छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

मेमू लोकल पायलटों को डेढ़ माह बाद मिली मेन्टेनेंस के लिए रैक लाने ले जाने की जिम्मेदारी

भिलाई । लॉकडाउन के चलते स्टेशनों के प्लेटफार्म में खड़ी मेमू लोकल ट्रेनों के मेन्टेनेंस की आड़ में रेलवे प्रशासन ने पायलटों को लर्निंग रूट से बचाने की कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए लगभग डेढ़ माह बाद मेमू लोकल के पायलटों की ड्यूटी लगानी शुरू हो गई है। इन पायलटों को भिलाई के मेमू मेन्टेनेंस डिपो से रैक को ले जाने और लाने की जवाबदारी सौंपी गई है।

रेलवे ने मेमू लोको पायलटों को लेकर आने वाले दिनों में तकनीकी दिक्कत की संभावनाओं को टालने एक तीर से दो शिकार करने की कहावत को चरितार्थ किया है। रेलवे द्वारा लगभग डेढ माह बाद मेमू लोको पायलटों को ड्यूटी सौंपे जाने से ऐसा प्रतीत हो रहा है।

रेलवे में लोको पायलटों के लिए अनेक कड़े नियम बनाये गए हैं। इसी में से एक नियम तीन माह लगातार ड्यूटी नहीं करने की स्थिति में पायलटों को ट्रेनिंग में भेजे जाने की अनिवार्य है। रेलव का मानना है कि एक पायलट तीन महीने तक मेन लाइन पर ट्रेन नहीं चलाता है तो उस समय सीमा के भीतर रूट में आये संभावित बदलाव से उसका अनभिज्ञ रहना दुर्घटना का कारण बन सकता है। संशय और अनहोनी की आशंका के चलते तीन महीने तक ड्यूटी नहीं करने वाले पायलट कभी कभी स्वयं भी बिना लर्निंग रूट के ड्यूटी करने से इंकार कर देते हैं।

यहां पर यह बताना भी लाजिमी होगा कि कोरोना संक्रमण के चलते प्रदेश में 25 मार्च से मेमू लोकल ट्रेनों का परिचालन बंद रखा गया है। इस दौरान गुड्स ट्रेन का परिचालन जारी रहने से उसके पायलट निरंतर ड्यूटी कर रहे हैं। वहीं मेल एक्सप्रेस व पैसेंजर ट्रेनों  के पायलट की भी ड्यूटी अब श्रमिक स्पेशल ट्रेन में लगने लगी है। लेकिन मेमू लोकल का परिचालन पूरी तरह से बंद है जिसके चलते इसे चलाने में विशेषज्ञ लोको पायलट घरों में कैद होकर रह गए हैं। लगभग 50 दिन हो गए हैं मेमू लोको पायलट ड्यूटी पर नहीं गए हैं। ऐसे में 40 दिन और यही स्थिति कायम रहती तो सभी मेमू पायलटों की लर्निंग रूट की 90 दिन अर्थात तीन महीने की अवधि पूरी हो जाती. इससे बचाने के लिए रेलवे ने आनन फानन में लोकल ट्रेनों के रैक का मेन्टेनेंस कराने का निर्णय लिया है। बताया जाता है कि भिलाई मार्शलिंग यार्ड में स्थित मेमू लोकल मेन्टेनेंस डिपो में 6 रैक का एक बार में मेन्टेनेंस होता है। लॉकडाउन के चलते मैन्टेनेंस डिपो में कर्मचारियों की संख्या कम कर दी गई थी। अब आंशिक छूट के बाद मेन्टेनंस का काम शुरू कर दिया  गया है। जिस रैक का मेन्टेनेंस हो गया है उसे डोंगरगढ़, रायपुर, कोरबा, रायगढ, नागपुर, बिलासपुर जैसे स्टेशनों की ओर रवाना किया जा रहा है। वहीं लॉक डाउन  के साथ जगह की उपलब्धता के अनुसार जिन स्टेशनों में लोकल ट्रेनों के रैक खड़ी है वहीं से उसे मेन्टेनेंस के लिए भिलाई लाया जा रहा है। ऐसा करने से मेमू लोकल के पायलटों की 90 दिन में होने वाली लर्निंग रूट से तकनीकी दिक्कत का रेलवे प्रशासन को सामना नहीं करना पड़ेगा।

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