Lockdown Diaries: पैदल घर जा रहे मजदूर को लूटने आए थे, तकलीफ सुनी और 5 हज़ार रुपये देकर चले गए -Lockdown Diaries Came for robbery but after hearing the troubles of labour left after giving 5 thousand rupees to him dlnh | delhi-ncr – News in Hindi
Demo Pic
बीच-बीच में पुलिस (Police) के डंडे और फटकार भी मिली. लेकिन रास्ते में केले और बिस्किट बांटने वाले पेट भरने की पूरी कोशिश कर रहे थे.
मुन्ना बताता है, “कुछ लोग आए तो थे हमसे मालपट्टा झपटने, लेकिन जब हमारे दर्द को सुना तो उल्टे 5 हज़ार रुपये देकर चले गए. यह उस रकम का हिस्सा थी जो उन्होंने थोड़ी देर पहले ही किसी और से छीनी थी.” इसी तरह के कुछ और किस्सों के साथ लखनऊ से पहले किसी गांव में रहने वाले मुन्ना ने खुद पूरी दास्तान न्यूज18 हिंदी के साथ साझा की.
पैदल सफर करने की हिम्मत 10 दिन में आई
पहले लॉकडाउन में तो हमने वो सब खर्च कर डाला जो हमारे पास था. लेकिन दूसरे लॉकडाउन से मुसलमानों के रोजे शुरु हो गए तो हमारे इलाके में हर शाम हमें एक वक्त का खाना मिलने लगा. जब उन्हें पता चला कि हमारा पूरा परिवार है तो वो राशन दे गए. लेकिन ऐसे कब तक चलेगा. इधर मैं दूसरे मजदूरों को पैदल घर जाते हुए देख रहा था. तीन छोटे बच्चों और बीमार पत्नी की वजह से मेरी हिम्मत जवाब दे रही थी. पैदल निकलूं या नहीं यह सोचते-सोचते 8-9 दिन बीत गए. लेकिन 11 मई को अचानक से एक बैग में कुछ कपड़े रखे और साइिकल लेकर परिवार के साथ निकल पड़ा.
नोएडा आते-आते खाना खत्म हो गया
रास्ते में चलते हुए पुलिस के डंडे और उनकी फटकार भी खानी पड़ी. अब क्योंकि घर से निकल आया था तो वापस जा नहीं सकता था. इसलिए कभी खाली पड़े खेत से होकर भी निकलना पड़ा. घर पर जो थोड़ा सा राशन बचा था उसी को बनाकर साथ ले आया था. लेकिन यमुना एक्सप्रेस वो भी खत्म हो गया. लेकिन अच्छी बात यह थी कि वहां कुछ लोग केले और बिस्किट बांट रहे थे.
मथुरा टोल से आगे बिगड़ गई बीवी की तबियत
बच्चों और बीमार बीवी के चलते हम थोड़ी-थोड़ी दूर चलने के बाद आराम करने के लिए भी बैठ जाते थे. ऐसे ही हम मथुरा टोल के आगे एक जगह आराम कर रहे थे. तभी बीवी की तबियत बिगड़ गई. हाथ-पैर ठंडे पड़ गए. बेहोश भी हो गई. तभी भगवान से दुआ की कि हमें किसी भी अनहोनी से बचा लेना. हम अकेले घर नहीं जाएंगे. पानी के छींटे मारे और हाथ-पैरों की मालिश की. राह चलती एक औरत ने भी हमारी मदद की. किसी तरह दो घंटे बाद बीवी कुछ नॉर्मल हो गई. लेकिन फिर भी हमने पूरी रात वहीं आराम किया.
जो कुछ भी हो रहा था वो फिल्मों जैसा था
रात के कोई 1.30 बजे का वक्त था. लखनऊ एक्सप्रेस वे पर ही हम सब आराम कर रहे थे. दिन में काफी चल लिए थे तो बीवी को और ज़्यादा नहीं चलाना चाहता था. हमसे थोड़े ही फासले पर चार-पांच लड़के कुछ लोगों से हाथापाई कर रहे थे. जिनके साथ हाथापाई हो रही थी वो खाते-पीते घर के मालूम पड़ रहे थे.
इसके बाद वो लड़के हमारे पास आ गए. तेज आवाज़ में चीखते हुए मुझसे पूछा कौन हो और कहां जा रहे हो. क्या है तुम्हारे पास. मैं समझ गया कि यह सामान लूटने आए हैं. मैंने रोते हुए बटन वाला पुराना सा मोबाइल उन्हें दे दिया और कहा मजदूर आदमी हूं बस यही है मेरे पास.
मुझे रोता देख उसमें से बड़े वाले लड़के ने मुझसे बात पूछी तो मैंने बता दिया कि कैसे मैं रोहतक से चला हूं और लखनऊ के पास तक जाना है. बीवी बीमार है और हम भूखे हैं. तभी उसमो से एक बोला यार मजदूरों की खबर तो बहुत आ रही है टीवी पर. तभी पता नहीं एक ने क्या इशारा किया कि दूसरे लड़के ने मेरे हाथ में 500-500 के कई नोट रख दिए. जो 5 हज़ार थे. बोला रास्ते में कुछ खा-पी लेना और अब पैदल नहीं जाना किसी ट्रक वाले को दो-चार सौ रुपये दे देना. एक ने तो मेरी सबसे छोटी बेटी के सिर पर हाथ भी फेरा था.
इसके बाद तो एक बार भी मेरे दिमाग ने दर्द को महसूस नहीं किया. पूरे रास्ते उन्हीं लोगों की बातें बीवी के साथ होती रहीं और उनका चेहरा आंखों के सामने बना रहा. किसी ट्रक वाले ने हमें नहीं बैठाया, लेकिन रास्ते में बच्चों को खिलाता-पिलाता ले गया.
ये भी पढ़ें:-
Lockdown: बसें सड़क पर हैं नहीं, ऑटो वाले एक सवारी से मांग रहे 5 का पैसा
News18 Hindi पर सबसे पहले Hindi News पढ़ने के लिए हमें यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें. देखिए दिल्ली-एनसीआर से जुड़ी लेटेस्ट खबरें.
First published: May 20, 2020, 1:03 PM IST