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जानें, उन दवाओं के बारे में जिससे चीन ने अपने यहां कोरोना पर काबू पाया china treatment method and medicines in coronavirus patients | knowledge – News in Hindi

दुनिया में कोरोना संक्रमितों (corona infected) का आंकड़ा 49 लाख पहुंचने वाला है. वहीं चीन, जहां से इस बीमारी की 5 महीने पहले शुरुआत हुई थी, अब मामले लगभग नहीं के बराबर आ रहे हैं. यहां तक कि पूरे देश को मिलाकर भी कोरोना संक्रमण के नए मामले सिंगल डिजिट में सिमट गए हैं. इसके पीछे लॉकडाउन को लेकर चीन की सख्ती (stricter lockdown in China) तो है ही, साथ ही उसके इलाज का खास तरीका (treatment method) भी है, जो बहुत से देशों से कहीं ज्यादा मजबूत दिख रहा है.

क्या हैं चीन के वर्तमान हालात
यहां पर कोरोना के कुल आंकड़े 82,960 हैं, जिसमें 4,634 मौतें भी शामिल हैं. अप्रैल को 73 दिनों के बाद कोरोना से बुरी तरह से प्रभावित शहर वुहान में लॉकडाउन खुला. इसके बाद के महीने यानी मई को देखें तो World Health Organisation (WHO) के अनुसार अब तक सिर्फ 111 मामले आए हैं, और 3 मौतें हुई हैं. यानी वहां संक्रमण का ग्राफ एकदम से गिरा. इसके पीछे वहां पर युद्धस्तर की व्यवस्था मानी जा रही है.

वहां कोरोना मरीजों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और एजिथ्रोमाइसिन नामक एंटीबायोटिक का कॉम्बिनेशन दिया जा रहा है

कैसे हो रहा है इलाज
इस बारे में द क्विंट की एक रिपोर्ट में जिक्र है कि वहां के डॉक्टर जांच और इलाज के लिए क्या तरीके अपना रहे हैं. इसके मुताबिक वहां कोरोना मरीजों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और एजिथ्रोमाइसिन नामक एंटीबायोटिक का कॉम्बिनेशन दिया जा रहा है. साथ में आयरन के लिए जिंक भी दे रहे हैं. इससे मरीजों को काफी राहत मिल रही है और उनके लक्षण गंभीर होने से पहले से ही वे बेहतर हो रहे हैं. वैसे ये कॉम्बिनेशन दूसरे कई देशों में भी कोरोना संक्रमण के दौरान दिया गया और हालात में सुधार देखा गया. यहां तक कि अमेरिकी प्रेसिडेंट ट्रंप ने तो हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को मैजिक ड्रग तक कहा था. हालांकि बाद में कई स्टडीज में पाया गया कि इस दवा के कई दुष्परिणाम हैं और देशों ने इसका आयात कम कर दिया.

दी जा रही हैं ये दवाएं भी
इन दो कॉम्बिनेशन दवाओं के साथ-साथ एस्कॉर्बिक एसिड, बी-कॉम्प्लेक्स, सेलेनियम, एल-कार्निटाइन और विटामिन बी-12 भी दिया जा रहा है. ये सारे सपलिमेंट हैं, जो शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करते हैं. साथ में glutathione normal saline भी लगभग डेढ़ महीनों तक दिया जाता है ताकि मरीज में ग्लूकोज का स्तर कम न होने पाए. सलाइन देना कोरोना वायरस के ट्रीटमेंट का अहम प्रोटोकॉल है, जिसे कतई नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. वैसे बता दें कि देश में भी किसी सर्जरी के बाद या मरीज के कमजोर हो जाने पर सलाइन दिया जाता है और कई बार इसी के साथ आईवी के जरिए एंटीबायोटिक भी दी जाती हैं.

ये सारे सपलिमेंट हैं, जो शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करते हैं

कोरोना की जांच पर जोर
साथ ही चीन का काफी जोर टेस्टिंग पर भी है. कुछ दिनों पहले वुहान में 6 नए मामले दिखने के बाद वहां पर पूरे वुहान के टेस्ट की बात कही गई. स्थानीय प्रशासन का कहना है कि वो शहर की 1 करोड़ 10 लाख के आसपास की आबादी का कोरोना टेस्ट लगभग 10 दिनों के भीतर कर सकेगा. हालांकि फिलहाल इसपर अपडेट नहीं आई है कि क्या वुहान में इतने बड़े पैमाने पर जांच शुरू हो चुकी है.

सारे मरीजों को ले रहे गंभीरता से
सबसे पहले कोरोना का जीन सीक्वेंस अलग करने में सफल हो चुके चीनी वैज्ञानिकों का साफ मानना रहा कि ये वायरस सिर्फ फेफड़ों को नहीं, बल्कि शरीर के किसी भी अंग पर असर डाल सकता है. यही वजह है कि वहां पर लंग्स से जुड़े लक्षण लेकर आए मरीजों के अलावा, दूसरे मरीजों की भी कोरोना जांच होती है ताकि समय रहते इलाज शुरू हो जाए. बता दें कि हमारे यहां पर कोरोना के ऐसे मरीजों के मामले आए हैं, जिनमें लंग्स की बजाए हार्ट या ब्रेन वायरस के संक्रमण का शिकार हुआ. यानी अगर कोई मरीज सिर में दर्द की शिकायत लेकर आए या फिर मांसपेशियों में जकड़न हो लेकिन बुखार या खांसी जैसा कोई लक्षण न हो तो भी उसे कोरोना हो सकता है. इसी लाइन के आधार पर चीन में कोरोना टेस्ट हो रहा है.

कुछ दिनों पहले वुहान में 6 नए मामले दिखने के बाद वहां पर पूरे वुहान के टेस्ट की बात कही गई

किया दवा खोजने का दावा
वैसे इस बीच ये खबर भी आ रही है कि चीन ने इस वायरस की असरदार दवा खोज ली है. यहां की पेकिंग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि नई दवा से न केवल बीमार के रिकवरी में लगने वाला समय कम होगा, बल्कि साथ में थोड़े वक्त के लिए वो बीमारी के लिए इम्यून भी हो जाएगा. ये दवा जानवरों पर सफल हो चुकी है. स्टडी में शामिल Sunney Xie ने बताया कि उन्होंने जब बीमार चूहों पर ये दवा इंजेक्ट की तो 5 ही दिनों में वायरल लोड (शरीर में वायरस की संख्या) 2500 गुना तक घट गया. शोधकर्ताओं ने कोरोना से ठीक हुए 60 मरीजों के शरीर से ब्लड लेकर उससे ये एंटीबॉडी तैयार की है. 17 मई को ये स्टडी साइंस जर्नल Cell में प्रकाशित हुई. हालांकि अब तक वैज्ञानिकों ने इसका इंसानों पर परीक्षण नहीं किया है.

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