कश्मीर में सेना के ठिकानों पर हमले कर सकता है जैश, रेड अलर्ट पर सुरक्षाबल | Security forces on red alert ahead of terror bombing threat in Kashmir | nation – News in Hindi
रिपोर्ट के मुताबिक ये हमला कार बम या फिदायीन हमलावर की मदद से किया जा सकता है.
खुफिया सूचना है कि आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammad) द्वारा सोमवार यानी 11 मई को सेना (Indian Army) और अर्धसैनिक बलों के ठिकानों पर एक साथ आत्मघाती हमले करने की योजना है.
खबर मिली है कि आतंकी समूह हिजबुल मुजाहिदीन (Hizbul Mujahideen) के गाजी हैदर उर्फ सैफुल्लाह मीर को कश्मीर में हिज्बुल कमांडर बना सकता है जिसके बाद कश्मीर में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. खबर है कि सैफुल्लाह इसी हफ्ते मुठभेड़ में मारे गए रियाज नाइकू (Riyaz Naikoo) की जगह ले सकता है.
आतंकियों की दूसरी पंक्ति भी तैयार कर रहा जैश
कश्मीर में एक सुरक्षा अधिकारी ने कहा “गाजी हैदर एक नामांकित व्यक्ति है. गाजी का मतलब है कि इस्लामी योद्धा, हैदर का मतलब बहादुर है,” नए हिजबुल कमांडर का पता लगाने के लिए ऑपरेशन जल्द ही शुरू होगा. आतंकी संगठन ने नेतृत्व की अपनी दूसरी पंक्ति को भी तैयार किया है. गाजी हैदर का एक डिप्टी, ज़फ़र उल इस्लाम और एक मुख्य सैन्य सलाहकार अबू तारिक भाई होगा.लेकिन फिलहाल सुरक्षाबलों की तत्काल प्राथमिकता 11 मई को सुरक्षा बलों के काफिलों को जैश-ए-मोहम्मद के खतरे को बेअसर करना है. आतंकवादी समूह सोमवार को संभावित हमलों की योजना बना रहा है. पिछले हफ्ते, खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, जैश के प्रमुख मुफ्ती अब्दुल रऊफ असगर ने पाकिस्तान सेना (Pakistani Army) की इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस में अपने संचालकों से मुलाकात की थी.
इसलिए चुनी गई 11 तारीख
सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि हमले के लिए 11 मई को चुना गया है क्योंकि इस दिन रमजान की 17 तारीख है जब बद्र की लड़ाई सऊदी अरब में कुछ सौ सैनिकों द्वारा लड़ी गई और जीती गई थी. इस्लामी इतिहास में, इसे इस्लाम के शुरुआती दिनों में भारी जीत और एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जाता है.
यह 1998 में भारत के पोखरण परमाणु परीक्षणों के दूसरे दौर की 22 वीं वर्षगांठ भी है जब भारत, हवाई और भूमि-आधारित परमाणु उपकरणों को वितरित करने की क्षमता वाला एक परमाणु हथियार राज्य बन गया था.
सुरक्षाबलों को दिए गए सुरक्षा के निर्देश
जैश-ए-मोहम्मद, जिसमें कि ज्यादातर पाकिस्तानी आतंकी है, वह इस हमले के लिए स्थानीय कश्मीरियों का इस्तेमाल कर सकता है. इससे पहले जैश ने 2019 में पुलवामा हमले (Pulwama Attack) में ऐसा ही किया था.
सीआरपीएफ (CRPF) के काफिले पर हुए इस हमले में 40 से ज्यादा जवान शहीद हुए थे. कश्मीर पुलिस के एक अधिकारी ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि इस तरह हमले करने से पाकिस्तान के इन आतंकी समूहों का खर्च कम हो जाता है. ये इसलिए और भी जरूरी हो जाता है कि इससे पाकिस्तान को बहाना मिल जाता है कि हमला कश्मीरी लोगों ने किया है.
सरकार ने इस खुफिया जानकारी के बाद रविवार को अहम बैठक की. इस बैठक के बाद सुरक्षाबलों के सभी काफिलों को कड़ी सुरक्षा में एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जाएगा.
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First published: May 11, 2020, 5:35 AM IST