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368 dead in road accidents during lockdown | लॉकडाउनः घर जाने की उम्मीद में जान गंवाते मजदूर, सड़क दुर्घटनाओं में 368 की मौत | nation – News in Hindi

नई दिल्ली. राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन (Lockdown) लागू होने के बाद से घर लौटने वाले प्रवासी मजदूरों का सड़कों पर हुजूम उमड़ पड़ा. लेकिन घर पहुंचने से पहले बीच रास्ते में ही उनमें से कई को कभी वाहनों ने रौंद दिया, कभी उनके वाहन पलट गए या दो गाड़ियों के बीच टक्कर में उनकी मौत हो गई, या कभी पटरियों पर रेलगाड़ी से कट कर मौत हो गई. प्रवासी मजदूरों की असामयिक मौत होने का यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है.

देश में सड़क हादसों में कमी लाने पर काम कर रहे गैर-लाभकारी संगठन सेव लाइफ फाउंडेशन के अनुसार 25 मार्च को लॉकडाउन शुरू होने के बाद से 16 मई सुबह 11 बजे तक लगभग 2,000 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें 368 लोगों की मौत हुई है. इनमें अपने घरों को लौट रहे 139 प्रवासी, आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति करने वाले 27 लोग और 202 अन्य लोग शामिल हैं.

सेव इंडिया फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) पीयूष तिवारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ ने कहा, ‘कुल 368 मौतों में अकेले उत्तर प्रदेश में 100 से अधिक लोगों की मौत हुई है. इसके अलावा मध्य प्रदेश में 30, तेलंगाना में 22, महाराष्ट्र में 19 और पंजाब में 17 लोगों की मौत हुई. अधिकतर मामले में वाहनों की तेज गति सड़क दुर्घटना का प्रमुख कारण रही है.’ अधिकतर दुर्घटनाएं अंधेरे में हुईं.

ऐसी ही एक दुर्घटना शनिवार तड़के करीब साढ़े तीन बजे उत्तर प्रदेश के औरेया में राजमार्ग के निकट हुई, जहां एक वाहन एक ट्रक से टकरा गया. दुर्घटना में कम से कम 24 लोगों की मौत हो गई और 36 अन्य घायल हो गए. इनमें से एक वाहन प्रवासी कामगारों को लेकर दिल्ली से मध्य प्रदेश, जबकि दूसर वाहन राजस्थान जा रहा था. घटना के समय इनमें से कुछ कामगार चाय पीने के लिए रुके थे और अन्य मजदूर संभवत: सड़क किनारे या वाहन में सो रहे थे.इन राज्यों से थे मजदूर
अधिकारियों के अनुसार मृतकों में अधिकतर लोग झारखंड और पश्चिम बंगाल के निवासी से थे. इसके अलावा उत्तर प्रदेश के कुशीनगर के भी कुछ निवासियों की जान चली गई. खबरों के मुताबिक कुछ मजदूर सीमेंट के कट्टों से भरे एक वाहन के नीचे आकर दब गए होंगे.

इसके कुछ ही घंटों के बाद मध्य प्रदेश के सागर में भी ऐसी ही दुर्घटना हुई, जब मजदूरों को महाराष्ट्र से उत्तर प्रदेश जा रहा ट्रक सागर-कानपुर रोड पर पलट गया. इस दुर्घटना में पांच मजदूरों की मौत हो गई. लॉकडाउन के बीच खाली सड़कों पर तेज गति वाले वाहन ऐसे लोगों की जान खतरे में डाल रहे हैं, जिनके पास लॉकडाउन के चलते न तो पैसा है और न ही काम. वे किसी भी तरह घर लौटना चाहते हैं.

अलग-अलग जगहों पर हुई दुर्घटनाएं

मध्य प्रदेश के गुना में बृहस्पतिवार और शुक्रवार को दो अलग अलग सड़क हादसों में लगभग 14 प्रवासियों की मौत हो गई और 60 लोग घायल हो गए. इसी तरह उत्तर प्रदेश में शुक्रवार को अलग अलग सड़क दुर्घटनाओं में छह प्रवासी कामगारों की मौत हुई और 95 लोग घायल हो गए.

अधिकारियों ने बताया कि एक दिन पहले पंजाब से पैदल बिहार जा रहे छह प्रवासी कामगारों को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फनगर में दिल्ली-सहारनपुर राजमार्ग पर रोडवेज बस ने टक्कर मारी दी, जिसमें उनकी जान चली गई.

सबसे खौफनाक हादसा महाराष्ट्र के औरंगाबाद के निकट पटरी पर हुआ, जहां मध्य प्रदेश जा रहे 16 प्रवासी कामगारों की मालगाड़ी से कट कर मौत हो गई. जालना की इस्पात इकाई में काम करने वाले 20 लोगों का समूह भूख और पैसे की तंगी के चलते मध्य प्रदेश लौट रहा था. लेकिन इनमें से चार लोग ही मौत से बच पाए. जो रोटियां उन्होंने सफर में खाने लिए रखी थीं, वे पटरी पर बिखरी पड़ी मिलीं थी.

उसी दिन मजदूर दंपति, कृष्णा साहू (45) और उनकी पत्नी प्रमिला (40) को लखनऊ से छत्तीसगढ़ जाने वाले रास्ते पर एक अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी. वे साइकिल पर पांच साल से कम उम्र के दो बच्चों के साथ जा रहे थे. लेकिन इस हादसे ने बच्चों के सिर से मां-बाप का साया हमेशा के लिए छीन लिया.

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