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आखिर क्यों सरकार की राहत पैकेज के बाद भी पैदल चलने को मजबूर हैं प्रवासी मजदूर?-Despite Centres Covid-19 Relief Package, Why Migrants Are Unable to Halt Long Journey on Foot | nation – News in Hindi

सरकार के राहत पैकेज के बाद भी पैदल चलने को क्यों मजबूर हैं प्रवासी मजदूर?

सवाल उठता है कि आखिर ये सब पैदल क्यों लौट रहे हैं. जबकि सरकार ने इन्हें वापस भेजने के लिए स्पेशल ट्रेन चला रखी है.

सरकार का दावा है कि अब तक करीब 800 श्रमिक स्पेशल ट्रेन में 10 लाख प्रवासी मजदूरों (Migrant Workers) को वापस भेजा जा चुका है.

(ज़ेबा वारसी)

नई दिल्ली. ‘अगर हमें मरना ही है तो हम अपने गांव जाकर मरेंगे. इस शहर में नहीं मरना है मुझे’ ये कहना है 36 साल के कुमार का. बाहर तापमान 39 डिग्री सेल्सियस है. इसके बावजूद कुमार चिलचिलाती धूप में नोएडा एक्सपप्रेस वे पर लगातार साइकिल लेकर आगे बढ़ रहे हैं. उनकी 11 साल की बेटी साइकिल की पीछे वाली सीट पर बैठी है. जबकि 9 और 5 साल के दो बेटे आगे वाली सीट पर हैं.

ये सब 22 लोगों की एक झुंड में लगातार आगे बढ़ रहे हैं. इन्हें यहां से 980 किलोमीटर दूर बिहार के रोहतास जाना है. इन्हीं में से एक ने कहा. ‘कुछ नहीं रखा है हमारे लिए अब यहां, घर जाना ही ठीक है.’ कुमार के जैसे लाखों प्रवासी मजदूर इन दिनों अपने गांव की तरफ लौट रहे हैं. कोई पैदल. तो कई सरकार की श्रमिक स्पेशल ट्रेन से.

ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ये सब पैदल क्यों लौट रहे हैं. जबकि सरकार ने इन्हें वापस भेजने के लिए स्पेशल ट्रेन चला रखी है. पदल जाने वाली कमला नाम की एक महिला कहती हैं. ‘घर में हमको इज्जत तो मिलती है. यहां तो बच्चों को खिलाने के लिए कुछ नहीं है. कोई राशन नहीं मिलता है हमलोगों को. 10 परिवारों को 2 परिवार का राशन मिलता है. अगर हम इस नर्क में मर भी जाएं किसी का कुछ नहीं जाएगा.’सरकार का दावा है कि अब तक करीब 800 श्रमिक स्पेशल ट्रेन में 10 लाख प्रवासी मजदूरों को वापस भेजा जा चुका है. लेकिन इसके बावजूद मजदूरों का दावा है कि काफी कम संख्या में ये ट्रेने चल रही है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि वो मजदूरों के खर्चे का ख्याल रखेंगे. इन्हीं में से एक मजदूर ने कहा, ‘सभी राजनेता गरीबों को सिर्फ झांसा देते हैं. उनके कहने से कुछ नहीं होता.’

दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर हमारी मुलाकात कुछ और लोगों से भी हुई. ये सब पिछले 9 घंटे से पैदल चल रहे थे. पिछले दो दिनों से इन सबने ठीक से खाना भी भी नहीं खाया था. प्रवासी मजदूर दीपक पांडे ने बताकि. ‘दो दिन से कुछ नहीं खाया. बस बिस्कुट दिया था किसी ने सिर्फ वो खाया. राशन नहीं था घऱ पर मुफ्त का राशन सिर्फ उसको मिलता है जिसके पास पैसा है. जब मैं राशन लेने जाता हूं तो मुझे कुत्ते की तरह भगा दिया जाता है.’

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First published: May 15, 2020, 6:56 AM IST



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