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महाराष्ट्र से MP बॉर्डर पर उतारे गए हजारों प्रवासी मजदूर, घर जाने के लिए बस का कर रहे इंतजार-Thousands of migrant laborers landed on MP border from Maharashtra, waiting for bus to go home | barwani – News in Hindi

बड़वानी. महाराष्ट्र में परिवहन अधिकारियों (Maharashtra Transport Officials) के अनुसार लगभग 1 लाख 36 हजार प्रवासियों (Migrant Workers) को अलग-अलग राज्य की सीमाओं तक पहुंचा दिया गया है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कुल प्रवासियों में से लगभग 70 प्रतिशत को मध्य प्रदेश की सीमा पर उतार दिया गया है. महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के प्रवेश द्वार बीजासन घाट (Bijasan Ghat) पर खड़े शंभु राजभर लगातार दो दिन से बस के लिए संघर्ष (Struggling For Buses) कर रहे हैं ताकि वे अपने घर लौट सकें. उन्हें बिजासन घाट पर बस का इंतजार करते हुए दो दिन हो गए हैं लेकिन उन्हें बस नहीं मिल रही है. उन्हें अपने घर तक पहुंचने के लिए अभी और लंबी यात्रा करनी बाकी है. उनकी लंबी यात्रा का अंतिम पड़ाव नेपाल सीमा के पास यूपी का महाराजगंज जिला है. वे यहाँ अकेले बस का इंतजार नहीं कर रहे हैं.

बस नहीं मिली तो पुलिस से भिड़े मजदूर

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, पिछले सप्ताह दो दिनों के भीतर महाराष्ट्र के लगभग 13,000 प्रवासी यूपी, बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल जाने की मांग करते हुए बड़वानी जिले के घाट पर पहुंचे थे. इन सभी प्रवासियों में राजभर जितना धैर्य नहीं था इसलिए उनमें से कई प्रवासी पुलिस के साथ भिड़ गए और पत्थरबाजी करने लगे और राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया.

महाराष्ट्र सरकार ने मजदूरों के लिए शुरू की बस सेवा10 मई के बाद से ही महाराष्ट्र सरकार ने प्रवासियों को पैदल ही उनके घरों के लिए निकलने से रोकने के लिए राज्य की बसों में उन्हें यहाँ ढोने का काम शुरू किया तभी से यह चौकी बसों में सीटों के लिए एक लड़ाई का मैदान बन कर रह गई है.

10 हजार प्रवासियों को यहां छोड़ा गया

महाराष्ट्र के अधिकारियों के अनुसार हर दिन औसतन 10,000 से अधिक प्रवासियों को बसों द्वारा यहाँ छोड़ा जा रहा है. इस पर बड़वानी के एसपी डी. आर. तेनीवार ने कहा कि हम अब महाराष्ट्र सरकार से कह रहे हैं कि वह प्रवासियों की इस आमद को थोड़ा कम करे. अन्य राज्यों की सीमाएँ यहाँ से लगभग 600 किमी दूर हैं इसलिए बसों से जल्द से जल्द उन्हें यहाँ से ले जा पाना संभव नहीं है और इस तरह यहाँ बहुत भीड़ इकट्ठी हो गई है.

पिकअप और ड्रॉपअप प्वाइंट बनाए

यहाँ सीमा पर अलग-अलग राज्यों के लिए अलग-अलग पिक-अप और ड्रॉप-ऑफ पॉइंट स्थापित किए गए हैं. महाराष्ट्र से जाने वाली बसें मप्र के अंदर लगभग 300 मीटर आगे जाकर घाट पर माता मंदिर के पास जाकर रूकती हैं. वह पिक-अप पॉइंट जहां से प्रवासियों को भवारगढ़ गाँव की ओर से आगे ले जाया जाएगा, वह यहाँ से एक किमी दूर है.

कई दिनों से भूखे और प्यासे हैं मजदूर

इन दोनों स्थानों पर इंडियन एक्सप्रेस के संवाददाता को सैंकड़ों प्रवासी मिले और वे सभी अगली बस की प्रतीक्षा कर रहे थे. लगभग सभी कई दिनों से भूखे प्यासे थे. वहां किसी तरह की सोशल डिस्टन्सिंग भी नहीं दिखाई दी.

बसों का दिन रात कर रहे हैं मजदूर इंतजार

झारखंड की बस के लिए दिन रात इंतजार कर रहे 37 वर्षीय अख्तर खान ने कहा कि किसी को हमारी चिंता नहीं है. हमें यहाँ धूप में लाइन लगाकर बसों का इंतजार करने के लिए कहा गया लेकिन बसें कहीं नहीं है.

यहां कई राज्यों के अप्रवासी मजदूर फंसे हुए हैं

22 वर्षीय रमेश माने, जो ओडिशा जाने के लिए बस के इंतजार में खड़े 50 लोगों के समूह का हिस्सा थे और मुंबई में एक मजदूर के रूप में काम करते थे, ने कहा कि हम सबको सिर्फ एक बस चाहिए लेकिन इनके पास वह भी नहीं है. इसी तरह एक प्रवासी 26 साल के इम्तियाज आलम, जो भागलपुर पहुंचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, ने कहा कि कोई बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बताएं कि यहाँ हमारे लिए कोई बस नहीं है.

मध्य प्रदेश सरकार ने 20 बसों का किया था इंतजाम

प्रवासी मजदूरों की इस कड़वाहट को देखते हुए मप्र सरकार ने लगभग 200 किलोमीटर दूर देवास में एक अस्थायी ट्रांजिट पॉइंट तक इन प्रवासियों को ले जाने के लिए 20 बसों का इंतजाम किया लेकिन जैसे ही वे बसें यहाँ आईं हजारों लोग बएस में सीट पाने के लिए दौड़ पड़े.

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