आर्थिक पैकेज को लेकर अर्थशास्त्रियों का क्या कहना है? जानें कितना होगा अर्थव्यवस्था पर असर – economists say stimulus package will benefit in long term may lead to rise in inflation | business – News in Hindi
महंगाई बढ़ने की संभावना
अर्थशास्त्रियों ने यह भी कहा है कि जिस प्रकार से मजदूरों का पलायन हो रहा है और बड़ी संख्या में कामगार काम धंधे वाले राज्यों से निकलकर अपने गृह राज्यों में जा रहे हैं, उससे आने वाले समय में आपूर्ति श्रृंखला गड़बड़ा सकती है और महंगाई बढ़ सकती है.
नेशनल काउंसिल आफ एपलायड इकोनोमिक रिसर्च (NCAER) के प्रोफेसर सुदीप्तो मंडल ने कहा, ‘‘जहां तक मेरा अनुमान है सरकार पहले ही अर्थव्यवस्था को जीडीपी का 10 से 12 फीसदी तक का प्रोत्साहन दे चुकी है, केन्द्र सरकार और रिजर्व बैंक ने अर्थव्यवस्था में नकदी डालने के कई कदम उठाये हैं. अब राज्यों को भी उनके सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) का पांच फीसदी तक बाजार से उधार उठाने की अनुमति दे दी गई है. इससे आने वाले समय में अर्थव्यवस्था में बड़ी मांग का जोर बन सकता है.’’यह भी पढ़ें: PM Kisan Scheme के साथ मिलते हैं ये तीन और फायदे जो आपको नहीं होंगे मालूम
सरकार ने किया है करीब 21 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज का ऐलान
उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोविड-19 से प्रभावित अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिये आत्म निर्भर भारत अभियान के तहत पिछले सप्ताह पांच किस्तों में 21 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की. इसमें छोटे उद्योगों को 3 लाख करोड़ रुपये का सस्ता कर्ज सुलभ कराने, गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनियों को राहत देने, प्रवासी मजदूरों को मुफ्त राशन देने जैसे उपाय किये गये हैं.
डिमांड और सप्लाई के बीच असंतुलन खड़ी करेगा समस्या
मंडल ने कहा, ‘‘ऐसे में मेरी चिंता यही है कि मांग बढ़ाने को जिस प्रकार बड़ा प्रोत्साहन दिया जा रहा है अगर आने वाले समय में उसके मुताबिक आपूर्ति नहीं बढ़ती है तो मुद्रास्फीति (Inflation) दबाव बढ़ेगा. कई छोटे उद्योग बंद हो चुके हैं, श्रमिक पलायन कर गये हैं, ऐसे में आपूर्ति श्रृंखला गड़बड़ा सकती है और महंगाई बढ़ सकती है.’’
नेशनल इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक फाइनेंस एण्ड पॉलिसी (NIPFP) के प्रोफेसर एन आर भानुमूर्ति ने भी कुछ इसी तरह के विचार व्यक्त करते हुये कहा कि तुरंत प्रभाव की यदि बात की जाये तो सरकार का पैकेज इस मामले में छोटा रह गया है जबकि दीर्घकाल के लिहाज से यह बड़ा दिखाई देता है.
यह भी पढ़ें: Swiggy ने शुरू की शराब की होम डिलीवरी, ऑर्डर करने से पहले जान लें ये बातें
अल्पकालिक उपाय कम
उन्होंने कहा, ‘‘पैकेज में तुरंत राहत वाले उपाय कम है, ज्यादातर उपाय दीर्घकाल में लाभ पहुंचाने वाले हैं. अल्पकालिक उपायों में कामगारों को मुफ्त भोजन, उद्यमियों और फर्मो को ईपीएफओ भुगतान में तीन महीने की राहत, टीडीएस, टीसीएस दर में कमी, मनरेगा के तहत अतिरिक्त राशि का प्रावधान और छोटी कंपनियों के बड़ी कंपनियों में फंसे बकाया का 45 दिन में भुगतान जैसे कुछ उपाय किये गये हैं.’’
जटिल है ये राहत पैकेज
वहीं, सुदीप्तो मंडल ने कहा, ‘‘सरकार ने इस राहत प्रक्रिया को काफी जटिल बना दिया है. अच्छा तो यही होता कि सरकार श्रमिकों, कामगारों को सीधे उनके हाथ में कुछ पैसा और राशन देने की व्यवस्था कर देती. पूरे श्रमिक वर्ग को एकमुश्त कुछ हजार रुपये और राशन उपलब्ध कराया जाता तो यह राशि जीडीपी का मुश्किल से दो फीसदी तक ही होती है, लेकिन इस प्रक्रिया को जटिल बना दिया गया. सरकार ने किसान, महिलाओं, भवन निर्माण श्रमिकों को, बुजुर्गों को अलग अलग तरह से मदद दी है.’’
नई घोषणाएं कर्ज प्रोत्साहन और आर्थिक सुधारों को बढ़ाने पर फोकस
मंडल ने कहा कि सरकार ने आर्थिक पैकेज की घोषणा तो बाद में की है, उससे पहले ही सरकार अर्थव्यवस्था में नकदी बढ़ाने के कई उपाय कर चुकी है. आर्थिक पैकेज की घोषणायें तो भविष्य के लिये हैं. इनमें ज्यादातर उपाय कर्ज आधारित हैं, सरकार उस पर केवल गारंटी देगी. कौन कितना कर्ज लेगा, कर्ज मांग बढ़ेगी अथवा नहीं बढ़ेगी यह सब आने वाला समय बतायेगा. लेकिन इससे पहले सरकार ने बाजार से 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक अतिरिक्त पूंजी जुटाने का फैसला किया है. करीब आठ लाख करोड़ रुपये उधार लेना पहले से बजट में प्रस्तावित है.
यह भी पढ़ें: लॉकडाउन के बीच 10000 रु प्रति महीना की गारंटीड कमाई वाली स्कीम में लगाए पैसा
राज्यों को भी तीन फीसदी के बजाय पांच फीसदी तक उधार उठाने की अनुमति दे दी गई है. रिजर्व बैंक ने भी अर्थव्यवस्था में नकदी बढ़ाने के कई कदम उठाये हैं इन सबको मिलाकर 10 से 12 फीसदी का प्रोत्साहन पैकेज तो पहले ही अर्थव्यवस्था को दिया जा चुका है. नई घोषणायें तो कर्ज प्रोत्साहन और आर्थिक सुधारों को बढ़ाने के बारे में हैं.
राजकोषीय घाटे पर नहीं पड़ेगा ज्यादा असर
भानुमूर्ति ने कहा कि आर्थिक पैकेज का सरकार के राजकोषीय घाटे में ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना की 1.70 लाख रुपये के पैकेज को मिलाकर रोजकोषीय घाटा दो प्रतिशत तक बढ़ सकता है. सरकार ने 2020- 21 के बजट में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 3.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है. वहीं वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि दर चार फीसदी तक घट सकती है. यदि सरकार ने तमाम प्रोत्साहन उपाय नहीं किये होते तो यह गिरावट 12- 13 फीसदी तक हो सकती थी.
यह भी पढ़ें: घर बैठे अपने EPF अकाउंट में KYC को कैसे करें ऑनलाइन अपडेट, जानें पूरा प्रोसेस