छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

बिना पहचान सुनिश्चित किये न्यायालय के भवन में प्रवेश

दुर्ग। कोविड-19 कोरोना वायरस संक्रमण के खतरों के बीच न्याय व्यवस्था को सुचारू बनाने और जनसामान्य को त्वरित न्याय प्रदान करने के उद्देश्य से लॉकडाऊन के चौथे चरण में उच्च न्यायालय सहित जिला अदालतों में भी कार्य प्रारंभ किये जाने का निर्णय लिया गया। न्यायालयों में नियमित कार्य प्रारंभ करने के आदेश के साथ ही न्यायाधीशों, न्यायिक कर्मचारियों, अधिवक्ताओं और पक्षकारों की सुरक्षा को सुनिश्चित किये जाने हेतु न्यायालय प्रशासन और स्थानीय अधिवक्ता संघों के लिए सुरक्षात्मक मार्गदर्शी निर्देश भी जारी किये गये हैं।

न्यायालय प्रारंभ हुए दूसरा दिन था न्यायालय भवन में प्रवेश के एकाधिक द्वार खोल दिये गये।  न तो किसी भी दरवाजे पर भवन में प्रवेश करने वाले आगंतुकों की पहचान सुनिश्चित करने का कोई इंतजाम किया गया और ना ही परिसर में निरूद्देश्य प्रवेश कर रहे लोगों से कोई पूछताछ ही की गई। माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार न्यायालय भवन में मात्र एक ही द्वार से प्रवेश किया जाना है।  प्रवेश द्वार पर प्रवेशार्थी की थर्मल स्कैनिंग की जानी है। द्वार पर सैनिटाईजर की व्यवस्था भी करने के निर्देश दिये गये हैं। न्यायालय कक्ष सहित परिसर में सोशल/फिजिकल डिस्टेंसिंग के पालन का निर्देश जारी किया गया है जिसकी सम्यक रूप से पालना पूरे परिसर में कहीं भी दिखाई नहीं दे रही है। अधिवक्ता कक्षों और बैठक स्थलों में कहीं भी प्रशासन अथवा स्थानीय निकाय द्वारा सैनिटाईजेशन अथवा सैनिटाईजर की कोई व्यवस्था नहीं की जा सकी है।

प्रदेश में बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मामलों को देखते हुए  उच्च न्यायालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन किया जाना जरूरी है अन्यथा जिले में संक्रमण को फैलने से किसी भी स्थिति में रोकना कठिन होगा। न्यायालय कक्षों में बैठ रहे पीठासीन अधिकारी तुलनात्मक रूप से किसी हद तक भले ही सुरक्षित दिख रहे हों परन्तु न्यायालयीन कर्मचारियों के उस हद तक सुरक्षा का आभास नहीं होता। अनावश्यक पक्षकारों के न्यायालय भवन परिसर में प्रवेश करने और घंटों भीड़ लगाकर बैठने से संक्रमण का खतरा निरंतर बना हुआ है।

प्रशासन को यह सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक कदम उठाने की आवश्कता है कि, न्यायालय के कार्यवाहियों के सुचारू रूप से चलने के लिए माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्देशों का सख्ती से पालन हो। बिना पहचान सुनिश्चित किये अकारण किसी भी व्यक्ति को न्यायालय भवन परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। जिले में किसी भी प्रकार संक्रमण फैलने से सारा दबाव जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पर ही आना है इसलिए पूर्व सावधानी आवश्यक है।

Related Articles

Back to top button