दुनिया का सबसे अमीर शख्स, जिसकी दौलत का अंदाजा आज तक नहीं लग सका worlds richest man in history more than bill gates | knowledge – News in Hindi

बिजनेस मैगजीन फोर्ब्स ने दुनिया के सभी अमीरों की सूची तैयार की. इसमें पहले नंबर पर अमेजन के सीईओ जेफ बेजोस हैं. उनकी कुल दौलत लगभग 90 बिलियन डॉलर आंकी गई है. उन्होंने ये स्थान बिल गेट्स को पछाड़कर हासिल किया. वहीं माना जाता है कि मंसा मूसा अगर इस दौर में होता तो उसकी प्रॉपर्टी की कीमत इन सबसे कहीं ज्यादा रहती.
नमक की खदानों के लिए ख्यात देश माली के शासक मूसा प्रथम ने 1312 से 1337 के बीच यहां शासन किया. उसका असल नाम मूसा कीटा प्रथम था लेकिन शासक होने के बाद नाम मंसा मूसा प्रथम हो गया. बता दें कि मंसा का मतलब वहां की भाषा में होता है बादशाह.

राजा की की दौलत को लेकर अक्सर तरह-तरह के कयास लगाए जाते हैं
उसकी दौलत को लेकर अक्सर तरह-तरह के कयास लगाए जाते हैं. बीबीसी से एक इंटरव्यू में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया के एसोसिएट प्रोफेसर रुडोल्फ बुच वेयर ने कहा था मूसा के पास इतनी धन-दौलत थी कि अब तक उसका आकलन नहीं हो सका है. वैसे मूसा के बादशाह बनने के पीछे दिलचस्प कहानी है. 14वीं सदी के इतिहासकार शैबब अल उमरी के अनुसार मूसा का बड़ा भाई, जो कि सम्राट की गद्दी पर बैठा, उसे दुनिया घूमने का शौक था. वो जानना चाहता था कि अटलांटिक के पीछे कौन सी दुनिया है. उसी की खोज में वो 2000 जहाजों में सैनिक, औरतें और गुलाम भरकर गया और कभी वापस नहीं लौटा. इसके बाद गद्दी मूसा के हाथ आ गई. उसके आते ही साम्राज्य फैलने लगा और टिंबकटू से होते, होते सेनेकल, बुर्किना फासो, नाइजर, गैंबिया और आइवरी कोस्ट तक पहुंचा गया. इतने बड़े साम्राज्य के साथ सोने और नमक की काफी सारी खदानें भी मिलती चली गईं.
अफ्रीकन वेबसाइट africa.com के मंसा के 25 सालों के शासन के दौरान माली के हालात काफी समृद्ध हुए. वहां स्कूल, लाइब्रेरी, पैलेस बनवाए गए. मूसा खुद को सच्चा मुसलमान मानता था और अपने दौर में उसने नेकी के कई काम किए. उसमें गरीबों को धन-दौलत देने से लेकर मस्जिदें बनवाना भी शामिल थे.

मस्जिद 1327 में बनवाई गई थी. इसके वास्तुविद का नाम Abu Es Haq था, जिसे मूसा ने ही मक्का से बुलवाया था (Photo-Flickr)
उस दौर की कई इमारतें आज भी मौजूद हैं, जैसे Djinguereber Mosque. माना जाता है कि ये मस्जिद 1327 में बनवाई गई थी. इसके वास्तुविद का नाम Abu Es Haq था, जिसे मूसा ने ही मक्का से बुलवाया था. University of Sankore को भी मूसा की ही पहल माना जाता है. ये यूनिवर्सिटी आज भी दुनियाभर के छात्रों को मुस्लिम धर्म के अध्ययन के लिए आकर्षित करती है. 15वीं सदी के मालियन इतिहासकार महमूद कती की किताब Chronicle of the Seeker में इसका जिक्र मिलता है.
कहा जाता है कि 13वीं सदी में उसके पास लगभग 400 मिलियन डॉलर की संपत्ति थी. तब पश्चिम अफ्रीका के इस देश में सोने के अकूत भंडार हुआ करते थे. टाइम मैगजीन में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार University of Michigan में हिस्ट्री के प्रोफेसर Rudolph Ware दावा करते हैं कि मूसा की दौलत इतनी ज्यादा थी कि लोग आज तक उसका असल अंदाजा तक नहीं लगा सके.

आज माली की आधी से ज्यादा आबादी अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा यानी रोजाना 1.25 डालर से भी कम आमदनी पर गुजारा कर रही है
मूसा की मक्का यात्रा के बारे में खूब कहा-सुना जाता है. मूसा जब 1324ई में मक्का के लिए निकला तो उसके काफिले में लगभग 60 हजार लोग शामिल थे. साथ ही 12000 गुलाम थे काफिले के साथ हाथी, घोड़े चला करते. साथ में ऊंट भी होते, हरेक ऊंट पर डेढ़ सौ किलो के लगभग सोना लदा होता. मूसा ये सोना गुजरते हुए जरूरतमंदों को बांटते चलता. यहां तक कि मिस्र की राजधानी काहिरा से गुजरते हुए मूसा ने वहां इतनी दौलत लुटाई कि वहां एकदम से महंगाई बढ़ गई.
मूसा के बारे में जब ये बातें फैलीं कि वो सोना बांटता है तो उसे देखने के लिए यूरोपियन भी काफिले के रास्ते में आने लगे. दौलत की बात पक्की होने के बाद उस दौर के Medieval world map, Catalan Atlas में मूसा के साम्राज्य का नाम शामिल किया गया. मूसा की ख्याति इतनी फैली कि उसे कई उपाधियां दी गईं. इनमें Lord of the Mines of Wangara और Emir of Melle जैसी उपाधियां शामिल हैं. मूसा प्रथम की मुत्यु पर विवाद है लेकिन माना जाता है कि साल 1337 के आसपास उसकी मृत्यु हुई, जिसके बाद मंसा मेगन ने अपने पिता की गद्दी संभाली, हालांकि उसके बाद माली की हालत खराब होती चली गई.
आज माली अफ्रीका का 7वां बड़ा देश माना जाता है लेकिन इसकी आर्थिक हालत खराब है. देश की आधी से ज्यादा आबादी अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा यानी रोजाना 1.25 डालर से भी कम आमदनी पर गुजारा कर रही है.
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