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श्रद्धालुओं के लिए गुड न्यूज, अब देश से ही कर सकेंगे कैलाश पर्वत के दर्शन | Now devotees will be able to visit Kailash mountain from India itself | nation – News in Hindi

श्रद्धालुओं के लिए गुड न्यूज, अब देश से ही कर सकेंगे कैलाश पर्वत के दर्शन

अब देश से ही कर सकेंगे कैलाश पर्वत के दर्शन (फाइल फोटो)

आईटीबीपी (ITBP) के डीआईजी एपीएस निंबाडिया ने कहा, ‘जो लोग कैलाश नहीं पहुंच पाते, उन्हें ओल्ड लिपुलेख ले जाया जा सकता है और दर्शन करवाए जा सकते हैं.’

नई दिल्ली. कैलाश पर्वत (Kailash mountain) के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं के एक अच्छी खबर सामने आई है. अब श्रद्धालु इस पवित्र पर्वत के दर्शन देश से ही कर सकेंगे. आईटीबीपी (ITBP) के डीआईजी एपीएस निंबाडिया ने बताया कि जो लोग कैलाश पर्वत नहीं जा सकते वे मुख्य लिपूलेख से तीन  किलोमीटर पहले से ही दर्शन कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि कुछ लोग वहां तक नहीं पहुंच पाते थे, लेकिन अब वो भी दर्शन कर सकेंगे.

बता दें कि हिंदुओं के अलावा ये स्थल बौद्ध, जैन और तिब्बती धर्म के अनुयायियों के लिए पवित्र माना जाता है. यही वजह है कि आदिकाल से ही बड़ी संख्या में हिंदू कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील के दर्शनों के लिए जाते रहे हैं. लेकिन इस दौरान कई तरह की परेशानियों का उन्हें सामना करना पड़ता है. कई बार श्रद्धालु वीजा या पासपोर्ट की दिक्कत की वजह से दर्शन नहीं कर पाते हैं.

ओल्ड लिपुलेख से दिखाई देता है कैलाश पर्वत

DIG निंबाडिया ने बताया कि उत्तराखंड सरकार को पहले एक प्रस्ताव दिया गया था. प्रस्ताव में कहा गया था कि मुख्य लिपुलेख से 3 किमी दूर पुराने लिपुलेख से कैलाश पर्वत दिखाई देता है. जो लोग कैलाश नहीं पहुंच पाते, उन्हें ओल्ड लिपुलेख ले जाया जा सकता है और दर्शन करवाए जा सकते हैं. इससे उत्तराखंड सरकार को भी फायदा होगा.क्या है लिपुलेख का मामला?

राजनाथ सिंह ने पिथौरागढ़ से लिपुलेख तक 9 वाहनों के काफिले को रवाना कर 75.54 किलोमीटर सड़क को खोले जाने की घोषणा की. जिसके माध्यम से एक या दो दिन में श्रद्धालु कैलाश मानसरोवर की यात्रा कर सकते हैं. पहले यहां जाने में 7-8 दिन लगते थे. लेकिन नेपाल इसके विरोध में उतर आया. नेपाल ने 1815 में अंग्रेजी शासकों के साथ हुई नेपाल के राजा की संधि का हवाला देते हुए सीमा विवाद उठाया. दोनों देश मिलकर इस समस्या का समाधान निकालने का प्रयास कर रहे हैं.

2008 में शुरू हुआ था सड़क का निर्माण

इस सड़क का निर्माण 2008 में शुरू हुआ था और उसे 2013 तक पूरा होना था लेकिन नजांग और बूंदी गांव के बीच बहुत कठिन क्षेत्र होने के कारण इसमें विलंब होता चला गया. सड़क का उदघाटन होने के बाद लिपुलेख दर्रे के जरिए होने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा भी श्रद्धालुओं के लिए बहुत सुविधाजनक हो जाएगी जो दर्शन करने के बाद एक दिन में ही भारत लौट सकते हैं.

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First published: May 15, 2020, 12:05 AM IST



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