क्वारैण्टीन सेंटरों से क्यों भाग रहे हैं लोग? क्यों चुन रहे हैं मौत? | Know why people are running away from quarantine centers and committing suicide | knowledge – News in Hindi

राज्य सरकारें कोविड 19 के आशंकित मरीज़ों के लिए क्वारैण्टीन सेंटरों का इंतज़ाम कर रही हैं, लेकिन केस बढ़ने के साथ ही इन सेंटरों पर लोड बढ़ रहा है, जिसके चलते माकूल सुविधाओं और सुरक्षा को लेकर स्थितियां बिगड़ रही हैं. अपने डर और शंकाओं के कारण लोग इन सेंटरों से भाग रहे हैं. इनमें से कई मौत को विकल्प के तौर पर चुन रहे हैं. जानें चौंकाने और डराने वाली यह पूरी तस्वीर क्या है.
क्वारैण्टीन से भागकर खुदकुशी!
देश के कई हिस्सों में क्वारैण्टीन सेंटरों से भागकर खुदकुशी करने के मामले लगातार बढ़ते दिख रहे हैं. यह निष्कर्ष निकालती टीओआई की रिपोर्ट बताती है कि महाराष्ट्र के यवतमाल से ऐसा ही एक मामला बीते शनिवार को सामने आया जब सेंटर से भागकर एक व्यक्ति पेड़ पर फंदे पर झूल गया. इससे पहले, गुरुवार को ओडिशा के मयूरभंज से ऐसी ही खुदकुशी का मामला सामने आया था.तमिलनाडु के सबसे बड़े स्वास्थ्य सुविधा केंद्र राजीव गांधी सरकारी अस्पताल से 43 वर्षीय सुंदरराज पिछले 48 घंटों से लापता है और पुलिस को उसका पता नहीं चल सका है. चिंता की बात यह है कि सुंदरराज उस ‘कोयम्बेडू क्लस्टर’ का हिस्सा है, जिसके ज़रिये तमिलनाडु में 2000 लोग संक्रमित पाए गए.

क्वारैण्टीन सेंटरों में मरीज़ों ने भारी असुविधाओं की शिकायतें कीं. फाइल फोटो.
सेंटरों से क्यों भाग रहे हैं लोग?
पड़ताल करती रिपोर्ट में बताया गया है कि गंदे कमरे व टॉयलेट, बहुत छोटा सी जगह, खराब बर्ताव और भोजन के लिए मारामारी जैसी वजहों से लोग क्वारैण्टीन सेंटरों से भाग रहे हैं. बीते शुक्रवार को झारखंड के लातेहार के एक सेंटर से 100 प्रवासी ऐसी ही असुविधाओं के कारण भाग गए थे, जिन्हें पुलिस वापस सेंटर में लेकर आई. इसी तरह, बिहार के कई ज़िलों से भी ऐसी खबरें हैं. बीते गुरुवार को ही नालंदा सेंटर से 17 लोग भागे थे.
इन सेंटरों में अमानवीय बर्ताव!
कोविड 19 संक्रमण के शक के चलते क्वारैण्टीन सेंटरों में लाए गए लोगों के साथ अजीब किस्म का बर्ताव किए जाने की खबरें हैं. पुणे के सेंटर की एक महिला ने बताया ‘जब इनचार्ज फूड पैकेट देने आता है, तो पैर से धक्का मारकर दरवाज़ा खोलता है और पैकेट फेंककर चला जाता है. हम लोग अछूत या भिखारी नहीं हैं.’ राजस्थान की एक यूनिवर्सिटी में क्वारैण्टीन किए गए एक और व्यक्ति ने यही कहा कि ‘ऐसा बर्ताव अमानवीय है. हम संदिग्ध बीमार हैं, लेकिन सम्मान के हकदार तो हैं.’
साफ सफाई और भोजन संबंधी शिकायतें
कई सेंटरों पर ये आम शिकायतें हैं. टीओआई के मुताबिक राजस्थान के क्वारैण्टीन सेंटरों में ये शिकायतें सामने आईं, खास तौर से अस्वच्छ वॉशरूम और भोजन मिलने में देर होने संबंधी. वहीं, मुंबई और उसके आसपास करीब 12 हज़ार लोगों को संस्थाओं में क्वारैण्टीन किया गया है और इन सेंटरों में गंदे टॉयलेट और बहुत कम भोजन दिए जाने की शिकायतें सबसे आम हैं. इनके अलावा, गंदे चादरों और मच्छरों से जुड़ी शिकायतें भी पता चली हैं.
दवाओं व मेडिकल केयर भी ठीक नहीं
कई जगह पर समय पर दवाएं न मिलने और स्वास्थ्य सुरक्षा में लापरवाही की शिकायतें भी सामने आई हैं. मुंबई में ही भिवंडी में एक परिवार को हाउसिंग कॉलोनी में क्वारैण्टीन किया गया है. इस परिवार ने शिकायत दर्ज करवाई कि उनसे अपनी दवाएं साथ लाने को कहा गया और जल्दबाज़ी में वो पूरा स्टॉक नहीं ला पाए क्योंकि परिवार में एक व्यक्ति डायबिटीज़ का शिकार है. अब डॉक्टर एक मंज़िल ही नीचे होता है लेकिन राउंड पर न के बराबर आता है और दवाओं के लिए मोहताजी महसूस हो रही है.

क्वारैण्टीन सेंटरों पर दवाओं और मेडिकल केयर संबंधी सुविधाएं भी सवालों के घेरे में हैं. फाइल फोटो.
इस तरह की तमाम स्थितियों से जूझ रहे लोगों में से कई इन सेंटरों से भागने पर मजबूर हो रहे हैं और उनमें से भी ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जहां लोग डर, उलझन, ‘अनवॉंटेड फीलिंग’ जैसी मानसिक स्थितियों के चलते मौत को गले लगा रहे हैं. ये हालत सरकारी स्तर पर किए गए क्वारैण्टीन सेंटरों की ही नहीं है. कर्नाटक के एक होटल में 83 लोगों को शुल्क देकर एक होटल में क्वारैण्टीन किया गया है और वहां भी खराब प्रबंधन की शिकायतें हैं.
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