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हजारों साल तक टिकेंगे इस डिजाइन के घर, साइक्लोन या भूकंप भी रहेगा बेअसर cyclone resistant and earthquake proof house in low budget | knowledge – News in Hindi

तूफान (cyclone) में ताश के पत्तों की तरह ढहते घर देखकर क्या आप भी डर नहीं जाते! महानगरों में रहने वालों को खासकर ये डर सताता है कि इस तरह की प्राकृतिक आपदा में वे भागकर भी कहीं बच नहीं सकेंगे. फिलहाल सुपर साइक्लोन (Super Cyclone) की चेतावनी भी बंगाल (Bengal) और उड़ीसा (Odisha) के समुद्रतट पर रहने वालों को डरा रही है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक खास तरह से तैयार घर सैकड़ों-हजारों साल तक टिकाऊ रहते हैं.

कैलीफोर्निया (California) के आर्किटेक्ट नादर खलीली (Nader Khalili) ने इस खास घर का प्रस्ताव दिया था. साल 1984 में नादर खलीली ने सबसे पहले नासा (NASA) से अपनी बातचीत में एक ऐसा घर सुझाया जो मंगल ग्रह (planset Mars) की प्रतिकूल परिस्थितियों में भी मजबूती से खड़ा रह सकता है और इसके भीतर रहने वाले सुरक्षित रहेंगे. कैलअर्थ (CalEarth) संस्था की मदद से बनाए जा रहे इन घरों के बारे में कहा जा रहा है कि प्रकृति से तालमेल बनाकर तैयार होने की वजह से ये घर बेहद मजबूत होते हैं.

उड़ीसा और बंगाल में चक्रवाती तूफान की आशंका जताई जा रही है

इन घरों की लागत इतनी कम है कि विश्वभर से कमजोर आर्थिक हालातों वाले या प्रतिकूल हालातों में रह रहे देशों से भी प्रतिनिधि इनका कंस्ट्रक्शन सीखने की कोशिश कर रहे हैं, जैसे वेनेजुएला, ओमान और कोस्टा रिका. इस घर की खासियत है कि ये कम से कम लागत में बनाए जा सकते हैं. इसी वजह से ये दुनियाभर में बिना छत के रह रहे लगभग 1.6 बिलियन लोगों के लिए वरदान साबित हो सकते हैं. अफ्रीकन देशों के अलावा इटली और मैक्सिको में भी इस तरह के घरों के निर्माण पर हाल के दिनों में जोर दिया जा रहा है. इसके निर्माण में रेत के बोरों का इस्तेमाल होता है, जिसके साथ मिट्टी और चूना जैसी बेसिक चीजें लगती हैं.साल 1982 में सबसे पहले नादर ने कैलीफोर्निया में इसका मॉडल तैयार किया, जो सफल रहा. उसे कैलीफोर्निया से बिल्डिंग परमिट भी मिल गया. अगले 10 सालों में वैज्ञानिक ने California Institute of Earth Art and Architecture बनाया, जिसका काम था ये देखना कि दूसरे ग्रहों पर जीवन मिल जाए तो वहां कैसे घर टिकाऊ रहेंगे. शुरुआत में नादर का उद्देश्य यही था कि दूसरे ग्रहों के घर के डिजाइन बना सकें लेकिन बाद में दूसरे देशों की यात्रा और बिना छतों के नीचे रहते लोगों को देखकर उद्देश्य में बदलाव आया.

इसके निर्माण में रेत के बोरों का इस्तेमाल होता है, जिसके साथ मिट्टी और चूना जैसी बेसिक चीजें लगती हैं (Photo-cal earth)

इसके बाद United Nations High Commissioner for Refugees (UNHCR) ने इस खास डिजाइन के घरों का इस्तेमाल किसी भी क्राइसिस सिचुएशन में इमरजेंसी घरों के तौर पर करना शुरू किया. जैसे भूकंप, बाढ़ या तूफान के बाद अपने घर खो चुके लोगों के लिए. ग्रेविटी के सिद्धांत के साथ अपने मेहराब के आकार और रेत के बोरों को खास तरीके से रखे जाने की वजह से तूफान या भूकंप में भी इस घर के टूटने-फूटने का न्यूनतम डर रहता है. यही वजह है मकान के बारे में दावा है कि इनपर भूकंप, आग और तूफान का कोई असर नहीं होता और ये लगभग 500 सालों तक बिना किसी मरम्मत के रहेंगे.

ये घर गुरुत्वाकर्षण पर काम करता है इसलिए वक्त के साथ-साथ और मजबूत होता जाता है. इसकी मेहराब, मौजूदा तर्ज के समतल मकानों से अलग गोलाकार होती है. अगर आपकी छत समतल होगी तो तूफान या भूकंप में वो गिरेगी ही. साथ ही ये मकान सैंडबैग तकनीक पर आधारित होते हैं. ये वही सैंडबैग हैं, जिनका इस्तेमाल बाढ़ में सेना भी करती है.

मकान के बारे में दावा है कि इनपर भूकंप, आग और तूफान का कोई असर नहीं होता (Photo-cal earth)

तीन वजहों से ये घर आने वाले वक्त का घर माना जा रहा है- जलवायु परिवर्तन, बढ़ती जनसंख्या और घर बनाने के लिए काम आने वाले समानों की कमी. प्रकृति पर आधारित होने की वजह से भी वैज्ञानिक इसे मंगल ग्रह से पहले धरती के घरों के रूप में देख रहे हैं.

कौन थे नादिर खलीली
नादिर खलीली ईरान के आर्किटेक्ट थे. अमेरिका में घर बनाने का लाइसेंस मिलने के बाद भी नादिर वहां नहीं रहे, बल्कि पूरी दुनिया घूम-घूमकर लोगों को बेसिक मटेरियल से घर बनाने के लिए प्रोत्साहित करते रहे. साल 1984 में नासा के लिए उन्होंने खास डिजाइन तैयार किया, जो मंगल या चंद्रमा जैसे ग्रहों पर भी टिकाऊ रहेगा. इसे Superadobe नाम दिया गया. बाद में गल्फ युद्ध के दौरान बड़ी संख्या में पर्शियन लोगों के ईरान आने पर नादिर ने रिफ्यूजी लोगों के लिए ऐसे घर तैयार करना शुरू किया. साल 2008 में इनकी मौत के बाद भी कैल अर्थ दुनियाभर के गरीब देशों में इस तरह के घरों के प्रोजेक्ट पर काम कर रही है.

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