साल 2014 में ही रख दी गई थी रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की नींव – Atma Nirbhar Package in Defence an Extension of 2014 Reforms in Pipeline | nation – News in Hindi
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रक्षा निर्माण में विदेशी निवेश की सीमा 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी की गई है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने ऐलान किया कि रक्षा निर्माण में विदेशी निवेश की सीमा 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी की जाएगी.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया कि रक्षा निर्माण में विदेशी निवेश की सीमा 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी की जाएगी. रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने के कई फायदे हैं. इससे दुनिया की बड़ी हथियार कंपनियां ना सिर्फ भारत में निवेश के लिए आकर्षित होंगी बल्कि आधुनिक तकनीक भी भारत आ सकेगी. बता दें कि ये घोषणाएं वास्तवर में साल 2014 से पाइपलाइन में किए गए नीतिगत सुधारों का विस्तार हैं. बता दें कि साल 2001 में भी रक्षा क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को शुरू करने की तैयारी थी. हालांकि उस वक्त की उदासीन नीति और उपयोगकर्ताओं की पहुंच में कमी के चलते ये मामला ठंडे बस्ते में चला गया.
साल 2014 में एक बार फिर रक्षा क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी पर जोर देना शुरू हुआ और नीतिगत सुधार किए गए. हालात धीरे धीरे बदलने लगे. सरकार जानती थी कि निजी क्षेत्र की व्यापक भागीदारी के लिए रक्षा आधुनिकीकरण और स्वदेशीकरण के बीच की खाई को पाटना होगा. पिछले कुछ सालों में हालात बदले और अभी से ही परिणाम दिखना शुरू हो गया है. उदाहरण के लिए, रक्षा लाइसेंस के लिए आवेदन करने वाले उद्योगों की संख्या में तेजी देखी जा रही है. बता दें कि भारत हर साल 100 अरब डॉलर का रक्षा सौदा अलग अलग देशों से करता है.
इसे भी पढ़ें :- निर्मला सीतारमण का ऐलान- सेना के लिए हथियारों के आयात पर धीरे-धीरे रोक लगाएंगेवित्त मंत्री ने कहा कि मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भरता एक भागीदार बन गए हैं, खासकर जब आप रक्षा जैसे उद्योगों के बारे में बात कर रहे हैं. सशस्त्र बलों को सर्वोत्तम उपकरणों और नवीनतम तकनीक की आवश्यकता होती है, इसलिए कुछ नवीनतम हथियार आयात किए जाते रहेंगे. लेकिन कुछ उपकरण भारत में बनाए जा रहे हैं और उन्हें सशस्त्र बलों द्वारा खरीदा जा सकता है.
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