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2 फीसदी PF कटने पर 50 हजार की सैलरी वालों को 46 हजार रुपये का नुकसान, यहां समझिए ​गणित – impact of PF contibution cut on retirement fund and tax implication PF Account economic package | business – News in Hindi

नई दिल्ली. कर्मचारियों की जेब में अधिक कैश पहुंचाने और मौजूदा संकट से उबारने के लिए केंद्र सरकार ने बीते बुधवार को पीएफ योगदान (PF Contribution) में तीन महीने के लिए कटौती का ऐलान किया है. सरकार के इस ऐलान के बाद कर्मचारियों के EPF में कर्मचारी व नियोक्ता की तरफ से 2-2 फीसदी कम योगदान किया जाएगा.

वर्तमान में कितना देना होता है योगदान?
मौजूदा नियमों के मुताबिक, कर्मचारी की बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते की 12 फीसदी राशि कर्मचारी भविष्य निधि (Employees Provident Fund) में जाती है. इतनी ही राशि नियोक्ता भी जमा करता है. लेकिन, सरकार के इस ऐलान के बाद कुल 24 फीसदी का यह योगदान घटकर 20 फीसदी रह जाएगा. हालांकि, केंद्रीय कर्मचारियों पर यह लागू नहीं होगा.

चार्टर्ड अकाउंटेंड और टैक्स एक्सपर्ट गौरी चढ्ढा बताती है कि सरकार ने यह फैसला मौजूदा संकट के बीच कर्मचारियों को थोड़ी राहत देने के लिए लिया है. इससे उनके प्रति महीने सैलरी में बढ़ोतरी होगी. लेकिन, अगर लंबी अवधि में देखा जाए तो इससे कर्मचारियों को दो तरफा नुकसान झेलना पड़ेगा. पहला तो यह कि टैक्स के दायरे में आने वाले कर्मचारियों की टैक्स एसेसमेंट गणित बिगड़ेगी. जबकि, दूसरी तरफ उनके रिटायरमेंट फंड पर भी असर पड़ेगा.गौरी चढ्ढा बताती हैं कि ईपीएफ पर कम्पाउंडेड ब्याज मिलता है. ऐसे में अगर किसी कर्मचारी की प्रति महीने थोड़ी भी सैलरी बढ़ती है तो इसकी तुलना में उन्हें रिटायरमेंट फंड पर ज्यादा असर पड़ेगा.

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कैसे बढ़ेगी आपकी टेक होम सैलरी
मान लीजिए कि आपकी बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता (Basic Salary+DA) मिलाकर प्रति माह 50,000 रुपये बनती है तो इस हिसाब से आपकी तरफ से PF योगदान 6,000 रुपये होगा. इतनी ही रकम नियोक्ता की तरफ से भी EPF में हर महीने जमा की जाती है. कर्मचारी और नियोक्ता की तरफ से कुल योगदान 12,000 रुपये प्रति माह होगी. लेकिन, अब नए ऐलान के बाद यह रकम घटकर 10,000 रुपये हो जाएगी. हालांकि, दूसरी तरफ आपकी इनकम प्रति महीने 1,000 रुपये बढ़ जाएगी, जोकि आपकी बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते की 2 फीसदी होगी. चूंकि, आपके नियोक्ता की तरफ से किए जाने वाले योगदान में भी 2 फीसदी प्रति माह की कटौती होगी, ऐसे में आपकी CTC (Cost to Company) कम हो जाएगी.

टैक्स पर पड़ेगा असर
कम EPF योगदान और टेक होम सैलरी में इजाफा होने का असर आपके टैक्स पर भी पड़ेगा. दरअसल, टैक्स तो इनकम टैक्स स्लैब के आधार पर ही लागू होगा. ऐसे में इन तीन महीनों के लिए आपकी बढ़ी हुई सैलरी भी इनकम टैक्स स्लैब के तौर पर ही मानी जाएगी.

उदाहरण के तौर पर मान लीजिए कि आपकी प्रति माह सैलरी 1,000 रुपये बढ़ जाती है और आप उच्च टैक्स ब्रैकेट में आते हैं तो टेक होम सैलरी केवल 700 रुपये ही बढ़ेगी. बाकी की रकम टैक्स के तौर पर कट जाएगी.

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बढ़ेगा टैक्स बचाने का झंझट
कर्मचारी इनकम टैक्स एक्ट (Income Tax Act, 1961) के सेक्शन 80C के तहत EPF योगदान पर टैक्स छूट का लाभ लेते हैं. चूंकि, अब EPF योगदान कम हो जाएगा, ऐसे में आपको सेक्शन 80C का पूरा लाभ लेने के लिए अन्य इन्वेस्टमेंट विकल्प की तरफ मुड़ना पड़ेगा. अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपको ज्यादा टैक्स देना होगा.

उपरोक्त उदाहरण के आधार आपके तीन महीने का PF योगदान 18,000 रुपये होगा और अगर आप उच्च टैक्स ब्रैकेट में आते हैं तो 5,400 रुपये का टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं. लेकिन, अब आपका यह योगदान घटकर 15,000 रुपये हो जाएगा और पर इसपर डिडक्शन क्लेम की रकम भी कम हो जाएगी. 15,000 हजार रुपये के PF योगदान के आधार पर आप 4,500 रुपये का टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकेंगे. अब आपको 3,000 रुपये की अतिरिक्त कमाई पर टैक्स बचत करने के लिए दूसरे निवेश विकल्प के बारे में सोचना पड़ेगा.

रिटायरमेंट फंड पर भी असर
सरकार के इस फैसले का दूसरा पक्ष यह भी होगा कि इससे कर्मचारियों के रिटायरमेंट फंड पर भी असर पड़ेगा. आमतौर पर प्रोविडेंट फंड सबसे बेहतर रिटायरमेंट सेविंग्स प्रोडक्ट माना जाता है. अब इन तीन महीनों के लिए पीएफ में कम योगदान का मतलब रिटायरमेंट फंड भी कम होगा. बता दें कि पीएफ अकाउंट पर कम्पाउंडेड ब्याज मिलता है.

अगर किसी पीएफ अकाउंट में कर्मचारी और नियोक्ता की तरफ से हर महीने 12,000 रुपये का योगदान जाता है. और इस कटौती के बाद कर्मचारी अगर 25 साल बाद​ रिटायर होता है इससे उनके रिटायरमेंट फंड पर करीब 46,000 रुपये का असर पड़ेगा. हमने इन 25 सालों के लिए पीएफ पर ब्याज दर 8.55 फीसदी के आधार पर कैलकुलेट किया है.

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