आर्थिक पैकेज पर्याप्त नहीं, मजदूरों को तेल और सब्जी खरीदने के लिए कैश चाहिए: रघुराम राजन – Raghuram Rajan says migrant workers need money for vegetables cooking oil shelter foodgrains not enough | business – News in Hindi
उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया के सामने अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर आपातकाल की स्थिति है. ऐसे में कोई भी रिसोर्स भी पर्याप्त नहीं होगा.
अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए उठाने होंगे कई कदम
वरिष्ठ पत्रकार करण थापर को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि भारत के नजरिए से यह स्थिति विशेष है, क्योंकि कई सालों से हमारी अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. ग्रोथ धीमा हो गया है, वित्तीय घाटा बढ़ गया है. अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए हमें और भी बहुत कुछ करना होगा.’अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) में चीफ इकोनॉमिस्ट के तौर पर काम कर चुके राजन ने कहा कि लोगों और कंपनियों को राहत देने के लिए रास्ते तलाशने होंगे. उनपर कोरोना वायरस की सबसे ज्यादा मार पड़ी है.
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अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए लोगों को बचाना होगा
राजन ने आगे कहा, ‘हमें अर्थव्यवस्था में उन जगहों पर विशेष ध्यान देना होगा, जहां ध्यान देने की जरूरत है. इसमें बड़ी कंपनियां, बैंक और MSME शामिल हैं. हमें रिकवरी के लिए प्रोत्साहन के साथ रिफॉर्म्स की भी जरूरत है.’ राजन का मानना है कि आर्थिक पैकेज में रिकवरी के लिए पर्याप्त रिसोर्सेज का आवंटन नहीं हुआ है. प्रवासी मजदूरों को केवल अनाज की नहीं बल्कि पैसों की भी जरूरत है. उन्होंने कहा कि इन मजदूरों को अनाज के अलावा सब्जी, कुकिंग ऑयल और सबसे जरूरी पैसे चाहिए. राजन ने कहा कि अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए सबसे पहले लोगों को बचाना होगा. इन मजूदरों को और ज्यादा अनाज के साथ पैसे भी भेजने की जरूरत है.
विपक्ष में बैठे टैलेंट की भी मदद लें
पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, राजन ने कहा कि सरकार विपक्षी पार्टियों में कुछ बेहतर लोगों से भी सुझाव लेना चाहिए, क्योंकि इस तरह के तबाही से प्रधानमंत्री कार्यालय केवल अकेले नहीं लड़ सकता है. सरकार को राजनीतिक नजरिए से आगे बढ़कर इस समस्या का रास्ता निकालना चाहिए. उन्होंने कहा कि स्थिति बेहद चिंताजनक है और पीएमओ अकेले इसे हैंडल नहीं कर सकेगा.
रेटिंग एजेंसियों की चिंता छोड़े सरकार
जब उनसे इस इंटरव्यू में पूछा गया कि आज से एक साल अर्थव्यवस्था की स्थिति क्या होगी तो उन्होंने जवाब दिया कि अगर आगे उपाय नहीं किए गए तो दबाव बहुत बढ़ जाएगा. उन्होंने कहा कि सरकार को रेटिंग एजेंसियों की चिंता नहीं करनी चाहिए. भले ही वित्तीय घाटे पर दबाव बढ़ेगा लेकिन यह अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए होगा.
इन एजेंसियों को कहा जा सकता है कि खर्च में बढ़ोतरी अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए जरूरी है लेकिन जैसे ही अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट जएगी, वैसे ही वित्तीय घाटे को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
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MSME पर बढ़ेगा कर्ज का बोझ
आर्थिक राहत पैकेज में अधिकतर प्रावधान क्रेडिट देने का है. इस पर राजन ने कहा कि लोन का असर दिखने में समय लगता है. दूसरी तरफ, भूख एक ऐसा संकट है जिसके लिए तत्काल कदम उठाना होता है. एमएसएमई को क्रेडिट सुविधा मुहैया कराने पर उन्होंने कहा कि इस सेक्टर पर पहले ही सबसे ज्यादा कर्ज है. ऐसे में अब उन पर कर्ज का बोझ और भी बढ़ जाएगा.
लॉकडाउन की वजह से एयरलाइंस, टूरिज्म, कार निर्माता और कंस्ट्रक्शन सेक्टर पर सबसे अधिक असर पड़ा है. इसको लेकर राज ने कहा कि भारत में अमेरिका की तरह राहत पैकेज का ऐलान संभव नहीं है. भारतीय एयरलाइंस कंपनियों को सरकार द्वारा कर्ज में राहत मिलनी चाहिए.r
फाइनेंशियल सेक्टर को लेकर उन्होंने कहा कि कोरोना संकट से पहले ही यह बुरे दौर से गुजर रहा था. फाइनेंशियल सेक्टर में रिस्ट्रक्चरिंग, रिकैपिटलाइजेशन की जरूरत है.
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