कोविड-19: महामारी रोकने के लिए लगे लॉकडाउन के दौरान 80% से ज्यादा भारतीय घरों की कमाई हुई खत्म । Covid-19 pandemic Over 80 per cent of Indian homes lost income in lockdown | nation – News in Hindi
एक स्टडी में सामने आया है कि लॉकडाउन के दौरान 84% भारतीय परिवारों ने अपनी आय खोई है (सांकेतिक तस्वीर, AP)
सबसे अधिक चिंता की बात यह भी कि उन्होंने यह पाया कि सभी घरों (households) में से 34% अतिरिक्त सहायता (additional assistance) के बिना एक सप्ताह से अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकते थे.
शिकागो बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस के स्टडी सेंटर फॉर सोशल सेक्टर इनोवेशन ने सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी प्राइवेट लिमिटेड (Center for Monitoring Indian Economy Pvt) ने अप्रैल में 27 भारतीय राज्यों के लगभग 5,800 घरों से सर्वेक्षणों (surveys) के जरिए जुटाये आंकड़ों का विश्लेषण किया था. जिसमें शोधकर्ताओं (Researchers) ने पाया कि ग्रामीण क्षेत्रों पर इसका सबसे बुरा प्रभाव पड़ा था और कोरोना वायरस के प्रसार का आर्थिक प्रभाव पर बहुत कम असर हुआ था.
कड़े लॉकडाउन के चलते 10 करोड़ भारतीयों को धोना पड़ा नौकरी से हाथ
इसमें लिखा गया, “बल्कि, लॉकडाउन से पहले प्रति व्यक्ति आय, लॉकडाउन की कड़ाई (lockdown severity), और सहायता वितरण की प्रभावशीलता की संभावना इसकी वजह बने.”निष्कर्ष सीएमआईई और अन्य के पिछले आंकड़ों के मुताबिक हैं, जिससे पता चला है कि 25 मार्च से, जबसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सभी आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन और बिक्री को रोक दिया था, 10 करोड़ से अधिक भारतीयों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है. हालांकि उनकी सरकार ने गुरुवार को भारत के विशाल अनौपचारिक क्षेत्र में किसानों और श्रमिकों को सस्ते कर्ज और मुफ्त भोजन की पेशकश की ताकि उनका दर्द कम किया जा सके.
देश के सभी परिवारों में से 34% बिना अतिरिक्त सहायता एक हफ्ते भी नहीं जी पाएंगे
130 करोड़ लोगों के राष्ट्र के दो सबसे बड़े धार्मिक समूह – हिंदू और मुस्लिम, दोनों ही लॉकडाउन से बुरी तरह प्रभावित थे, और सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, बिहार (Bihar), झारखंड और हरियाणा थे. अध्ययन के लेखक शिकागो बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर मैरिएन बर्ट्रेंड, सीएमआईई (CMII) के मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक कृष्णन और पेरेलल स्कूल ऑफ मेडिसिन और व्हार्टन स्कूल में सहायक प्रोफेसर हीथर शोफील्ड हैं.
सबसे अधिक चिंता की बात यह भी कि उन्होंने यह पाया कि सभी घरों में से 34% अतिरिक्त सहायता (additional assistance) के बिना एक सप्ताह से अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकते थे.
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First published: May 16, 2020, 6:20 PM IST