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बर्फीले पहाड़ों से घिरी भारत-चीन की वो सीमा, जहां कई बार दिखे रहस्यमयी एलियंस india china controversy kongka la pass and unidentified flying object alien | knowledge – News in Hindi

बर्फीले पहाड़ों से घिरी भारत और चीन की वो सीमा, जहां कई बार दिखे रहस्यमयी एलियंस

एक जगह है कोंग्का दर्रा, जहां कई बार एलियंस के दिखाई देने की बात कही जा चुकी है

भारत और चीन की सीमा (India-China border) पर स्थित एक विवादित जगह कोंग्का दर्रा (Kongka La Pass) एक ऐसी रहस्यमयी जगह है, जहां कई बार एलियंस (aliens) के देखे जाने का दावा किया गया है. अब इस जगह पर भारत या चीन किसी का भी आना-जाना वर्जित है.

वैज्ञानिकों से लेकर आम लोगों के मन में भी जब-तब ये बात उठती रहती है कि क्या सिर्फ हमारे ग्रह पर ही जीवन है? क्या कोई दूसरा ग्रह भी है, जहां हमारी तरह या हमसे कई गुना ज्यादा जानकार एलियन्स बसते हैं? धरती के कई हिस्सों में नजर आ चुके UFO (Unidentified flying object) से इसी बात को बल मिलता है. ऐसी ही एक जगह है कोंग्का दर्रा, जहां कई बार एलियंस के दिखाई देने की बात कही जा चुकी है.

कहां है ये दर्रा और क्या है विवाद
कोंग्का ला में ला शब्द का अर्थ तिब्बती भाषा में दर्रा है. ये लद्दाख क्षेत्र में स्थित एक पहाड़ी दर्रा है, जिसपर काफी विवाद है. भारत का मानना है कि ये उसकी सीमा में आता है, जबकि चीन इसपर अपना दावा करता है. इसे ही लेकर1959 में भारत-चीन युद्ध की शुरुआत से पहले भारत के सैन्य दस्ते पर दर्रे के पास मौजूद चीनी सैनिकों ने हमला बोल दिया था, जिसमें 10 भारतीयों की मौत हो गई. जबकि 7 भारतीय सैनिकों को चीनी सरकार ने गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद से चीन-भारत तनाव काफी बढ़ गया. इस घटना ने भी दोनों देशों के बीच युद्ध में अहम भूमिका निभाई. बाद में एक समझौता किया गया, जिसके तहत कोंग्का ला में दोनों देशों में से कोई भी पेट्रोलिंग के लिए आता-जाता नहीं है. वहीं इसके उत्तरपूर्व का हिस्सा चीन की ओर है, जिसे अक्साई चीन नाम दिया गया, जबकि उसके उल्टी तरफ का हिस्सा भारत के लद्दाख की ओर फैला हुआ है.

क्षेत्र पूरी तरह से नो-मेन्स लैंड बना हुआ है और चारों तरफ से दुर्गम पहाड़ों से घिरा है

क्यों मिला है एलियंस थ्योरी को बल 
इस निर्जन पड़े क्षेत्र में बीते सालों में कई बार उड़न तश्तरी जैसी चीजें दिखी हैं. चूंकि ये क्षेत्र पूरी तरह से नो-मेन्स लैंड बना हुआ है और चारों तरफ से दुर्गम पहाड़ों से घिरा है इसलिए इस बात की पुष्टि साइंटिस्ट भी नहीं कर पा रहे हैं कि इसमें कितनी सच्चाई है और कितना हिस्सा अफवाह है. वैसे इस यकीन के पीछे साइंस भी है. कोंग्का पास धरती का वो हिस्सा है, जहां पर इसकी पपड़ी की गहराई दुनिया के किसी भी हिस्से से दोगुनी है. ऐसा तभी होता है जब पृथ्वी की एक टेक्टॉनिक (lithospheric ) प्लेट दूसरे के नीचे दब जाती है. बता दें कि ये प्लेट धरती की प्राचीन परत हैं, जो मजबूत चट्टानों से बनी होती हैं. इसी की उपस्थिति के कारण यहां पर एलियंस के बेस की धारणा को मजबूती मिली.

कई बार दिखी उड़तश्तरी-नुमा चीजें
वैसे यूएफओ से जुड़ी यहां कई घटनाएं दर्ज की गई हैं, जैसे साल 2004 में यहां कुछ भारतीय भूविज्ञानी खोज कर रहे थे. इस दौरान वहां रोबोट जैसा कुछ स्ट्रक्चर दिखा, जो पहाड़ों पर चल रहा था. जैसे ही वैज्ञानिक पास पहुंचे, वो गायब हो गया. साल 2012 में भारतीय सेना ने Pangong Lake के ऊपर एक रिबननुमा ऑब्जेक्ट को उड़ता देखा. इसे समझने के लिए आर्मी ने जैसे ही रडार का इस्तेमाल किया, वो दिखना बंद हो गया, जबकि पहले खुली आंखों से भी दिखाई दे रहा था. गूगल अर्थ की इमेजरी में भी कोंग्का दर्रे के आसमान में कोई अजीब चीज कई बार दिखी है.

कोंग्का ला पास लद्दाख क्षेत्र में स्थित एक पहाड़ी दर्रा है, जिसपर काफी विवाद है

हालांकि अब तक ये तय नहीं हो सका कि रहस्यमयी दिखने वाली ये चीजें क्या सचमुच में एलियंस हैं? या फिर क्या भारत चीन की ये विवादित सीमा क्या वास्तव में एलियंस का अड्डा है? फिलहाल विवादित और बहुत दुर्गम होने के कारण इस सीमा पर खास पड़ताल नहीं कर सके हैं लेकिन ये तय है कि बर्फ और ऊंचे पहाड़ों के बीच यहां कुछ तो है, जो रहस्यमयी है.

वैसे इससे पहले और लगातार ही कैलाश पर्वत के बारे में भी कहा जाता रहा है कि यहां या तो एलियन्स आते हैं या फिर पारलौकिक शक्तियों का बसेरा है. कैलाश पर स्टडी करने वाले रूस के नेत्र रोग विशेषज्ञ एर्नस्ट मुल्दाशिफ ने कैलाश के रहस्यों पर एक किताब भी लिखा- व्हेयर डू वी कम फ्रॉम. इसमें विस्तार में लोगों के इंटरव्यू हैं, जिन्होंने कुछ पारलौकिक महसूस किया या फिर देखा.

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First published: May 10, 2020, 12:17 PM IST



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