बसों के सहारे यूपी में साइकल और हाथी से आगे निकली कांग्रेस, प्रियंका ड्राइविंग सीट पर | Riding The Bus Congress Overtakes The SP and BSP in Bid to Catch up BJP in UP | lucknow – News in Hindi

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की राजनीति में एक बार साफ दिख रही है. प्रदेश में कमजोर पड़ चुकी कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) मजदूरों के मामले पर हमलावर रुख अपनाए हुए हैं. उन्होंने बड़ी चतुराई से इस मसले पर समाजवादी पार्टी (Yogi Adityananth, SP) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) को पीछे छोड़ दिया है. ऐसा करके वे राज्य में कमजोर विपक्ष का फायदा उठाकर अपनी पार्टी को मजबूत कर रही हैं. यह कहा जा सकता है कि कांग्रेस ने बस पर सवार होकर 2022 के चुनावी रेस में साइकल और हाथी को पीछे छोड़ दिया है.
उत्तर प्रदेश (UP) में बसों को लेकर भाजपा और कांग्रेस के दावों को एक पल के लिए किनारे कर दीजिए कि कौन सही है या कौन गलत. एक बात तो साफ दिख रही है कि कांग्रेस ने 1000 बसें चलाने का दावा कर मजदूरों के मन में कहीं ना कहीं जगह बनाई है और उसका यह अभियान कारगर दिख रहा है. सबसे दिलचस्प बात यह है कि इस मौके पर सपा और बसपा पूरी तरह सीन से गायब हैं.
ऐसा नहीं है कि कांग्रेस ने सपा-बसपा से बाजी रातों-रात मारी है. इसके लिए तो उसने लॉकडाउन के दूसरे दिन से ही प्रयास शुरू कर दिए थे. कांग्रेस की यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी ने 25 मार्च को प्रदेश के अपने कार्यकर्ताओं से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की और राज्य में खाने का इंतजाम करने को कहा. उसी दिन उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा, जिसमें मजदूरों, किसानों और गरीब लोगों के लिए कई सुझाव दिए गए थे. पत्र में यह भी कहा गया था कि कांग्रेस जरूरत पड़ने पर अपने कार्यकर्ताओं को बतौर वॉलेंटियर लगाने को तैयार है.यह भी पढ़ें: प्रवासी मजदूरों पर राजनीति न हो, बस चलाने की अनुमति दे योगी सरकार: प्रियंका
कांग्रेस पार्टी लखनऊ और अन्य जगहों पर कम्युनिटी किचन चला रही थी और प्रियंका गांधी इसकी नियमित निगरानी कर रही थीं. पूर्व छात्र नेता, जो प्रियंका गांधी के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, वे कहते हैं, ‘हम और हमारे नेता मजदूरों और गरीबों को लेकर शुरू से चिंतित थे. हम सरकार के दावों और असलियत के बीच भारी अंतर को भी देख-समझ रहे थे. एक राजनीतिक पार्टी के तौर पर यह सामान्य बात है कि हम लोगों के लिए काम कर रहे हैं. अगर इससे हमारी पार्टी का विस्तार होता है तो यह अच्छा है.’
प्रियंका गांधी की उत्तर प्रदेश के प्रति दिलचस्पी नई नहीं है. कांग्रेस के प्रवक्ता अमरनाथ अग्रवाल कहते हैं, ‘प्रियंका ने लोकसभा चुनाव के दौरान भी कहा था कि वे यूपी नहीं छोड़ेंगी. वे अपना वादा निभा रही है. जब सोनभद्र में गरीबों पर अत्याचार हुआ, तब हम उनके साथ खड़े थे. आज भी हम गरीबों का साथ दे रहे हैं.’
यह भी पढ़ें: अपनी ही पार्टी पर बिफरीं MLA अदिति सिंह, जानिए कब-कब पकड़ी कांग्रेस से अलग राह
प्रियंका गांधी लॉकडाउान के दौरान बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के मुकाबले ज्यादा सक्रिय हैं. उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को एक के बाद एक चार पत्र लिखकर जता दिया है कि वे मजदूरों के हित में काम करना चाहती हैं. उत्तर प्रदेश के एक पत्रकार शरत प्रधान कहते हैं कि यह पहला मौका नहीं है, जब प्रियंका ने मायावती और अखिलेश को पीछे छोड़ा है. चाहे सोनभद्र हत्याकांड हो या उन्नाव रेप मामला, प्रियंका ने अखिलेश और मायावती को पीछे छोड़ा है. हालांकि, इन सबका फायदा कांग्रेस को 2022 के चुनाव में मिलेगा या नहीं, यह कहना अभी मुश्किल है.
जहां तक बीजेपी और योगी आदित्यनाथ की बात है तो उन्होंने निश्चित तौर पर प्रियंका को सुर्खियों में आने में मदद की है. बस विवाद में कौन सही है या कौन गलत, इस बहस से परे यह तो तय है कि इससे कांग्रेस चर्चा में आ गई है. बसें भले ही बॉर्डर पर ही खड़ी हों, लेकिन इसने सत्तापार्टी को परेशानी में जरूर डाल दिया है. खासकर तब जबकि प्रवासी मजदूरों की हालत अब भी बेहद खराब है.