देश दुनिया

BCI ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के सचिव के निलंबन पर लगाई रोक, कहा- यह गैरकानूनी | BCI halts suspension of supreme court bar association secretary | nation – News in Hindi

BCI ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के सचिव के निलंबन पर लगाई रोक, कहा- यह गैरकानूनी

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन का मामला.

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (Supreme court bar association) के सचिव अशोक अरोड़ा और अध्यक्ष दुष्यंत दवे के बीच मतभेद हाल ही में सार्वजनिक हुए थे और इसी वजह से कार्यकारिणी ने अरोड़ा को निलंबित कर दिया था.

नई दिल्ली. वकीलों की शीर्षस्थ संस्था बार काउंसिल आफ इंडिया (BCI) ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (Supreme court bar association) के निर्वाचित सचिव को निलंबित करने के फैसले पर सोमवार को रोक लगा दी. बार काउन्सिल आफ इंडिया ने उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी द्वारा अपने सचिव अशोक अरोड़ा को तत्कालीन प्रभाव से निलंबित करने के आठ मई के फैसले को गैरकानूनी, अलोकतांत्रिक और निरंकुश करार दिया है.

उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन के सचिव अशोक अरोड़ा और अध्यक्ष दुष्यंत दवे के बीच मतभेद हाल ही में सार्वजनिक हुये थे और इसी वजह से कार्यकारिणी ने अरोड़ा को निलंबित कर दिया था. हालांकि, इससे पहले, अशोक अरोड ने एसोसिएशन की आपात आम सभा 11 मई आहुत की थी जिसमे दुष्यंत दवे को अध्यक्ष पद से हटाने का मुद्दे पर चर्चा होनी थी. यह बैठक बाद में रद्द कर दी गयी थी. बार काउन्सिल आफ इंडिया ने अशोक अरोड़ा के प्रतिवेदन का संज्ञान लिया और उसने उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित करने पर रोक लगाने का प्रस्ताव पारित किया.

बार काउन्सिल आफ इंडिया ने कहा, ‘‘अत: सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया जाता है कि एससीबीए की कार्यकारिणी के आठ मई के प्रस्ताव, जिसमे अशोक अरोड़ा को सचिव पद से निलंबित किया गया है, पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाती है. अशोक अरोड़ एसोसिएशन के सचिव पद पर बने रहेंगे और अपने सभी अधिकारों का निर्वहन करते रहेंगे.

प्रस्ताव में आगे कहा गया, ‘‘हम लॉकडाउन खत्म होने के बाद न्यायालय का सामान्य कामकाज शुरू होने पर अशोक अरोड़ा को दो सप्ताह के भीतर बार एसोसिएशन की आम सभा की बैठक बुलाने का निर्देश देते हैं. इसकी कार्यसूची बार एसोसिएशन के नियमों के अनुसार सारे सदस्यों को पहले भेजी जायेगी और इसमें अध्यक्ष, सचिव तथा कार्यकारिणी के सदस्यों के बीच उत्पन्न सारे मसले शामिल होंगे.’’बार काउन्सिल ऑफ इंडिया ने कहा कि अधिवक्ता कानून की धारा सात के तहत यह उसका कर्तव्य है कि अधिवक्ताओं के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिये एक मानक निर्धारित किया जाये. यह मामला सीधे तौर पर काउन्सिल के इन कार्यो के दायरे में आता है.

यह भी पढ़ें: VIDEO: ये हैं कर्नाटक के ‘मंकी मैन’, बिना रस्‍सी के चढ़ गए ऊंचे किले की दीवार

News18 Hindi पर सबसे पहले Hindi News पढ़ने के लिए हमें यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें. देखिए देश से जुड़ी लेटेस्ट खबरें.


First published: May 11, 2020, 8:24 PM IST



Source link

Related Articles

Back to top button