छत्तीसगढ़

शासकीय भूमि को निजी बताकर विलास जाम्बुलकर ने शासकीय अधिकारी को बेच दी

सबका संदेस न्यूज़ छत्तीसगढ़-देवेंद्र गोरले

शासकीय भूमि को निजी बताकर विलास जाम्बुलकर ने शासकीय अधिकारी को बेच दी नजूल भूमि, शासकीय अधिकारी ने बनवाया दो मंजिला मकान देवेन्द्र गोरले डोंगरगढ- एक समाचार पत्र के कथित संवाददाता विलास जाम्बुलकर का एक नया कारनामा सामने आया है जिसने तहसील कार्यालय की कार्यप्रणाली पर भी कई सवाल खड़े कर दिया है। पत्रकार जगत को बदनाम करने वाले विलास जाम्बुलकर ने कूटरचना कर ना सिर्फ दूसरे की जमीन को स्वंम व परिवार के नाम पर दर्ज करवाया बल्कि पत्रकारिता की आड़ में खसरा नम्बर 407 की शासकीय भूमि को भी अपनी हक की भूमि बताकर उसे मोटी रकम लेकर एक शासकीय अधिकारी को बेच दिया। उक्त मामले का खुलासा शासन द्वारा जारी मेंटेनेंस खसरा व नक्शा से हाउस जिसमें स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि भूखंड क्रमांक 407 खाली नजूल भूमि है जिसका क्षेत्रफल 5850 वर्गफुट है। हैरानी की बात तो यह है कि तत्कालीन कृषि विस्तार अधिकारी ने भी बिना किसी जांच पड़ताल के लाखों रुपये की जमीन को लालच में आकर औने पौने दाम में खरीद ली और तो और बिना रजिस्ट्री के ही वहां पर दो मंजिला मकान खड़ा कर लिया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उक्त जमीन की आज तक रजिस्ट्री नहीं हुई है केवल नोटरी के आधार पर इस शासकीय भूमि की खरीदी बिक्री हो गई। प्राप्त जानकारी के अनुसार विलास जाम्बुलकर के द्वारा नजूल सीट क्रमांक 1 के भूखंड क्रमांक 405 के बाजू की खसरा नंबर 407 खाली नजूल भूमि क्षेत्रफल 5850 वर्गफुट को अपने हक की भूमि बताकर तत्कालीन कृषि विस्तार अधिकारी को औने पौने दाम में बेच दी और रजिस्ट्री की जगह केवल नोटरी थमा दी। कृषि विस्तार अधिकारी ने भी कम दाम के चक्कर में बिना किसी जांच के शासकीय भूमि को खरीद ली और वहां पर दो मंजिला मकान खड़ा कर लिया जबकि एक शासकीय अधिकारी कर्मचारी को तो आम आदमी से ज्यादा नॉलेज होता है उसके बावजूद बिना किसी जांच पड़ताल के शासकीय भूमि की खरीदी कर ली और तो और लोगों को नियम कानून की जानकारी देने वाले अधिवक्ता ने कैसे शासकीय भूमि की खरीदी बिक्री के स्टाम्प की नोटरी कर दी ।

अवैध कब्जा कर बनाया प्रेस कार्यालय- आपको बता दें कि नजूल शीट क्रमांक 1 के भूखंड क्रमांक 405 जिसका वास्तविक क्षेत्रफल 5000 स्क्वेयर फिट है और यह शेख वजीर पिता शेख अंजून के नाम पर दर्ज थी इसे कूटरचना कर विलास जाम्बुलकर ने ना सिर्फ स्वम व परिवार के नाम पर दर्ज कराया है बल्कि इसके आसपास के खसरों को मिलाकर इसका क्षेत्रफल बढाकर 1 लाख 35 हजार 36 स्क्वेयर फिट कर दिया। जिसके आधार पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग का कार्यालय, वन परिक्षेत्र उत्पादन का जांच नाका, एवं नया पुराना कार्यालय, सहित आसपास की सारी जमीनों को स्वम की स्वामित्व की भूमि बताकर वन परिक्षेत्र उत्पादन का पुराना कार्यालय की खाली करवाकर विलास जाम्बुलकर ने वहां पर अपना प्रेस कार्यालय बना लिया और इसी के बाजू की जमीन खसरा नम्बर 407 की शासकीय भूमि को भी एक सरकारी कर्मचारी को बेच दिया वह भी बिना रजिस्ट्री के। अब लगभग दो साल बीतने जा रहा उक्त सरकारी कर्मचारी के पास केवल एग्रीमेंट का आश्वासन है पर उक्त भूमि की रजिस्ट्री आज पर्यन्त विलास जाम्बुलकर ने नही कराई है क्योंकि उक्त भूमि पर विलास जाम्बुलकर का ही स्वामित्व नहीं है तो वह उक्त सरकारी अधिकारी को स्वामित्व कहा से देगा।

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