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उसका न बेटा और न बेटी फिर भी वो 500 बेटियों की मां  अब कोरंेटीन में पांच सखियों का रख रही ख्याल  बच्चियों के मन से निकला कोरंटीन का डर 

उसका न बेटा और न बेटी फिर भी वो 500 बेटियों की मां 
अब कोरंेटीन में पांच सखियों का रख रही ख्याल 
बच्चियों के मन से निकला कोरंटीन का डर 
नारायणपुर,सबका संदेस न्यूज़ छत्तीसगढ़-
मैं बात एक ऐसी मां की कर रहा हूं जिसका कोई बेटा और न ही कोई बेटी। लेकिन फिर भी वह 500 बेटियों की मां का फर्ज निभा रही है। मां की तरह इनकी देखभाल करती तो वक्त पर अनुशासित रहने का पाठ भी पढ़ाती है। जी…हां बात नक्सल प्रभावित जिला नारायणपुर की कन्या आश्रम की अधीक्षिका कुमारी सुनीता कुमेटी की बता रहा हूं। जिसने अभी शादी नहीं की।  लेकिन वो 500 बच्चों की मां है। उसने कभी उफ् तक नहीं की। न किसी से शिकायत और न शिकवा है। वो तो सिर्फ 500 बच्चों (छात्राओं) के साथ खुश थी। बच्चियां भी उसके शाला आश्रम में खुशी-खुशी रह रही थी। हमें गर्व है इस बात का कि हम इस मां के कोरंेटीन सेन्टर में है। पूछने पर बताया कि सेंटर में वह सभी जरूरी सुविधा है जो एक व्यक्ति को मुसीबत के समय मिलनी चाहिए। अधीक्षिका मां की तरह देखभाल कर रही हैं। सुरक्षा के साथ ही भोजन और सफाई से संतुश्ट है। ये मैं नहीं वे पांच सखियां (छात्रायें) कुमारी, सुनीता, सोनदाय, जामवन्ती, लच्छनतीन और अमरोतीन बोल रही है । जो 4 मई से नारायपुर के गंराजी स्थित सरकारी बुनियादी कन्या शाला के कोरेंटीन संेन्टर में 14 दिनों के लिए कोरंटाइन में है। ये सभी बिलासपुर से लायी गई है। इसके साथ ही एक सहायक प्राध्यापक भी बनारस से आयी है। वह भी कोरंटाइन में है।
पहले बताना लाजमी होगा कि दूसरे राज्यों या शहरों से आने वाले मजदूरों या व्यक्तियों को 14 दिन तक रखने के लिए जिले में 15 क्वारेंटीन सेंटर बनाये गये है। जिसमें नारायणपुर गंराजी स्थित 500 सीटर कन्या शाला आश्रम भी एक है। दूसरें राज्यों या नारायणपुर से बाहर के शहरों से वापस आये लोगों को इनमें कोरेंटीन किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा उठाए गए कदम से कोरोना से मजबूर प्रवासी मजदूरों को लाभ मिला। प्रवासी मजूदरों की आवाजाही की यह शुरूआत है। पिछले डेढ़ माह से अधिक समय से लॉकडाउन में फंसे लोग अब धीरे-धीरे शासन द्वारा वापस लाया जा रहा है। यह सुखद बात है। 
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल भी बार-बार दूसरें राज्यों और शहरों में फंसे लोगों से अपील कर रहे हैं कि वे धैर्य रखें और पैदल यात्रा नहीं करें। यह खुशी की बात है कि मुख्यमंत्री ने विभिन्न राज्यों के ऐसे श्रमिक जो छत्तीसगढ़ से होकर अपने राज्य में जा रहे है, उनके लिए भोजन और पानी की व्यवस्था के साथ उन्हें राज्य की सीमा तक पहुंचाने के लिए आवश्यक व्यवस्था के निर्देश सभी कलेक्टरों को दिए है। नारायणपुर के दो कोरेंटीन सेंटर में मध्यप्रदेश, झारखण्ड और राजस्थान से आये 40 लोगों को लाईवलीहुड कॉलेज और हायर सेकेण्डी बालक स्कूल गंराजी में रखें गये है। जहां सभी जरूरी सुविधा मुहैय्या कराई गई है । 
अब पढ़े उस मां की बाकी बातें जो बच्चियों की पढ़ाई के साथ खान-पान और उनकी सेहत का ख्याल रखती। लेकिन एक अदृश्य दुश्मन (कोरानो) ने इन 500 बच्चियों से बिछड़ा दिया। पता नहीं अब कब बच्चों से मिलन होगा। लगभग 5-6 हफ्ते पहले बच्चियों को उनके घर सुरक्षित भेजकर आश्रम खाली हो गया था। वो उदास और मायूस हो गयी थी। बिलासपुर से लॉकडाउन में फंसी पांच (छात्राएं) जो आपस में सखियां हैं, उनके आते ही खिल उठी। इन छात्राओं के मन से कोरंेटीन सेंटर में रहने का खोफ भी जाता रहा। वही दो और सेन्टरों में 54 लोगों को कोरंटीन किया गया है। उन्हें भी वे सभी जरूरी सुविधा मुहैया है जो उन्हें मिलनी चाहिए। खाने की उत्तम व्यवस्था के साथ ही गर्मी का एहसास न हो इसके लिए पंखा, सोने के लिए बिस्तर और साफ-सुधरे शौचालय की व्यवस्था है। स्वास्थ्य परीक्षण भी लगातार किया जा रहा है। किसी में भी बीमारी के कोई लक्षण नहीं है। 
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