निजी जमीन पर भी लगे पेड़ों को काटने के लिए लेना पड़ेगा ऑनलाइन अनुमति
सबका संदेस न्यूज़ छतीसगढ़ बलौदाबाजार- वृक्षों की कटाई से बिगड़ते पर्यावरण संतुलन को कायम रखने रहे-भरे वृक्षों को लेकर शासन पहले ही सख्त है। बेवजह हरियाली न उजाड़ी जाई और पर्यावरण प्रदूषण और न बढ़े इसके लिए निगरानी बढ़ा दी गई है। इसी के चलते हराभरा हो या सूखा, निजी जमीन पर भी लगे पेड़ की कटाई करने वालों को परेशानी झेलनी पड़ सकती है क्योंकि इसके लिए अब मैन्युअल के साथ ऑनलाइन अनुमति भी लेनी होगी। नियम यह भी है कि वह सूखा पेड़ किसी उद्यान, उपवन, जलाशय, झरने नदी नाले के किनारे या दायने में न हो। पेड़ काटने के एक वर्ष के भीतर उस जमीन पर दो से तीन गुना नए पौधे लगाने होंगे। बगैर अनुमति पेड़ काटे तो कानूनी कार्रवाई का प्रावधान भी है।
पेड़ कटाई के लिए अनुमति की ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत आवेदन प्राप्त होने पर सबसे पहले संबंधित तहसीलदार या उनके प्राधिकृत राजस्व अधिकारी और वनविभाग के अफसर संयुक्त दौर कर आवेदित पेड़ का मौका निरीक्षण करेंगे। पेड़ काटने की जरूरत और अनुमति के लिए शासन के निर्धारित नियम-कायदों के तहत मिलान किया जााएगा। नियमों के खरा उतरने पर ही अनुमोदन कर कलेक्टर के समझ ऑनलाइन आवेदन के लए अनुमति मांगी जाएगी।
प्रति पेड़ देना होगा 150 पंचायत उपकर
संबंधित भूमि पर काटे गए वृक्ष की संख्या का दोगुना पौधा लगाने प्रस्तावित भूमि के लिए प्रति पेड़ 150 रुपये ऑनलाइन शुल्क जमा करना होगा। शुल्क का भुगतान की यह राशि संबंधित ग्राम पचांयत में पंचायत उपकर के रूप में जमा किया जा सकेगा। नई गाइडलाइन के अनुसार प्रावधानों का पालन नहीं करने वालो पर भी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। बिना स्वीकृति या अनुमति पेड़ काटने की शिकायत मिलने पर संबंधित व्यक्ति या संस्था के खिलाफ कानूनी कार्रवाई किए जाने का प्रावधान है।
राजस्व विभाग रखेगा निगरानी
गौरतलब है कि नियमों को सख्त किए जाने के बाद भी बलौदाबाजार जिले में बड़ी संख्या में वृक्षों की कटाई हो रही है इस पर रोक लगाने में प्रशासन नकाम साबित हो रहा है। जिसके कारण पिछले साल ही कसडोल इलाके में सिर्फ रेत डंप करने के लिए सैकड़ों पेड़ों की बलि दे दी गई है जिसके बाद खूनी खेल भी हुआ था। मगर अब जिला प्रशासन के निर्देश पर राजस्व विभाग सीधे तौर पर इसकी निगरानी करेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में निजी जमीन पर लगे सूखे पेड़ काटने से पहले आवेदक को ग्राम पंचायत से अनुमति लेनी होगी। अनुमति मिलने के बाद भी निर्धारित नियमों को पालन करना होगा, जिसके लिए भी दिशा-निर्देश निर्धारित किए गए है।
तीन माह के अंदर मिलेगी ऑनलाइन स्वीकृति
ऑनलाइन स्वीकृति के लिए कलेक्टर कार्यालय के समक्ष ऑनलाइन प्रस्तुत किए गए आवेदन पर संबंधित तहसीलदार और वन विभाग के अधिकारी निरीक्षण कर दो दिन में रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। गाइडलाइन के अनुरूप कटाई के लिए बताई जाने वाली वजह को उचित पाए जाने पर ही शासन की ओर से तीन माह अंदर ऑनलाइन स्वीकृति प्रदान कर दी जाएगी। ध्यान रखना होगा कि कटाई की प्रक्रिया में पेड़ की जड़ो को नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। वह पेड़ किसी उद्यान, उपवन, जलाशय, झरने, नदी-नाले के किनारे या दायरे में न हो। पेड़ काटने के एक वर्ष के भीतर उस भूमि पर दो से तीन गुना गए पौधे लगाने होंगे।
निजी जमीन पर भी सूखे पेड़ को काटने के लिए अब आनलाइन अनुमति लेनी होगी।
विपलेश कुमार, डीएफओ
आनलाइन हो गया है।
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