खनिज विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में प्रशासन असफल
अधिकारीयों कर्मचारियों के कारण जिले में गौण खनिज की मची लूट
दुर्ग : जिले के राजस्व के मामले में आबकारी विभाग के बाद खनिज विभाग सबसे अधिक राजस्व का विभाग माना जाता है ! इस विभाग में बैठे हुए अधिकारी से कर्मचारी तक यदि ईमानदारी से सभी प्रकार के गौण-खनिज का सदुपयोग करते हुए विभाग की लापरवाही, भ्रष्टाचार तथा निकम्मे कर्मचारियों के कारण जैसा खनिज विभाग को आमदनी होना चाहिए वैसा विभाग कर नहीं पा रहा है इसका प्रमुख कारण जिले के अन्दर में जितने भी गौण खनिज है उनका सही तरीके से अससमेंट ( नापझोख ) नियम के अनुसार नहीं होना इसके आलावा रोयल्टी पर्ची आबंटन के मामले में भी ढ़ेरों अनियमिताएँ देखने व् सुनने को मिलती है, कभी कभी ऐसा भी देखा जाता है कि रोयल्टी पर्ची बड़े ठेकेदारों को फ्री ( निशुल्क ) में दिया जाता है जिसके कारण बड़े ठेकेदार एवं छोटे ठेकेदारों में हमेशा रोयल्टी पर्ची को लेकर विभाग के कर्मचारियों से तनातनी होती रहती है ! वही दूसरी ओर ब्लास्टिंग के मामले में भी नियम को ताक़ पर रखकर खनिज ठेकेदार बलास्टिंग करते है, जबकि नियमानुसार ब्लास्टिंग के समय आसपास के क्षेत्र के रहवासी ( ग्रामीण ) को ध्यान में रखते हुए ब्लास्टिंग किया जाना चाहिए, जैसा की ग्रामीण क्षेत्र के लोगो द्वारा आक्रोश परिलक्षित होता हुआ दिखाई देता है मगर शासन प्रशासन के डर के कारण बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे इसकी प्रमाणिकता के लिए स्वंय जिला खनिज अधिकारी तथा सम्बंधित विभाग के प्रशासनिक अधिकारी को सप्ताह में एक दिन सेलूद पथरिया अहिवारा में भ्रमण करके देखना चाहिए कि वहा के रहवासी किस प्रकार नरकीय जीवन जी रहे है, साथ ही संध्या एवं सुबह को इस ब्लास्टिंग से स्कूल से आना जाने वाले बच्चे डर के कारण कई बार घायल भी हो चुके है, मगर प्रशासन की कुम्भकर्णी निद्रा मात्र धन कैसे और कहा से आये इसी पर इनका ध्यान केन्द्रित रहता है ! इसके अलावा इस विभाग के जितने भी इंस्पेक्टर हो या सुपरवायजर ये तो बाराती के समान अपनी ड्यूटी निभाते है वर्ना क्या कारण है की इनकी ड्यूटी सुबह 8 बजे से संध्या 5 बजे तक होने के बावजूद ये लोग 12 से 2 बजे के बीच में अपना घर छोड़ते है, अगर इनको इतनी ही नौकरी से एलर्जी है या नौकरी नहीं करना चाहते है तो विभाग को स्वेच्छा से वी आर लेकर शासन के ऊपर थोडा से अहसान कर देना चाहिए जिससे नये युवाओं को नौकरी मिलने में सहूलियत होगी और उनका परिवार पूरी जिंदगी दुवाएं देता रहेगा !
ठेकेदारों के मध्य से अक्सर यह बात निकलकर आती है कि विभाग द्वारा गाड़ियों का जो चालान किया जाता है वह चालान पर्ची अवैध है, शुत्रों का कहना है की नंबर दो पर राजस्व के मामले में विभाग इतना गरीब हो गया है की एक चालान पर्ची की की छपाई नियमानुसार ना करवाकर शासन की आँखों में धूल झोकते हुए सादा कागज़ जिसमे ना कोई नंबर है ना किसी अधिकारी के हस्ताक्षर है, जिसके कारण प्रायः यह देखा गया है की गाड़ियों के पकड़ाने पर बड़ी बेदर्दी और बेहयाई से यह उस अवैध चालान पर्ची का इस्तेमाल करते है और सौदा पट गया तब यह उस चालान पर्ची को फाड़कर वही फ़ेंक देते है जैसे सड़क के किनारे रद्दी की टोकरी रखी हो इनके लिए जिसके कारण विभाग के वरिष्ट अधिकारीयों को भनक तक नहीं लगती और इंस्पेक्टर और सुपरवायजर में बंदरबाट हो जाता है जिसके कारण गौण खनिज के ठेकेदार यह सोचकर निकल जाते है की पैसे के दम पर इनसे अवैध रूप से खनिज परिवहन करना और वरिष्ट अधिकारीयों के मध्य भी कुछ तो हिस्सा जाता ही होगा जिसके कारण बड़े निडर होकर खनिज के बड़े ठेकेदारों का हौसला दिनोदिन बढ़ता जा रहा है और क्षेत्र के अन्दर इनका आतंक देखने के काबिल है जिसपर समय रहते विभाग के वरिष्ट अधिकारी ध्यान नहीं दिए तो इनके कोपभाजन का शिकार स्वंय अधिकारी भी हो सकते है ! इसलिए समय रहते शासन प्रशासन की निगाह नहीं गया तो उस परिस्थिति में जिले के गौण खनिज के बन्दरबाट से किसी समय भी अप्रिय स्थिति उत्पन्न हो सकती है !