कोरोना संकट: प्राइवेट अस्पतालों में बढ़ा इलाज का खर्चा, मरीजों से लिए जा रहे PPE और सैनिटाइजेशन चार्ज | covid 19 crisis private hospital treatment cost goes by 10 25 percent due to ppe sanitisation measures | nation – News in Hindi


हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां इलाज में हो रहे इस एक्स्ट्रा चार्जेस को अभी कवर भी नहीं कर रही हैं.
प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती जिन मरीजों का ब्लड ट्रांसफ्यूज़न, डायलिसिस और कीमोथेरेपी हो रहा है, उनके बिल में अब अस्पताल PPE किट और सैनिटाइजेशन के चार्जेस भी जोड़ रहे हैं.
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लॉकडाउन में चीजों को आसान करने के लिए प्राइवेट अस्पतालों ने रोगी सेवा और वैकल्पिक सर्जरी शुरू कर दी है. लेकिन, इससे गैर-कोरोना मरीजों के इलाज का बिल बढ़ता जा रहा है. प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती जिन मरीजों का ब्लड ट्रांसफ्यूज़न, डायलिसिस और कीमोथेरेपी हो रहा है, उनके बिल में अब अस्पताल PPE किट और सैनिटाइजेशन के चार्जेस भी जोड़ रहे हैं.
फोर्टिस हेल्थकेयर के प्रवक्ता ने कहा, ‘कुल मिलाकर हमारे लिए लागत बढ़ गई है. डिसइंफेक्शन, स्टरीलाइजेशन (नसबंदी), इंफेक्शन कंट्रोल, आइसोलेशन वार्ड, स्टाफ रोटेशन और क्वॉरंटाइन्स, डिस्पोजल को नष्ट करना और सैनिटाइजेशन अब जरूरी हो गया है. इससे खर्चा तो बढ़ेगा ही. शारीरिक दूरी ने भी लॉजिस्टिक कॉस्ट को बढ़ा दिया है. हालांकि, मरीजों के इलाज के बिल में इससे मामूली बढ़ोतरी हुई है (पीपीई किट, मास्क और सैनिटाइजेशन की वजह से ये स्वभाविक भी है).’
फोर्टिस हेल्थकेयर के प्रवक्ता के मुताबिक, ‘इन सब इंतजाम करने में फोर्टिस के कुल लागत में 3 से 5 फीसदी का इजाफा हुआ है. यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कोई भी बढ़ोतरी मरीज के लिए डायरेक्ट इनपुट लागत के कारण होती है. अस्पताल में संक्रमण-मुक्त और सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करने के लिए किए ऐसा होना ही था.’वह आगे बताते हैं, ‘हालांकि, इससे कीमोथेरेपी और डायलिसिस के चार्ज में कोई इजाफा नहीं किया गया है. हां मगर, इलेक्टिव सर्जरी में पीपीई किट का चार्ज जोड़ा गया है. क्योंकि ऐसी सर्जरी में सुरक्षा के लिहाज से पीपीई किट जरूरी है. मरीजों के लिए पीपीई की कीमत MRP से कम ही रखी गई है, ताकि उनपर ज्यादा आर्थिक बोझ न पड़े.’
वैसे तो पीपीई किट कोविड-19 के मरीजों के लिए इलाज करने में बहुत जरूरी है, लेकिन चिंता की बात ये है कि भारत में 80 फीसदी कोरोना मरीजों में लक्षण दिख ही नहीं रहे हैं. ऐसे में ये समझ पाना मुश्किल है कि अस्पताल में आ रहा मरीज सामान्य मरीज है या कोरोना संक्रमित. लिहाजा सुरक्षा के लिहाज से हेल्थकेयर स्टाफ पीपीई किट का इस्तेमाल कर रहे हैं.
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First published: May 16, 2020, 8:39 AM IST