधानमंत्री बने. तुम्हारी चाची और मेरी दोस्त शैलजा आचार्या भी नेपाल की उप प्रधानमंत्री बनी थीं.’

उन्‍होंने कहा, ‘1973 में मैं भी नेपाल में कई हफ्तों तक रहा था और राजमहल की तह तक पहुंचा था. हम लोकतंत्र के तुम्हारे संघर्ष में साथ थे. तब वहां भारत और भारतीयों के लिए कुछ नहीं था. राजा से जब आपका समझौता हो गया तो हमने और कुछ नहीं मांगा. लेकिन हमने एक सांसद के तौर पर आपके विचारों को सुना तो परेशान थे लेकिन फिर सोचा कि ये नेपाल की राजनीति की बाध्यताएं हैं.’

स्‍वराज कौशल ने कहा, ‘भारतीयों को यह बात पता होनी चाहिए कि दुनिया के इकलौते हिंदू राष्ट्र को खत्म करने के लिए साजिशें हो रही थीं. उन्होंने माओवादियों के साथ हाथ मिलाया था और हिंदू राष्ट्र को तबाह कर दिया. उनका मिशन पूरा हो गया था.’

उन्होंने आगे कहा, ‘इन सबका नतीजा ये हुआ था कि अब कम्युनिस्ट भारत के खिलाफ चीन का इस्तेमाल कर रहे हैं और चीन भारत के खिलाफ कम्युनिस्टों का इस्तेमाल कर रहा है. पारंपरिक तौर पर चीन की भारत की सीमा हिमालय तक थी लेकिन अब भारत के साथ चीन की सीमा बीरगंज तक सिमट गई है.’

उन्‍होंने कहा, ‘भारत को नेपाल से शिकायतें हो सकती हैं और नेपाल के भारत के साथ गंभीर मुद्दे हो सकते हैं लेकिन ये भारत और नेपाल के बीच का मामला है. तुम इसमें चीन को कैसे ला सकती हो? ये सबके लिए बुरा है. नेपाल के लिए भी ये अच्छा नहीं है.’ उन्‍होंने कहा, ‘तुम चीन को बीच में लाकर हमारे बीच के हजारों साल पुराने रिश्‍ते को बर्बाद कर रही होती हो. तुम हमारी समान विरासत को नष्‍ट कर रही हो. सबसे अहम बात कि तुम अपने ही देश की संप्रभुता की स्थिति को कमजोर कर रही हो.’

अंत में स्‍वराज कौशल ने कहा, ‘हमें एक बहुत बड़े ताले की जरूरत है. ऐसे बोलने वालों के मुंह बंद कर देने की जरूरत है. इससे पहले कि वे पड़ोसी देशों के साथ हमारे रिश्‍तों को खत्‍म करें, हमें उनके मुंह बंद कर देने चाहिए.’



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