Aurgangabad: ट्रेन की आवाज सुन मैं पूरी तरह जाग पाता… इससे पहले सब खत्म हो गया | migrant Eyewitness told the full story of Aurangabad railway accident | maharashtra – News in Hindi


(AP Photo)
रेलवे ने महाराष्ट्र स्थित औरंगाबाद (Aurangabad) में मालगाड़ी की चपेट में आए मजदूरों से जुड़ी दुर्घटना की जांच की घोषणा की है. हादसा औरंगाबाद से करीब 30 किलोमीटर करमाड के समीप सुबह लगभग सवा पांच बजे हुआ.
देशव्यापी लॉकडाउन के खत्म होने के हफ्तों के इंतजार के बाद, 20 लोगों के समूह ने मध्य प्रदेश के उमरिया और शहडोल जिलों में जाने के लिए जालना से 850 किलोमीटर की यात्रा पैदल करने का फैसला किया, शिवभान समूह के उन चार लोगों में से एक हैं जो इस दुर्घटना में बालबाल बच गए. शिवभान ने बताया कि हमारे कॉन्ट्रैक्टर ने हमें रोकने की कोशिश की और कहा कि कुछ समय में फैक्ट्री शुरू हो जाएगी लेकिन गांव में मेरे कच्चे मकान में कुछ मरम्मत की जरूरत थी. मुझे वापस आना ही था.
कॉन्ट्रैक्टर से बात होने के बाद समूह ने आगे के सफर के लिए रोटी और चटनी पैक कर ली. शिवभान ने कहा कि उन्होंने लगभग 40 किलोमीटर की दूरी तय की और इसी दौरान बदनपुर में उन्हें ट्रैक दिखी और वे पटरियों पर सो गए थे. उन्हें विश्वास था कि कोई भी ट्रेन उस पर नहीं आएगी. जैसे-जैसे रात बढ़ी, लगभग 3.30 बजे, थके हुए समूह ने रात में आराम करने का फैसला किया.शिवभान, बृंद्रा सिंह और इंदल के साथ, समूह से 200 मीटर पीछे थे और पटरियों के पास जमीन पर सोए थे, जबकि 17 जो आगे थे उन्होंने पटरियों पर लेटने का फैसला किया.
मोबाइल टार्च की रोशनी से हमें संकेत दिया कि वे वहां आराम कर रहे…शिवभान ने कहा कि ‘हम उन्हें साफ नहीं देख पाए लेकिन उन्होंने अपने मोबाइल टार्च की रोशनी से हमें संकेत दिया कि वे वहां आराम कर रहे हैं.’ वहीं इंदललाल, शिवभान और बृंदा सिंह, पटरियों के दूर लेटे हुए थे. रात में ट्रेन के हूटर की आवाज सुनकर जाग गए. इंदललाल ने कहा, ‘इससे पहले कि मैं पूरी तरह से जाग पाता था, सब कुछ खत्म हो गया था.’
वहीं रेलवे के एक अधिकारी ने कहा कि जीवित बचे लोगों के अनुसार मजदूरों ने गुरुवार शाम सात बजे जालना से चलना शुरू किया और लगभग 36 किलोमीटर चलने के बाद पटरियों पर आराम करने का निर्णय किया. अधिकारी ने बताया कि मालगाड़ी में पेट्रोल के खाली कंटेनर थे और यह मनमाड तहसील स्थित पानेवाडी जा रही थी. दुर्घटना के बाद यह अगले स्टेशन पर रुक गई. इस संबंध में एक अन्य अधिकारी ने कहा कि मृतकों के शव आज बाद में ट्रेन के जरिए जबलपुर ले जाए जाएंगे.
मृतकों की उम्र 20 से 35 वर्ष के बीच
पुलिस अधिकारी ने बताया कि मृतकों की उम्र 20 से 35 वर्ष के बीच थी और वे मध्य प्रदेश के उमरिया तथा शहडोल जिलों के रहने वाले थे. वे जालना में एक इस्पात कारखाने में काम करते थे. अधिकारी ने कहा कि प्रशासन जहां प्रवासी मजदूरों के लिए आश्रय शिविर चला रहा है, वहीं हादसे की चपेट में आए लोग अपने कारखाने के परिसर में रह रहे थे. उन्होंने कहा कि मजदूरों ने औरंगाबाद जाने का निर्णय किया क्योंकि उन्हें लगा कि उन्हें वहां से मध्य प्रदेश के लिए ट्रेन मिल सकती है.
नांदेड़ के डिवीजनल रेलवे मैनेजर उपेंद्र सिंह के मुताबिक, ‘जैसे ही लोको पायलट को पता चला कि पटरियों पर आदमी हैं, उसने इमरजेंसी ब्रेक लगाए, हूटर को सीटी देने के लिए दबाया. यह ट्रेन 70 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ रही थी. और जब तक यह रुकती तब तक देर हो चुकी थी.’
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First published: May 9, 2020, 7:24 AM IST