छब्बीस साल बाद भी थाना का दर्जा तो दूर पुलिस चौकी का भी दर्जा नही मिल पाया स्मृति
नगर पुलिस सहायता केन्द्र को
स्मृति नगर इलाका को युवा क्राइम का हॉट स्पॉट होने के कारण थानों के बराबर दिया गया है बल
भिलाई। युवा क्राईम स्पॉट वाले स्मृति नगर पुलिस सहायता केन्द्र को आज 26 सालों के बाद भी थाना का दर्जा तो दूर पुलिस चौकी का भी दर्जा नही दिया गया है जबकि यहां का स्टाफ थाने के बराबर है जबकि स्मृति नगर इलाका युवा क्राइम का हॉट स्पॉट है। इस इलाके में अनेक उच्च शिक्षा के केन्द्र है और बाहर से पढ़ाई के सिलसिले में आने वाले छात्र-छात्राओं के लिए रहने की सुविधा में यहीं पर अधिक है। स्मृति नगर सहित जुनवानी, कोहका और इसके आसपास अनेक नवविकसित कालोनियां है। बहुमंजिली आवासीय परिसर की भी इलाके में भरमार है। इन आवासों को पढ़ाई लिखाई के सिलसिले में दूसरे शहर व कस्बों से आये छात्र-छात्राओं को किराये पर उपलब्ध कराया जाता है। यही वजह है कि स्थानीय पालकों के अभाव में नौजवान खून में आने वाला उबाल अपराध को जन्म दे जाता है। बावजूद इसके स्मृति नगर का महज पुलिस सहायता केन्द्र बना रहना समझ से परे हैं।
यह पुलिस सहायता केन्द्र सुपेला थाना के अधीन वर्ष 1994 में प्रारंभ हुआ था। वर्तमान में यहां पर एक उप निरीक्षक, चार सहायक उपनिरीक्षक, तीन हवलदार एवं 28 आरक्षकों को लेकर कुल जमा 36 का बल पदस्थ है। खास बात है कि अभी स्मृति नगर पुलिस सहायता केन्द्र है और इसे अब तक विधिवत चौकी के रूप में भी प्रोन्नत नहीं किया जा सका है। लेकिन जिस संख्या में यहां पर बल की पदस्थापना है वैसी स्थिति कुछ थानों में साफ देखी जा सकती है। जब 36 का बल यहां पर पदस्थ है तब इलाके में कानून व्यवस्था की चुनौती को स्वाभाविक रूप से समझा जा सकता है। बावजूद इसके इस सहायता केन्द्र को चौकी का दर्जा तक नहीं मिल पाना किसी विडंबना से कम नहीं मानी जा रही है।
दरअसल समय के साथ सुपेला थाना की परिधि नवविकसित कालोनियों के चलते विस्तृत होती चली गई। इससे कानून व्यवस्था बनाये रखने में सुपेला थाना पुलिस को दिक्कत होने लगी। आखिरकार स्मृति नगर गृह निर्माण सोसाइटी की मांग पर पुलिस सहायता केन्द्र को अस्तित्व में लाया गया। स्मृति नगर गृह निर्माण सोसायटी ने इसके लिए सर्वसुविधायुक्त भवन उपलब्ध कराया। तब से देखते-देखते 26 साल का लंबा अंतराल बीत गया और समय के साथ पुलिस बल की संख्या में इजाफा होने के बावजूद स्मृति नगर पुलिस सहायता केन्द्र अपनी तरक्की के लिए अब भी तरसती रही। जबकि यहां पर बतौर प्रभारी पदस्थ रहे अधिकारियों की वर्दी में पदोन्नति के बाद सितारों की संख्या में इजाफा हो चुकी है। वहीं कुछ अधिकारी तो सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
यहां पर यह बताना भी लाजिमी होगा कि सुपेला थाने से ही वर्ष 2005 में वैशाली नगर पुलिस चौकी की शुरुवात हुई थी। यह चौकी अब थाने के रूप में अस्तित्व में आ चुकी है। एक जनवरी 2020 से वैशाली नगर के थाना प्रारंभ हुआ है। जबकि वर्ष 1994 में पुलिस सहायता केन्द्र के रूप में अस्तित्व में आई स्मृति नगर को चौकी का दर्जा देने की सोंच तक प्रदर्शित नहीं हो सकी है। ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर शासन प्रशासन की नजरें स्मृति नगर पुलिस सहायता केन्द्र की तरक्की की ओर कब इनायत होगी।
गाड़ाडीह व नगपुरा बनेगी चौकी
दुर्ग जिले में उतई थाने से गाड़ाडीह और पुलगांव से नगपुरा चौकी बनाये जाने को बजट में स्वीकृति मिल चुकी है। गाड़ाडीह और नगपुरा दोनों ही इलाके स्मृति नगर पुलिस सहायता केन्द्र की परिधि से छोटे हैं। कानून व्यवस्था को लेकर भी गाड़ाडीह और नगपुरा क्षेत्र में कभी विशेष चुनौतीपूर्ण स्थिति देखने व सुनने को नहीं मिली। दूसरी तरफ स्मृति नगर का इलाका कानून व्यवस्था के लिहाज से बेहद ही संवेदनशील माना जा सकता है। नेहरूनगर के समीप एएसएफ बटालियन से बायपास रोड होते हुए स्मृति नगर पुलिस सहायता केन्द्र की सीमा कोहका को छूती है। यह पूरा इलाका पॉश कालोनियों से अटा पड़ा है। ऐसे में गाड़ाडीह और नगपुरा से पहले इस इलाके को प्राथमिकता मिलनी चाहिए थी।