योगी सरकार के फीस न बढ़ाने के आदेश के खिलाफ प्राइवेट स्कूल पहुंचे हाईकोर्ट, जवाब तलब-private school approaches High court against Yogi government order not to increase fees uprm upas | agra – News in Hindi
यूपी सरकार द्वारा स्कूलों की फीस में बढ़ोतरी न करने आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. (फाइल फोटो)
एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स ऑफ यूपी व एक अन्य की ओर से दाखिल याचिका में गैर सहायता प्राप्त स्कूलों को फीस न बढ़ाने के आदेश को चुनौती दी गई है. इसमें यूपी आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 को गैरकानूनी घोषित करने की मांग की गई है. हाईकोर्ट (HC) ने एडवोकेट जनरल को नोटिस जारी कर सरकार से इस संबंध में 18 जून तक जवाब मांगा है.
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पेश की दलीलें
याचिका पर सुनवाई के दौरान प्राइवेट स्कूलों की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल (Kapil Sibbal) वीडियो कांफ्रेंसिंग से पेश हुए. याचिका में गैर सहायता प्राप्त स्कूलों को फीस न बढ़ाने के आदेश को चुनौती दी गई है. इसमें यूपी आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 को गैरकानूनी घोषित करने की मांग की गई है.
वीडियो कांफ्रेंसिंग से हुई सुनवाईयह आदेश जस्टिस अनिल कुमार और जस्टिस सौरभ लवानिया की बेंच ने एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स ऑफ यूपी व एक अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवायी करते हुए पारित किया है.
रोक को बताया मनमाना, अतार्किक एवं असंवैधानिक
याचिका में सरकार के 27 अप्रैल 2020 1 मई 2020 के आदेशों को चुनौती दी गई है. कहा गया कि कोरोना महामारी के नाम पर गैर सहायता प्राप्त स्कूलों के इस वर्ष फीस वृद्धि पर रोक लगा दी गई है जो कि मनमाना, अतार्किक एवं असंवैधानिक है. वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि उत्तर प्रदेश सेल्फ फिनान्स इंडिपेंडेंट स्कूल्स (फी रेगुलेशन) एक्ट 2018 के तहत फीस वृद्धि की जा सकती है. फीस वृद्धि के सम्बंध में बिना किसी अभिभावक की आपत्ति आए, सरकार ने स्वतः संज्ञान लेकर यूपी आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत उक्त आदेश जारी कर दिए. याचिका में उत्तर प्रदेश आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 को भी असंवैधानिक घोषित करने की भी मांग की गई है और उसे केंद्रीय अधिनियम का अतिक्रमण करने वाला बताया गया है.
राज्य सरकार ने किया विरोध
वहीं राज्य सरकार की ओर से याचिका का विरोध किया गया और कहा गया कि याचिका में यूपी आपदा प्रबंधन अधिनियम की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है है और ऐसे मामलेां में महाधिवक्ता को नोटिस करना अनिवार्य है. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद महाधिवक्ता को नोटिस जारी कर दी और साथ ही राज्य सरकार से जवाबी हलफनामा तलब कर लिया है.
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First published: May 20, 2020, 9:25 AM IST