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जयपुर की कृषि उपज मंडियों में नौ दिन बाद हड़ताल खत्म, शुक्रवार से फिर होगी चहल-पहल Strike ended after nine days in agricultural produce market jaipur rajasthan nodtg | jaipur – News in Hindi

जयपुर की कृषि उपज मंडियों में नौ दिन बाद हड़ताल खत्म, शुक्रवार से फिर होगी चहल-पहल

जयपुर में कृषि उपज मण्डियों में नौ दिन बाद खत्म हुई हड़ताल (फाइल फोटो)

राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के मुताबिक मंडी बंद से हर रोज 1500 करोड़ का टर्न ओवर प्रभावित हो रहा था साथ ही करीब 30 करोड़ रुपये हर रोज आढ़त का भी नुकसान (Loss) हो रहा था.

जयपुर. राजस्थान (Rajasthan) की कृषि उपज मंडियों में नौ दिन से जारी हड़ताल (Strike) गुरुवार को खत्म हो गई. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) से वार्ता और सकारात्मक आश्वासन मिलने के बाद हड़ताल को समाप्त करने का निर्णय लिया गया. राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता के मुताबिक गुरुवार को मुख्यमंत्री से वार्ता हुई जिसके बाद सभी 247 मंडियों को तत्काल खोलने के निर्देश दिए गए हैं. इस निर्णय के बाद शुक्रवार से कृषि उपज मंडियों में रौनक वापस लौट जाएगी. बता दें कि दो प्रतिशत कृषक कल्याण शुल्क के विरोध में नौ दिन से मंडियों में कामकाज ठप था. मंडी व्यापारियों द्वारा मामले के निपटारे के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था. बुधवार शाम को भी व्यापरियों की कृषि विपणन विभाग के कुछ अधिकारियों से वार्ता हुई थी लेकिन बात नहीं बन पाई थी. अब कयास लगाए जा रहे हैं कि कृषक कल्याण शुल्क को लेकर कोई बीच का रास्ता निकाला जा सकता है.

हो रहा था नुकसान
लॉकडाउन के बीच कृषि उपज मंडियों में हड़ताल एक तरह से कोढ़ में खाज की कहावत साबित हो रहा था. लॉकडाउन के बीच मंडियों को खुले कुछ ही दिन हुए थे कि कृषक कल्याण शुल्क को लेकर विरोध शुरू हो गया और मंडियां फिर से बंद हो गईं. राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के मुताबिक मंडी बंद से हर रोज 1,500 करोड़ रुपये का टर्न ओवर प्रभावित हो रहा था. साथ ही करीब 30 करोड़ रुपये हर रोज आढ़त का भी नुकसान हो रहा था. इतना ही नहीं सरकार को भी मंडी बंद होने से रोज तकरीबन 50 करोड़ का जीएसटी और मंडी शुल्क का नुकसान हो रहा था. वहीं मंडियों में जारी हड़ताल के चलते मिलों पर माल नहीं पहुंच पा रहा था और खुदरा व्यापारियों के पास भी स्टॉक खत्म होता जा रहा था. कई जगह खुदरा व्यापारी भी माल नहीं आने का हवाला देकर ज्यादा दामों पर माल बेचने लगे थे. अब हड़ताल खत्म होने से व्यवस्था वापस पटरी पर दोबारा लौटेगी.

किसान-व्यापारियों को हो रहा था नुकसानव्यापारी कृषक कल्याण शुल्क का यह कह कर विरोध कर रहे थे कि इससे किसानों और व्यापारियों दोनों को नुकसान होगा. शुरुआत में किसानों ने भी इस बात का समर्थन किया. लेकिन राज्य सरकार द्वारा यह स्पष्ट करने के बाद कि शुल्क से किसानों और व्यापरियों पर भार नहीं पड़ेगा कुछ किसान संगठन इस हड़ताल के विरोध में आ गए थे.

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First published: May 14, 2020, 6:24 PM IST



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