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मोहसिन ने पेश की मिसाल, हिंदू रीति-रिवाज से किया मुंहबोली दादी का अंतिम संस्कार | mohsin became an example of hindu-muslim unity cremated grandmother savitri devi with hindu customs | kasganj – News in Hindi

मोहसिन ने पेश की मिसाल, हिंदू रीति-रिवाज से किया मुंहबोली दादी का अंतिम संस्कार

मोहसिन ने गंगा नदी में दादी सावित्री देवी का अस्थि विसर्जन किया

मुस्लिम युवक ने अपनी दादी की हिन्दू सहेली का पहले हिन्दू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार किया और फिर उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार उनकी अस्थियों को मां गंगा में विसर्जित किया.

कासगंज. जनपद की तीर्थ नगरी सोरों में धार्मिक रूढ़ियों को दरकिनार करते हुए एक मुस्लिम युवक ने अपनी मुंहबोली दादी का अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाजों (Hindu customs) के साथ करने के बाद उनकी अंतिम इच्छा के मुताबिक उनकी अस्थियों का विसर्जन गंगा नदी (Ganges River) में किया. एक तरफ समाज में बढ़ रही कट्टरता के बीच हिंदू-मुस्लिम एकता की ये तस्वीरें भावुक करने के साथ-साथ दिल को सुकून पहुंचाती हैं.

आपसे किया वायदा पूरा कर रहा हूं
बता दें कि सोरो कसबे में रहने वाले एक मुस्लिम युवक ने अपनी दादी की हिन्दू सहेली का पहले हिन्दू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार किया और फिर उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार उनकी अस्थियों को मां गंगा में विसर्जित किया. मोहसिन की मुंहबोली दादी 85 वर्षीय सावित्री देवी से खून का रिश्ता नहीं था और उनके मजहब भी अलग थे. लेकिन मोहसिन ने 18 अप्रैल को सावित्री देवी की मृत्यु के बाद दाह-संस्कार किया और लॉकडाउन के दौरान दादी की अस्थियां संभाल कर रखीं. जब लॉकडाउन में छूट मिली तो बुधवार को सोरों में अस्थि विसर्जन के दौरान मोहसिन की आंखे नम हो गई. बस एक ही बात जुबां से निकली ‘दादी आप सदैव कहती थी मुझे बस गंगा में पहुंचा देना, आज आपसे किया वायदा पूरा कर रहा हूं’.

भाई-चारे की यह कहानी है भरतपुर के नमक कटरा वैरागी हनुमान मंदिर कमला रोड निवासी मोहसिन एवं पति गौरीशंकर तथा बेटे हेमंत की मौत के बाद बेसहारा हुई सावित्री देवी की. सावित्री एवं मोहसिन की दादी उम्मेदी मित्र थीं. उनका परिवार में आना-जाना था. 2003 में मोहसिन की दादी उम्मेदी की मौत के बाद भी मोहसिन के सावित्री के परिवार से संबंध बरकरार रहे. सावित्री देवी के पति गौरीशंकर की काफी पहले मौत हो गई थी. इकलौते बेटे हेमंत की पत्नी कई साल पहले ही छोड़ कर जा चुकी थी. 2014 में 40 वर्षीय बेटे हेमंत की मौत के बाद जब सावित्री का कोई नहीं रहा तो मोहसिन उन्हें अपने घर पर ले आए. थोड़े ही दिनों में मोहसिन एवं सावित्री के बीच में एक अनजाना रिश्ता जुड़ गया. सुबह मोहसिन घर से निकलता तो सावित्री से राम-राम करना नहीं भूलता. जिस दिन भूल जाता तो सावित्री कहती कि आज मेरा बेटा मुझसे नाराज है.18 अप्रैल को जब सावित्री का निधन हुआ तो भले ही इस्लाम में शव को दफनाने की परंपरा हो, लेकिन मोहसिन ने हिंदू रीति-रिवाज से दाह संस्कार किया. घर पर ब्रह्मभोज भी कराया. रमजान पहले ही शुरू हो गए थे, लिहाजा इस बार रोजे भी नहीं रख सके. पिता रफीक एवं छोटे भाई इमरान सहित पत्नी एवं मां ने भी इसमें सहयोग किया. इतना ही नहीं मोहसिन ने घर में गरुण पुराण का ऑनलाइन पाठ कराया. सभी हिंदू-संस्कारों को पूर्ण किया तो लॉकडाउन में कुछ लोगों ने सलाह दी कि अस्थियां कहीं आस-पास ही प्रवाहित कर दें, लेकिन मोहसिन ने कह दिया कि दादी की इच्छा थी सोरों गंगाजी में जाने की वहीं जाऊंगा. बड़ी मुश्किल से बीते दिनों प्रशासन से अनुमति मिली तो बुधवार को गंगा में आकर अस्थियों का विसर्जन किया. पुरोहित भोला बिहारी ने विसर्जन कराया. बिजली विभाग में लाइन मैन के पद पर तैनात मोहसिन कहते हैं हमने अपना फर्ज निभाया है. मोहसिन के साथ उनके मित्र बृजेश कुमार एवं राजेंद्र भी आए थे.

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https://www.youtube.com/watch?v=zfXITwF06YI

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First published: May 21, 2020, 12:16 AM IST



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