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जिला प्रशासन के श्रमिक सहायता केंद्रों से आसान हुई श्रमिकों की यात्रा

दुर्ग। गोपाल महतो मुंबई में मजदूरी करते हैं। वो झारखंड जाने निकले। गोपाल ने बताया कि रास्ता लंबा था और मन में बहुत दुविधा थी लेकिन अब तक बहुत कुशलता से पहुंच गया हूँ। छत्तीसगढ़ राज्य का अपना अनुभव बताते हुए उन्होंने कहा कि बैरियर में मेरी मेडिकल जांच की गई। इसके बाद श्रमिक सहायता केंद्र में मैंने नाश्ता किया। फिर दुर्ग में श्रमिक सहायता केंद्र में रूका। यहां मुझे नाश्ता कराया गया, रास्ते के लिए सूखी खाद्य सामग्री दी गई। लंबी दूरी में जब सारे रेस्टारेंट बंद हैं इस तरह शासन द्वारा सहायता केंद्र खोला जाना बहुत अच्छा है।

वहीं अंजोरा नाके में जिला प्रशासन ने दूसरे राज्यों से आने वाले श्रमिकों के लिए बस उपलब्ध कराई। वहीं एडीशनल एसपी  रोहित झा एवं सीएसपी विवेक शुक्ला ने नाश्ते के पैकेट श्रमिकों को दिए। इन सभी को अपने गृह ग्राम तक छोडऩे के लिए बस का  इंतजाम किया गया। वर्धा में चना तोडऩे का काम करने श्यामलाल ने बताया कि चना तोडऩे गए थे लाकडाउन लग गया। भरोसा था कि अपने प्रदेश की सीमा तक पहुंच गए तो आगे भी अपने लोगों की मदद से पहुंच जाएंगे। अब यहां बस मिल गई है आगे के सफर की कोई दिक्कत नहीं रही।

दूसरे राज्यों से लौट रहे प्रवासी श्रमिकों को यात्रा के दौरान किसी तरह से खाने-पीने की दिक्कत न हो और उचित ट्रांसपोर्टेशन मिले, इसके लिए शासन ने महत्वपूर्ण स्थलों पर श्रमिक सहायता केंद्र स्थापित किए हैं। इन केंद्रों में नाश्ते के साथ सूखा राशन दिया जा रहा है और जरूरत पढऩे पर ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। उल्लेखनीय है कि अंजोरा नाके पर, गंडई नाके पर और प्रत्येक नगर निगम की सीमा पर श्रमिक सहायता केंद्रों का संचालन किया जा रहा है जहां श्रमिकों की सभी तरह की परेशानियों का हल करने निर्देश दिए गए हैं। अलग-अलग रूट में बसों एवं अन्य छोटे वाहनों के माध्यम से श्रमिकों को सुरक्षित घर तक पहुंचाने की कार्रवाई की जा रही है।

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