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फ्रेंकलिन म्यूचुअल फंड्स में पैसा लगाने वालों के लिए बड़ी खबर! लाखों निवेशकों से मांगी डीटेल्स-Mutual Funds Buy Mutual Funds Online Franklin Templeton begins reaching out to investors for refunds | business – News in Hindi

फ्रेंकलिन म्यूचुअल फंड्स में पैसा लगाने वालों के लिए बड़ी खबर! पैसा लौटाने के लिए लाखों निवेशकों से मांगी डीटेल्स

फ्रेंकलिन टेम्पल्टन इंडिया (Franklin Templeton India) ने 6 डेट स्कीम्स को बंद किया

फ्रेंकलिन टेम्पल्टन इंडिया (Franklin Templeton India) ने जिन 6 डेट स्कीम्स को बंद कर दिया है. उसके निवेशकों से अब संपर्क करना शुरू किया है. फंड हाउस 3 लाख निवेशकों से संपर्क कर रही है जिनका पैसा इन 6 स्कीम्स में फंसा है.

 नई दिल्ली. फ्रेंकलिन टेम्पल्टन (Franklin Templeton) AMC ने 23 अप्रैल 2020 को स्कीमों के मैच्योरिटी प्रोफाइल्स का ब्योरा जारी कर दिया है. आसान शब्दों में इसे ऐसे समझिए कि अगर बॉन्ड्स और अन्य स्कीम में लगा पैसा सही समय पर मिल गया तो निवेशकों को अपने पैसे जल्द वापस मिल सकते है. अंग्रेजी के अखबार लाइव मिंट के मुताबिक, फ्रेंकलिन टेम्पल्टन ने निवेशकों से संपर्क करना शुरू किया. निवेशकों से उनका PAN, फोलियो नंबर, ईमेल आईडी जैसी जरूरी डिटेल मांगी जा रही है.मार्केट रेगुलेटर सेबी ने पिछले हफ्ते कंपनी को कहा था कि वह पैसे लौटाने पर फोकस करे.

कब मिलेगा पैसा वापस?

एक्सपर्ट्स का कहना हैं कि फ्रेंकलिन इंडियन अल्ट्रा शॉर्ट बॉन्ड फंड (FIUBF) में लगाई गई 9 फीसदी रकम 23 अप्रैल 2020 से तीन महीने में मैच्योर हो रही है. एफआईयूबीएफ और फ्रैंकलिन इंडिया लो ड्यूरेशन बॉन्ड फंड (FILDF) से पूरा पैसा पांच साल की अवधि पूरा होने के पहले ही मिल जाना चाहिए.

यह सोच रहे होंगे कि एएमसी (एसेट मैनेजमेंट कंपनी यानी म्यूचुअल फंड) को पैसे लौटाने में इतना ज्यादा वक्त क्यों लग रहा है. तो आपको बता दें कि पिछले एक साल में रिडम्पशन (पैसे निकासी) को पूरा करने के लिए फंड हाउस पहले ही कुछ शॉर्ट मैच्योरिटी लिक्विड पेपर्स को बेच चुका है.ऐसे में आपको अपने पैसे को लेकर धैर्य रखने की जरूरत है. हालांकि, कुछ चरण ऐसे हैं जिनसे यह प्रक्रिया तेज हो सकती है.

बॉन्ड्स के मैच्योरिटी प्रोफाइल से पता चलता है कि यह कई निवेशकों के लिए मुश्किलभरा इंतजार साबित होने वाला है. यह उन लोगों के लिए ज्यादा दिक्कत पैदा करने वाला है जिन्होंने अपने फंड्स एफआईयूबीएफ और एफआईएलडीएफ में लगाए थे.

अगर मैक्रोइकनॉमिक स्थितियां लंबे वक्त तक इसी तरह जारी रहती हैं तो निवेशकों को बॉन्ड्स के मैच्योर होने तक इंतजार करना पड़ सकता है.

अगर हालात में सुधार होता है और फाइनेंशियल मार्केट्स में उछाल आता है तो फंड हाउस सेकेंडरी मार्केट में बॉन्ड्स बेचने का मौका तलाश सकता है.

लॉकडाउन की वजह से मनी मार्केट में ट्रेडिंग के घंटे घट गए हैं. साथ ही यस बैंक की रीस्ट्रक्चरिंग ने भी इनवेस्टर्स की बॉन्ड्स में दिलचस्पी कम हुई है.

लॉकडाउन के खत्म होने के बाद अगर मार्केट्स में बड़े पैमाने पर रिकवरी होती है तो फंड हाउस अच्छी कीमत पर मैच्योरिटी से पहले ही कुछ बॉन्ड्स बेचने पर विचार कर सकता है.

अगर कोई इश्यूअर बॉन्ड आउटस्टैंडिंग का पहले ही भुगतान करता है तो आपको पैसा जल्दी मिल सकता है. लेकिन, इस बात के आसार बेहद कम हैं क्योंकि कोविड-19 के दौर में कॉरपोरेट्स का हाथ काफी तंग है.

फ्रैंकलिन टेम्पल्टन की ग्लोबल प्रेसिडेंट जेनिफर एम जॉनसन ने कहा था कि मार्केट रेगुलेटर की एक गाइडलाइंस की वजह से उसकी मुश्किल बढ़ गई है. इसके बाद सेबी ने कहा था कि फ्रैंकलिन रेगुलेटर की गलतियां निकालने के बजाय निवेशकों का पैसा लौटाने पर फोकस करे.

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First published: May 12, 2020, 10:56 AM IST



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