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प्रवासी मजदूरों को अनाज, रोजगार और लोन का ऐलान, UP में मुहैया कराना कठिन चुनौती-Finance minister Announcement of food grains employment and loans to migrant laborers tough challenge to provide in UP uplm upas | lucknow – News in Hindi

प्रवासी मजदूरों को अनाज, रोजगार और लोन का ऐलान, UP में मुहैया कराना कठिन चुनौती

केंद्र सरकार ने प्रवासी मजदूरों के लिए बड़े पैकेज का ऐलान किया है.

केंद्र सरकार (Union Government) की घोषणा के मुताबिक किसी भी राज्य का राशन कार्ड किसी भी राज्य में मान्य होगा. इसे सही तरीके से लागू करने की बड़ी जिम्मेदारी यूपी सरकार की होगी.

लखनऊ. शहरों से गांव के लिए लौट रहे मजदूरों के लिए केंद्र सरकार (Union Government) ने 11 हजार करोड़ रूपये के पैकेज का ऐलान किया है. ये लाभ एसडीआरएफ (SDRF) के जरिए प्रवासी  मजदूरों (Migrant Laborers) तक पहुंचेगा. कहा गया है कि ऐसे मजदूरों को मनरेगा के तहत ज्यादा से ज्यादा काम दिया जायेगा. बेरोजगार हो चुके प्रवासी मजदूरों को गांव में ही कमाने का मौका दिया जायेगा. इसके अलावा सरकार ने 10,000 रुपए तक के लोन की व्यवस्था की है. साथ ही किसी भी राज्य के राशन कार्ड पर अनाज देने की बात कही है. मामले में सीएम योगी आदित्यनाथ ने केंद्र के इस पैकेज का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि यूपी सरकार पहले से ही प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा, भरण पोषण से लेकर तमाम जरूरतों का ख्याल रख रही है.

मनरेगा में काम देना बड़ी चुनौती

वैसे एक बड़ा पहलू ये है कि जो सालों से किसी दूसरे काम में हुनरमंद हैं, वे मनरेगा के तहत कितनी मजदूरी कर पायेंगे? ये एक बड़ा सवाल है. दूसरा बड़ा सवाल ये है कि यदि मनरेगा इतना ही कारगर होता तो गांवों से मजदूरों का पलायन ही क्यों होता? इस योजना में भ्रष्टाचार की शिकायतें भी आम हैं. ऐसे में ये सुनिश्चित कर पाना कि मजदूरों तक सही लाभ पहुंच सके, बहुत कठिन टास्क होगा.

मुफ्त राशन बड़ी राहतप्रवासी मजदूरों के लिए अगले दो महीनों के लिए मुफ्त राशन का इंतजाम इन्हें बड़ी राहत दे सकता है. बेरोजगार हो चुके और गांवों में रोजगार के लिए ठोकरें खाने को मजबूर प्रवासी मजदूरों को खाने की समस्या इससे खत्म हो सकती है. इसके लिए केन्द्र सरकार ने 3500 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है. अब देखना ये दिलचस्प होगा कि इसे कैसे अमल में लाया जाता है?

कोटेदार पर बढ़ेगा दबाव

जो गांवों में रहने वाले लोग हैं उन्हें राशन के लिए पहले से ही जूझते हुए देखा गया है. कोटेदार पर प्रवासी मजदूरों का भी दबाव बढ़ेगा. राज्यों के लिए ये जरूरी हो जायेगा कि कोटेदारों को भी मजबूत करें. सरकार की घोषणा के मुताबिक किसी भी राज्य का राशन कार्ड किसी भी राज्य में मान्य होगा. इसे सही तरीके से लागू करने की बड़ी जिम्मेदारी यूपी सरकार की होगी.

यूपी में पहले से ही हैं असंगठित क्षेत्र के 3.5 करोड़ लोग

लखनऊ मण्डल के अपर श्रमायुक्त वीके राय ने बताया कि ऐसे मजदूर जिन्हें न तो तनख्वाह मिलती है, न इएसआई कटता है और न ही जिनका पीएफ कटता है, ऐसे सभी असंगठित क्षेत्र में आते हैं. ऐसे श्रमिकों को पूरे महीने तक रोजगार मिलने की भी कोई गारन्टी नहीं होती. वे लोग भी असंगठित क्षेत्र के ही माने जाते हैं, जो सेल्फ इम्प्लायड हैं. सड़कों के किनारे रेहड़ी लगाने वाले, फेरी लगाने वाले, दुकान लगाने वाले, चौराहों पर मजदूरी की आस में खड़े होने वाले ये सभी असंगठित क्षेत्र में ही आते हैं.

डेढ़ लाख से ज्यादा कामगारों का इजाफा

यूपी में इनकी संख्या पहले से ही 3.5 करोड़ के आसपास है. इस संख्या में लगभग डेढ़ लाख से ज्यादा का पिछले दिनों इजाफा भी हुआ है. दूसरे शहरों से काम छूटने के बाद ऐसे सभी मजदूर यूपी वापस आ गए हैं. इनके भरण-पोषण का भी इंतजाम करना होगा. ये संख्या तो उन माइग्रेटेड लेबरर्स की है, जिनकी गिनती हो सकी है. एक्चुअल फीगर तो और बड़ा हो सकता है.

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First published: May 14, 2020, 6:26 PM IST



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