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जानें कैसी है नेपाल की सैन्य ताकत, जिसने की लिपुलेखा पर अपनी सेना तैनाती की घोषणा। know about the strength of nepal army who is creating tension on lipulekha border post | knowledge – News in Hindi

पहली बार नेपाल लिपुलेखा पर अपनी चौकी बनाकर वहां सेना तैनात करने जा रहा है. जानते हैं कि नेपाल सेना की ताकत कितनी है. सैन्य ताकत के मामले में हालांकि नेपाली सेना पड़ोसी भारत के सामने कुछ भी नहीं है लेकिन ये दक्षिण एशिया की सबसे पुरानी सेनाओं में गिनी जाती है. इसे गोर्खाली सेना भी कहते हैं.

सबसे पहले इसे गोर्खाली सेना कहा जाता था. बाद में इसका नाम बदलकर द रॉयल नेपाली आर्मी हुआ लेकिन 240 साल तक चले शाह राजवंश के खत्म होने के बाद इसे फिर से नया नाम मिला. 28 मई 2008 से इसे नया नाम मिला, वो है नेपाली आर्मी यानि नेपाली सेना.
नेपाली सेना कई लड़ाइयों में शिरकत कर चुकी है. खासकर नेपाल के संयुक्त करने के दौरान इस सेना ने कई लड़ाइयां लड़ी थीं. पहले ये सेना चीन और अंग्रेजों से भी मुकाबला कर चुकी है. इसके अलावा ये सेना अंग्रेजों की ओर से पहले और दूसरे विश्व युद्ध में भी शिरकत कर चुकी है. इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से भी नेपाल की सेना सोमाली, सिएरा लेओन, इथियोपिया और सूडान के गृह युद्ध में स्थितियों को संभालने के लिए तैनात की जा चुकी है.

कहां है मुख्यालयनेपाली सेना का मुख्यालय भद्रकाली काठमांडू में है. इस समय जनरल पूर्ण चंद्र थापा इसके प्रमुख हैं. नेपाली सैनिकों ने लगातार अपनी बहादुरी की मिसाल कायम की है. उनकी इस बहादुरी से ही प्रभावित होकर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने गोरखाओं को अपनी सेना में नियुक्त करना शुरू किया था. भारत में बकायदा एक गोरखा रेजीमेंट भी है, जो अंग्रेजों के जमाने से ही चली आ रही है.

सेना पर कितना खर्च
वर्ष 2004 में नेपाल ने अपनी सेना पर 99.2 मिलियन डॉलर का खर्च किया था, जो उनकी जीडीपी का 1.5 फीसदी था. हालांकि इसके बाद सेना पर उनका खर्च लगातार बढ़ता गया. ट्रेड इकोनॉमिक्स वेबसाइट के अनुसार, वर्ष 2017 ये खर्च 405 मिलियन डॉलर तक जा पहुंचा. हालांकि 2018 में इसे कुछ कम करके 397 मिलियन डॉलर कर दिया गया.

सैन्य क्षमता कितनी है
नेपाली आर्मी में करीब 01 लाख इंफेंट्री जवान और वायु सैनिक हैं. अगस्त 2018 में हिमालय टाइम्स ने छापा था कि नेपाल आर्मी की सैन्य क्षमता 96000 सैनिकों की है. वहीं काठमांडू के एक और प्रमुख समाचार पत्र ने इस क्षमता को 92000 बताया था. दुनियाभर के तमाम देशों की सैन्य क्षमता की जानकारी देने वाली साइट ग्लोबल फायरपॉवर के अनुसार, नेपाल की सैन्य क्षमता 95000 सैनिकों की है.

नेपाल सेना की जंगल वारफेयर पलटन काफी जबरदस्त मानी जाती है. इसकी तारीफ भी हो चुकी है

कौन होता है सर्वोच्च कमांडर
नेपाली सेना का सर्वोच्च कमांडर देश का राष्ट्रपति होता है. वर्ष 2006 तक नेपाल के राजा सेना के सभी अंगों के प्रमुख हुआ करते थे.

ये काउंसिल तय करती है सेना के कामकाज
नेपाल में एक नेशनल डिफेंट काउंसिल है, जो वहां की सेना के कामकाज और नीतियों को तय करती है. ये 07 सदस्यीय काउंसिल है. इसमें प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, सेनाध्यक्ष, विदेश मंत्री, वित्त मंत्री, गृह मंत्री और चीफ सेक्रेट्री होते हैं.

कितने डिविजन हैं
नेपाली सेना 08 डिविजन में बंटी हुई है. नेपाल में सात राज्य हैं. हर डिविजन अलग अलग इन राज्यों में है और एक काठमांडू वैली में तैनात है. इसके अलावा सेना की 07 स्वतंत्र इकाइयां भी हैं. ये हैं-
– आर्मी एविएशन डायरेक्टरेट
– स्पेशल फोर्सेज ब्रिगेड
– वीवीआई सेक्युरिटी
– आर्टिलरी ब्रिगेड
– सिगनल ब्रिगेड
– इंजीनियर्स ब्रिगेड
– एयर डिफेंस ब्रिगेड
– वूमन पार्टिशिपेशन इन नेपाल आर्मी

नेपाल की सेना लगातार संयुक्त राष्ट्र संघ के शांति अभियानों में हिस्सा लेकर तमाम अफ्रीकी देशों में तैनात होती रही है

क्या है सेना का मुख्य काम
दूसरे देशों की सेनाओं की तरह नेपाली सेना का मुख्य काम भी देश की सीमाओं की रक्षा, संप्रभुता और नेपाल की स्वतंत्रता को बरकरार रखना है.इसके अलावा उनकी दूसरी भूमिका नेपाल की सरकार की आंतरिक सुरक्षा में मदद करना है. ये सेना संयुक्त राष्ट्र संघ के तमाम शांति अभियानों में भी शिरकत करती है.

नेपाली सेना चीन से कर चुकी है युद्ध
1974 में जब चीन की सेना ने तिब्बत से लगी नेपाली जमीन पर कब्जा करना चाहा तो वहां नेपाल की सेना तैनात की गई, जिसने चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी के खिलाफ गोरिल्ला युद्ध लड़ा.इसमें नेपाल ने साथ ही अपनी बडी़ सेना भी भेजी थी. बाद में चीन के साथ उनका समझौता हो गया. लेकिन ये पहला मौका था जबकि नेपाल ने इतनी बड़ी संख्या में अपनी सेना को सीमा पर भेजा था.

नेपाल सेना चीन के खिलाफ तिब्बत सीमा पर युद्ध भी लड़ चुकी है. बाद में दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर समझौता हो गया था

कौन करता है नेपाली सेना को हथियारों की सप्लाई
अमेरिकी विशेषज्ञ ना केवल नेपाल की सेना को ट्रेंड करते रहे हैं बल्कि उन्हें हथियार, कारतूस की सप्लाई करता है. चीन से कभी युद्ध की सूरत में अमेरिका ने अतिरिक्त कमांडो और सैनिक भेजने का वादा भी किया है. लेकिन ये संधि भारत के साथ कभी युद्ध की सूरत में निष्प्रभावी रहेगी, क्योंकि भारत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अमेरिका का प्रमुख सहयोगी देश है. अमेरिका के कई प्रोगाम्स के तहत भी नेपाल के सैन्य अधिकारियों को ट्रेनिंग दी जाती है.
इसके अलावा भारत बड़े पैमाने पर नेपाल सेना को हथियार, कारतूस और उपकरणों की सप्लाई करता है. जर्मनी, बेल्जियम, इजरायल और साउथ कोरिया से भी उसे हथियारों की सप्लाई होती है

कितने विमान और कितने टैंक
देशों की सैन्य क्षमता के बारे में बताने वाली वेबसाइट ग्लोबल फायर पॉवर के अनुसार नेपाल के पास कोई फाइटर प्लेन नहीं है. उसकी वायुसेना के पास 13 हेलिकॉप्टर हैं और तीन मालवाहक विमान. वहीं पैदल सेना के पास 214 सैन्य बख्तरबंद वाहन हैं , नेपाली सेना के पास कोई टैंक नहीं है. अलबत्ता उसके पास खींची जाने वाली 84 तोपें हैं. नेपाल के पास अपनी कोई नौसेना नहीं है.

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