लद्दाख के कई इलाकों में भारत और चीन ने बढ़ाई सैन्य ताकत | India and China increase military strength in many areas of Ladakh | nation – News in Hindi


सूत्र ने कहा, 1962 के युद्ध के दौरान भी गालवान क्षेत्र टकराव की जगह थी. विवादित क्षेत्रों में टेंट लगाना पिछले कई वर्षों से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की रणनीति है.
सूत्र ने कहा, ‘1962 के युद्ध के दौरान भी गालवान क्षेत्र टकराव की जगह थी. विवादित क्षेत्रों में टेंट लगाना पिछले कई वर्षों से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की रणनीति है.’
रिपोर्ट के अनुसार सूत्र ने कहा, ‘1962 के युद्ध के दौरान भी गालवान क्षेत्र टकराव की जगह थी. विवादित क्षेत्रों में टेंट लगाना पिछले कई वर्षों से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की रणनीति है.’
2018 में डेमचोक सेक्टर में टेंट लगाकर घुसपैठ की!
इसी तरह पीएलए सैनिकों ने 2018 में डेमचोक सेक्टर (जहां सिंधु बहती है) के अंदर लगभग 300-400 मीटर की दूरी पर टेंट लगाकर घुसपैठ की थी. सूत्र ने कहा कि ‘ऐसी परिस्थितियों में, हमें अपने सैनिकों को भी आगे बढ़ाना होता है, जिसके परिणामस्वरूप टकराव का सामना करना पड़ सकता है जिन्हें सैन्य या राजनयिक चैनलों के माध्यम से हल किया जाता है.’इससे पहले भारत और चीन के सैनिकों के दो मौकों पर आमने-सामने आने के सवाल पर सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा कि दोनों मामले आपस में जुड़े नहीं हैं. उन्होंने कहा, “हम मामले-दर-मामले के आधार पर इनसे निपट रहे हैं. मैंने इन तनातनी में कोई एक जैसा प्रारूप नहीं देखा. दो मोर्चों पर युद्ध की बात पर उन्होंने कहा कि यह एक संभावना है और देश को ऐसे परिदृश्य का सामना करने के लिये तैयार रहना चाहिए.
उन्होंने कहा, “यह एक संभावना है. ऐसा नहीं है कि हर बार ऐसा होने जा रहा है. हमें जो भी आपदाएं, विभिन्न परिदृश्य सामने आ सकते हैं उन्हें लेकर सतर्क रहना होगा.”
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First published: May 19, 2020, 8:16 AM IST