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मध्य प्रदेश में वेतनमान के अनुसार पदनाम दिये जाने की कवायद शुरू, छत्तीसगढ़ में नही है अब तक कोई सुगबुगाहट

आरक्षक से उपनिरीक्षक तक के हजारों अधिकारी और कर्मचारी जोह रहे हैं पदोन्नति की बाट

बिना वित्तीय भार के दूर हो सकती है पदोन्नति नीति की विसंगति

सेवानिवृत्ति से रिक्त पदों को भरने में विभाग को होगी आसानी

भिलाई ।  छत्तीसगढ़ राज्य मध्यप्रदेश से अलग होकर अस्तित्व में आया है। छत्तीसगढ़ पुलिस की पदोन्नति नीति मध्यप्रदेश के समय की बनी हुई है। लेकिन मध्यप्रदेश में वेतनमान के अनुसार पदनाम दिए जाने की कवायद शुरू हो गई है। लेकिन छत्तीसगढ में अब तक ऐसी कोई पहल नही हुई है। मध्यप्रदेश की तर्ज पर अब छत्तीसगढ़ में भी वेतनमान के अनुसार पदनाम दिये जाने का कार्य किया जाना चाहिए कयोंकि इससे वभागीय पदोन्नति नीति की विसंगति को जहां दूर किया जा कसता है वहीं साल दर साल सेवानिवृत्ति से रिक्त हो रहे पदों की पूर्ति करने में भी विभाग को आसानी होगी।

पुलिस विभाग में इस वक्त आरक्षक से लेकर उप निरीक्षक स्तर के हजारों अधिकारी-कर्मचारी पदोन्नति की बांट जोह रहे हैं।  एक निश्चित समय सीमा के भीतर पदोन्नति नहीं मिलने के चलते ऐसे कर्मचारियों और अधिकारियों में पनपने वाला अवसाद उनके कार्यक्षमता को प्रभावित करने लगा है। काफी हद तक पुलिस विभाग में इस परिस्थिति के लिए अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से चली आ रही पदोन्नति नीति को जिम्मेदार माना जाता रहा है। विभागीय अनुशासन के चलते भले ही पुलिस कर्मियों की ओर से लंबित पदोन्नति के मामले पर खुलकर कुछ भी बोला नहीं जा रहा है। लेकिन दबी जुबान में वेतनमान अनुसार पदनाम दिए जाने की मांग पुलिस कर्मियों को उठनी लगी है।

दरअसल, पदोन्नति नहीं मिलने के बावजूद पुलिस विभाग में अनेक अधिकारी-कर्मचारी ऐसे हैं जिनको प्रतीक्षारत पद के अनुसार वेतनमान दिया जा रहा है। ऐसे अधिकारी कर्मचारियों को पदोन्नति वाले पद के अनुरुप वेतन मिलने से आर्थिक नुकसान का सामना नहीं करना पड़ रहा है। लेकिन वह सम्मान नहीं मिल पा रहा है जिसके वे हकदार कब के बन चुके हैं। यह सम्मान उन्हें वेतनमान अनुसार पदनाम प्रदान कर दिया जा सकता है।

जिन आरक्षकों को अब प्रधान आरक्षक के बराबर वेतन मिल रहा है उन्हें फित्ती लगाकर प्रधान आरक्षक का पदनाम दिया जाना चाहिए। वहीं जो प्रधान आरक्षक सहायक उप निरीक्षक के बराबर वेतन प्राप्त कर रहे हैं उन्हें अपी वर्जी में एक स्टार लगाने की सौगात दी जानी चाहिए। इसी कड़ी में सहायक उपनिरीक्षक और उपनिरीक्षक को भी वेतनमान का दृष्टिगत रखते हुए पदनाम प्रदान करके पदोन्नति नीति की विसंगति को दूर किया जा सकता है।

यहां पर यह बताना भी लाजिमी होगा कि वेतनमान अनुसार पदनाम प्रदान किए जाने से विभाग पर अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं पड़ेगा। दूसरी तरफ लंबे समय से पदोन्नति के इंतजार में मायूसी से घिरे पुलिस के अधिकारी और कर्मचारियों जो जोश व उत्साह का संचार होगा उसका सकारात्मक असर उनकी कार्यशैली में पडऩे से विभाग को फायदा मिलेगा।

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