जनरल बिपिन रावत की सेनाओं को सलाह —विदेशी हथियारों पर नहीं मेक इन इंडिया पर दें ध्यान – General Bipin Rawat Advice to indian forces – Focus on Make in India, not on Foreign Weapons | nation – News in Hindi


चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने सेनाओं को दी सलाह.
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat) ने कहा कि विदेशों से हथियार मंगाने में भारत सरकार जितना पैसा खर्च करती है, उससे देश में ही डिफेंस इंडस्ट्री (Defense industry) तैयार की जा सकती है.
टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए गए एक इंटरव्यू में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने ये बातें कही. उन्होंने कहा कि विदेशों से हथियार मंगाने में भारत सरकार जितना पैसा खर्च करती है, उससे देश में ही डिफेंस इंडस्ट्री तैयार की जा सकती है. उन्होंने कहा कि दूसरे देशों को देखकर हथियारों को नहीं मंगाना चाहिए बल्कि अपनी जरूरतों के हिसाब से हथियारों का सौदा किया जाना चाहिए.
जनरल रावत ने कहा कि हमारी सेना का काम केवल अपनी सीमा की सुरक्षा करना है न कि दूसरे दशों में जाकर तैनात होना. ऐसे में जरूरी है कि हम अपनी सीमा की सुरक्षा करने के लिहाज से ही हथियारों के बारे में सोचें. रावत ने इस दौरान समुद्री क्षेत्र पर भी विशेष ध्यान देने को कहा. उन्होंने कहा कि इस समय जरूरत है कि हम समुद्री क्षेत्र में भी अपना दबदबा बनाकर रखें.
सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने कहा, ‘देश इन दिनों कोरोना वायरस जैसी गंभीर महामारी से गुजर रहा है. ऐसे में इससे बचना भी है और देश की रक्षा भी करनी है. हमें अपनी जरूरतों के हिसाब से ही अपने अभियान की प्राथमिकताएं तय करनी होंगी. विदेशों से मंगाए जाने वाले हथियार और सुरक्षा उपकरण और उनका मेंटनेंस काफी महंगा होता है.’ उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम विदेशी हथियारों पर निर्भर न रह कर भारत में बने हथियारों पर फोकस करें.इसे भी पढ़ें :- रैम्बो नहीं हैं आतंकी, हमें उनकी लीडरशिप को महत्व नहीं देना चाहिए: CDS जनरल रावत
भारत हथियार खरीदने में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश
भारत दुनियाभर के देशों से हथियार खरीदने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है. पहले नंबर पर सऊदी अरब है. सऊदी अरब में दुनियाभर से खरीदे जाने वाले हथियारों का 9.2 प्रतिशत खरीदा जाता है. हाल के दिनों में भारत ने 59 हजार करोड़ रुपये की 36 राफेल फाइटर जेट और 40 हजार करोड़ रुपये की पांच रूसी जमीन से आसमान में मार करने वाली S-400 मिसाइल स्क्वॉड्रान की डील की है. ऐसे में अब जरूरत समझी जा रही है कि इन महंगे सौदों से बेहतर है कि देश में ही हथियारों को तैयार किया जाए, जिससे सरकारी खजाने में होने वाले अतिरिक्त बोझ को कम किया जा सके.
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