MSME को राहत पैकेज: यूपी की 90 लाख इकाइयों पर क्या पड़ेगा असर, IIA की क्या है राय, पढ़िए स्पेशल इंटरव्यू- Relief package to MSME What impact on 90 lakh units of UP opinion of IIA read the special interview uplm upas | aligarh – News in Hindi

सवाल- सरकार ने MSME के लिए बिना गारन्टी के लोन की व्यवस्था कर दी है. इससे क्या फर्क पड़ेगा?
जवाब- देखिये इससे फर्क तो बहुत पड़ेगा. उद्योगों को और सर्विस इण्डस्ट्रीज़ (होटल, रेस्टोरेंट, कारगो, कूरियर, ट्रांसपोर्ट इत्यादि) में जो कैश क्रंच हो गया था, उससे उबरने में राहत मिलेगी. इसके साथ ही बिना गारन्टी के लोन मिलने से इस क्षेत्र में नए लोगों के उतरने की संभावना भी बढ़ जायेगी. हालांकि इसके रास्ते में सबसे बड़ी बाधा बैंक बनते रहे हैं. बैंक के व्यवहार पर ये निर्भर करेगा कि इस स्कीम का कितना लाभ मिल पायेगा. बैंक संपत्ति को बिना गिरवी रखे बहुत ही कम लोन देते हैं. उनका तर्क होता है कि बिना गिरवी के लोग पैसा नहीं चुकाते. इससे तो बेहतर होता कि सरकार कर्ज पर ब्याज दर कम कर देती. अभी उद्योग के लिए जो कर्ज लिया जाता है उस पर 10 फीसदी के आसपास ब्याज लगता है. इस दर को कम करके सरकार उद्योगों को सीधे फायदा पहुंचा सकती है. साथ ही नये लोगों के उद्योग के क्षेत्र में उतरने की संभावना भी इससे बढ़ जाती.
सवाल- MSME की जो परिभाषा सरकार ने बदली है उससे क्या फर्क पड़ेगा?जवाब- इससे बिना गारन्टी के लोन मिलने की राशि बढ़ जायेगी. पहले किसी भी उद्योग को 2 करोड़ से ज्यादा का लोन बिना बैंक गारन्टी के नहीं मिलता था. अब ऐसे सभी उद्योगों को उसके टर्न ओवर का एक चौथाई लोन मिल सकता है. 5 करोड़ के टर्न ओवर वाले अब सूक्ष्म, 50 करोड़ के टर्न ओवर वाले लघु और 100 करोड़ के टर्न ओवर वाले अब मध्यम उद्योगों की श्रेणी में आ गये हैं. ऐसे में लघु उद्योगों को 12.5 करोड़ जबकि मध्यम उद्योगों को 25 करोड़ तक का लोन बिना गारन्टी के मिल सकेगा. हालांकि सूक्ष्म उद्योगों को इससे कोई ज्यादा फायदा नहीं मिलेगा.
सवाल- ऐसा क्यों कि सूक्ष्म उद्योगों को ज्यादा फायदा नहीं मिलेगा MSME की कैटेगरी में बदलाव से?
जवाब- इसका सबसे बड़ा असर सूक्ष्म उद्योगों पर पड़ेगा. देखिये पूरे देश में 98 फीसदी सूक्ष्म जबकि 1.5 फीसदी लघु और 0.5 फीसदी ही मध्यम उद्योग हैं. अब कैटेगरी में बदलाव के कारण पहले से ज्यादा लघु यूनिट्स सूक्ष्म में जबकि मध्यम यूनिट्स लघु में आ जायेंगी. इसका नुकसान ये संभव है कि सूक्ष्म उद्योगों के लिए तय किये गये फायदे में अब लघु जबकि लघु उद्योगों के लिए तय किये गये फायदे में मध्यम उद्योगों की भी हिस्सेदारी हो जायेगी. यानी मिलने वाला लाभ अब बट जायेगा. इसकी सबसे ज्यादा चोट सूक्ष्म उद्योगों पर पड़ेगी जो 98 फीसदी हैं. दायरा बढ़ जाने से अब इस क्षेत्र में पहले से ज्यादा यूनिट्स आ जायेंगी.
इससे कम्पटीशन बढ़ेगा और कम्पटीशन में तो छोटा ही पहले बाहर होता है. छोटी यूनिट्स तो पहले से ही हालात से जूझ रही हैं. सरकार को ये देखना होगा कि छोटी यूनिट्स का सर्वाइवल कैसे हो. ये नियम है कि सरकारी खरीद का 25 फीसदी हिस्सा MSME से खरीदा जायेगा. अब सूक्ष्म उद्योगों का दायरा बढ़ जाने से इसमें कम्पटीशन बढ़ेगा. मध्यम उद्योग वाले जो अब सूक्ष्म में आ जायेंगे. वही ज्यादा हिस्सेदारी पर कब्जा कर लेंगे क्योंकि वे अभी तक के सूक्ष्म उद्योगों से मजबूत स्थिति में रहे हैं.
सवाल- उद्योगों को स्लो डाउन से उबरने में कितनी मदद मिलेगी?
जवाब- जाहिर तौर पर इस पैकेज से मदद तो मिलेगी ही लेकिन, य़े बहुत कुछ बाजार पर भी निर्भर करेगा. लोगों की परचेजिंग पावर कैसी रहती है? इस पर मैनुफैक्चरिंग यूनिट्स का भविष्य टिका है. जब मार्केट में डिमाण्ड ही नहीं होगी तो सप्लाई अपने आप प्रभावित हो जायेगी. पहले से चला रहा स्लो डाउन और अब कोरोना संकट से लोग उन्हीं चीजों को खरीद रहे हैं, जो जीवनयापन के लिए अनिवार्य हैं. ऐसे में दूसरी मैनुफैक्चरिंग यूनिट्स को अगले कई महीनों तक संघर्ष ही करना होगा जब तक की संकट से लोग उबर न जायें और उनके पास पैसे बचने की शुरुआत न हो जाये.
सवाल- टीडीएस 25 फीसदी कम कटेगा, इससे कितना बल मिलेगा ?
जवाब- इससे फायदा ये होगा कि कुछ समय के लिए हमारे पास पैसा थोड़ा ज्यादा रहेगा. इस संकट के दौर में इससे कुछ समय के लिए ही सही लेकिन तात्कालिक राहत तो जरूर मिलेगी. हालांकि लांग टर्म में इससे ज्यादा फर्क तो नहीं पड़ेगा क्योंकि जब हम इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते हैं तो उसके बाद टीडीएस वापस हो जाता है.
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