आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए अब अफ्रीकी मुल्कों का सोना लूट रहा ISIS isis terror activities fund through african countries gold mine | knowledge – News in Hindi
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक मिडिल ईस्ट में अपनी जमीन खोते जा रहे ये आतंकी अब अफ्रीका के देशों, जैसे बुर्किना फासो के अलावा माली के भी अनौपचारिक गोल्ड ट्रेड पर कब्जा कर चुके हैं. इसकी कीमत लगभग 2 बिलियन डॉलर मानी जा रही है. तेल खदानों पर कब्जा, अपहरण, फिरौती, लड़कियों की खरीद-फरोख्त, नशे का व्यापार जैसे गैरकानूनी कामों से पैसे कमाने और उसे आतंक फैलाने में लगाने वाला संगठन अब गोल्ड माइन्स हथिया रहा है.
आतंकी अब अफ्रीका के देशों, जैसे बुर्किना फासो के अलावा माली के भी अनौपचारिक गोल्ड ट्रेड पर कब्जा कर चुके हैं.
संयुक्त राष्ट्र (United Nations) और बहुत से निजी रिसर्चर चेता रहे हैं कि इस्लामिक स्टेट और अलकायदा (Al-Qaeda) अब अफ्रीका के गरीब इलाके बुर्किना फासो तक पहुंच चुके हैं. यहां जंगल भी हैं और सोने की खानें भी. इस्लामिक चरमपंथियों के लिए ये आम के आम, सोने के दाम की तरह है. दुर्गम इलाके में वे आसानी से छिप सकते हैं. साथ ही खदानों से सोना निकालकर उन्हें बेच रहे हैं. इस आय का इस्तेमाल दुनिया में इस्लामिक राज कायम करना है.क्या है बुर्किना फासो का इतिहास
ये असल में छोटे किसानों का देश रहा है. यहां साल 2018 में उपग्रह से सरकारी सर्वेक्षण हुआ, जिसमें 2200 ऐसी खानों की पहचान हुई, जिनके बारे में पहले कोई अंदाजा नहीं था. इनके अलावा भी यहां सोने की सैकड़ों आइडेंटिफाइड खानें हैं. गोल्ड माइन्स की वजह से ये इलाका तस्करों के निशाने पर रहा. सोने की खदानों की खोज में तेजी से जंगल काटे जा रहे हैं, जिसकी वजह से वन्य प्राणियों की जान जाने लगी. तब स्थानीय प्रशासन और फिर सरकार ने ही बुर्किना फासो के कई इलाकों को संरक्षित वन क्षेत्र घोषित कर दिया.
यहां से हुई शुरुआत
साल 2018 में सहारा रेगिस्तान के दक्षिणी इलाके में कुछ गतिविधियां होने लगीं. ये गतिविधियां थीं मुस्लिम चरमपंथियों की. इन हथियारबंद लोगों ने जंगलों की रखवाली के तैनात सेना और वनकर्मियों को भगा दिया. इसके बाद स्थानीय किसानों को बुलाया गया और कहा गया कि वे खदानों की खुदाई करें. उन्हें सेना या रेंजर नहीं रोकेंगे. बदले में वे जंगलों में पनाह चाहते थे और सोने में हिस्सा.
सरकार ने ही बुर्किना फासो के कई इलाकों को संरक्षित वन क्षेत्र घोषित किया हुआ था
ISIS के बारे में
बता दें कि लगभग 10 हजार सदस्य संख्या वाले ISIS को दुनिया का सबसे अमीर आतंकी संगठन माना जाता है जिसका बजट 2 अरब डॉलर का है. साल 2013 में बने इस संगठन को में अल कायदा का समर्थन मिला, जो कि खुद एक इस्लामिक चरमपंथी संगठन है. हालांकि बाद में ये दोनों अलग विचारधारा के चलते अलग हो गए. लगभग 10,000 सदस्य संख्या (सक्रिय) वाले इस संगठन को इसकी क्रूरता के लिए जाना जाता है. मिडिल ईस्ट में अमेरिकी दखल के बाद इसके पैर उखड़ गए, जिसके बाद से ये संगठन दूसरी जगहों पर अपने पैर फैलाने लगा.
माना जा रहा है कि बुर्किना फासो के अलावा इस्लामिक स्टेट माली और नाइजर में भी सोने की खदानों पर कब्जा कर रहा है, जिसकी लागत 2 अरब डॉलर से भी ज्यादा हो सकती है. यहां से सोना बेचकर वे हथियार खरीद रहे हैं, नए सदस्यों की भर्तियां कर रहे हैं और नशे का कारोबार बढ़ा रहे हैं. खुद बुर्किना फासो के खनन मंत्री ओउमारु इदानी (Oumarou Idani) ने माना है कि इस्लामी चरमपंथियों ने संरक्षित क्षेत्रों में कुछ खानों पर कब्जा कर लिया है और लोगों को अपने फायदे के लिए खुदाई को उकसा रहे हैं.
खदानों से निकाला गया सोना मजदूरों को नहीं मिलता, बल्कि तुरंत ISIS के कब्जे में चला जाता है
ऐसे होती है सोने की तस्करी
खदानों से निकाला गया सोना मजदूरों को नहीं मिलता, बल्कि तुरंत ISIS के कब्जे में चला जाता है. वहां से ये पड़ोसी देश Togo पहुंचता , जो कि सोना तस्करी का गढ़ माना जाता है. टोगो से होते हुए इसे UAE (संयुक्त अरब अमीरात) भेजा जाता है, जहां रिफाइनरी में पिघलाकर इसे सऊदी , तुर्की और स्विट्जरलैंड भेज दिया जाता है. यही सोना भारत भी आता है.
माना जा रहा है कि कहीं न कहीं संयुक्त अरब अमीरात भी ISIS का समर्थक है और यही वजह है कि वो खदानों से जबर्दस्ती या चोरी से निकाले गए सोने को रिफाइन करने और उसे दूसरे देशों में भेजने का काम करता है. संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के मुताबिक अकेले साल 2018 में ही UAE ने लगभग 7 टन सोना लिया था और इसे दूसरे देशों को बेचा था.
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