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इस यूरोपियन मुल्क ने खुद को बताया कोरोना-फ्री, मृत्युदर भी सबसे कम, ये है वजह european nation slovakia is corona free reasons | knowledge – News in Hindi

इस यूरोपियन मुल्क ने खुद को बताया कोरोना-फ्री, मृत्युदर भी सबसे कम, ये है वजह

स्लोवाकिया यूरोप का पहला देश है, जो कोरोना वायरस-फ्री हो चुका है

स्लोवाकिया (Slovakia) यूरोप का पहला देश है, जो कोरोना वायरस-फ्री (coronavirus free) हो चुका है. एक तरफ जब बड़े-बड़े विकसित देश संक्रमण से जूझ रहे हैं, वहां लगभग 54 लाख की आबादी वाले इस देश में कोरोना के कारण पर कैपिटा मृत्युदर भी सबसे कम (lowest per-capita death rate) है.

दुनियाभर में कोरोना संक्रमण (corona infection) का आंकड़ा 47 लाख पार कर चुका है. सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में अमेरिका (America) के बाद सारे बड़े यूरोपीय देश हैं. वहीं स्लोवाकिया (Slovakia) में कोरोना पॉजिटिव (corona positive) लोगों की संख्या मात्र 1,493 है, जिनमें 28 मौतें शामिल हैं. जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी (John Hopkins University) के मुताबिक यहां कोरोना के कारण मृत्युदर पूरे यूरोप में सबसे कम दर्ज हुई और 8 मई से यहां कोई भी नया केस नहीं आ रहा. इसे देखते हुए देश ने खुद को कोरोना मुक्त घोषित कर दिया है. अब धीरे-धीरे यहां जीवन सामान्य ढर्रे पर आ रहा है.

6 मार्च को कोरोना संक्रमण का पहला मामला आने के 10 दिनों के भीतर ही स्लोवाकिया ने लॉकडाउन लगा दिया. बॉर्डर सील कर दिए. स्कूल-कॉलेज बंद हो गए और फेस मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया. यहां तक कि देश के प्रेसिडेंट और प्राइम मिनिस्टर भी मास्क और ग्लव्स में नजर आने लगे. इससे लोगों के बीच संदेश गया कि मास्क पहनना कितना जरूरी है. वहीं अगर सबसे विकसित देश माने जाने वाले अमेरिका की बात करें तो स्लोवाकिया से 60 गुने से भी ज्यादा आबादी वाले इस देश में पहला कोरोना पॉजिटिव जनवरी में आया. लेकिन उसके बाद भी वहां लॉकडाउन और सीमाएं बंद करने जैसे फैसले काफी देर से लिए गए. वैसे 3 मुख्य बातें स्लोवाकिया को कोरोना संक्रमण के मामले में सक्सेस स्टोरी बनाती हैं.

कोरोना संक्रमण का पहला मामला आने के 10 दिनों के भीतर ही स्लोवाकिया ने लॉकडाउन लगा दिया

सबसे अहम रही- देश की राजनैतिक लीडरशिप. प्रेसिडेंट Zuzana Čaputová की सरकार संक्रमण के दौरान ही सत्ता में आई लेकिन इसके बाद भी उन्होंने संक्रमण पर तुरंत एक्शन लिया. यहां तक कि अपने शपथग्रहण समारोह में भी प्रेसिडेंट और सरकार के लोग मास्क में रहे. इससे आम लोग भी तुरंत मास्क पहनने लगे. दूसरे देशों, जैसे अमेरिका में भी प्रेसिडेंट ट्रंप या वाइस प्रेसिडेंट माइक पेन्स ने सार्वजनिक तौर पर ही मास्क पहनने से इनकार कर दिया. ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन भी अब तक मास्क पहने नहीं दिखे हैं, जबकि वे खुद कोरोना संक्रमित हो चुके हैं.स्लोवाकिया दुनिया के चुनिंदा देशों में से है, जिसने आउटब्रेक की शुरुआत में ही मास्क अनिवार्य कर दिया, जबकि हाल-हाल तक World Health Organization भी इसे सिर्फ मरीजों के लिए जरूरी बताता रहा. लोगों में मास्क पहनने को बढ़ावा देने के लिए देश में ऑनलाइन मुहिम चलाई गई, जिसमें लोग मास्क पहनकर फोटो डाल रहे थे. इससे स्वीकार्यता बढ़ी.

द अटलांटिक में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार स्लोवाकिया में इस लाइन पर काम किया गया कि दूसरों को प्रोटेक्ट रखें और आप खुद सुरक्षित रहेंगे. पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट की कमी स्लोवाकिया में भी दिखी लेकिन लोगों ने खुद इसे संभालने की जिम्मा लिया. जैसे बुटीक चलाने वालों ने मास्क बनाने का जिम्मा लिया और आपस में तय किया कि वे कितने लोगों तक ये पहुंचाएंगे.

स्लोवाकिया दुनिया के चुनिंदा देशों में से है, जिसने आउटब्रेक की शुरुआत में ही मास्क अनिवार्य कर दिया

तीसरा और बेहद अहम कदम था शुरुआत में ही लॉकडाउन. 6 मार्च को वेनिस से लौटे 52 साल के मरीज में कोरोना के माइल्ड लक्षण दिखे. पीएम Pellegrini ने उसी दिन प्रेस ब्रीफिंग में ये बताते हुए लोगों को संभलकर रहने की सलाह दी. और तुरंत ही बंदी का एक्शन ले लिया गया. यहां ये बता दें कि स्लोवाकिया का पब्लिक हेल्थ सिस्टम यूरोपियन देशों जैसे इटली, फ्रांस, जर्मनी जैसा मजबूत नहीं, यही वजह है कि देश ने खुद को सुरक्षित रखने के लिए पहले ही कार्रवाई की.

अब नए मामले आने बंद होने के बाद से यहां धीरे-धीरे लॉकडाउन खोला जा रहा है, जो कम आबादी वाला देश होने के कारण अपेक्षाकृत आसान है. इसके बाद भी स्कूल-कॉलेज बंद हैं और 20 से ज्यादा की संख्या में लोगों का एक जगह इकट्ठा होना मना है. हालांकि छोटे रेस्त्रां, दुकानें, म्यूजियम और आर्ट गैलरी जैसी जगहें खोली जा रही हैं.

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First published: May 17, 2020, 9:01 AM IST



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