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लॉकडाउन में काम न करने पर भी पूरी सैलरी देने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका, सरकार को नोटिस | supreme court issues notice to government over full salary to employees in lockdown | nation – News in Hindi

'लॉकडाउन में काम न करने वालों को नहीं दे सकते पूरी सैलरी'- सुप्रीम कोर्ट में कारोबारियों ने लगाई गुहार

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका.

राजस्थान (Rajasthan) में जिंक खनन से जुड़ा निर्माण कार्य करने वाली कंपनी टेक्नोमिन कंस्ट्रक्शन ने केंद्र सरकार की अधिसूचना को चुनौती दी है.

नई दिल्‍ली. देश में कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus) के प्रसार को देखते हुए 17 मई तक लॉकडाउन (Lockdown) लागू किया गया है. केंद्र सरकार ने इस दौरान एक अधिसूचना जारी करके कहा था कि लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों को पूरा वेतन दिया जाए. अब सरकार की इस अधिसूचना को कुछ उद्योगों ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में चुनौती दी है. दाखिल की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

कुछ उद्योगों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल इस याचिका में कहा गया है कि आवश्यक सेवाओं से जुड़े उद्योगों को लॉकडाउन में काम करने की अनुमति दी गई है. लेकिन कई कर्मचारी केंद्र सरकार की अधिसूचना का फायदा उठाकर काम पर नहीं आ रहे हैं. पहले से संकट का सामना कर रहे उद्योगों को उन्हें पूरा वेतन देने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए.

खबर के मुताबिक राजस्थान में जिंक खनन से जुड़ा निर्माण कार्य करने वाली कंपनी टेक्नोमिन कंस्ट्रक्शन ने केंद्र सरकार की अधिसूचना को चुनौती दी है. कंपनी से इस अधिसूचना को भेदभाव भरा बताया है. कंपनी ने तर्क दिया है कि जो कर्मचारी ड्यूटी कर रहे हैं और जो काम पर नहीं आ रहे हैं, उन्हें एक समान दर्जा कैसे दिया जा सकता है? ऐसे में काम करने वाले मजदूरों के साथ भेदभाव होगा.

कंपनी की ओर ये यह भी दलील दी गई है कि काम बंद हो जाने के कारण इंडस्‍ट्री पहले से ही संकट में है. ऐसे में जिन उद्योगों ने विशेष अनुमति के बाद काम करना शुरू कर दिया है. उन्हें सभी कर्मचारियों का वेतन देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता. काम पर न आने वालों के वेतन में कटौती का आदेश बॉम्बे हाई कोर्ट ने दिया है. उसे पूरे देश में लागू करना चाहिए.वकील ने कोर्ट में दलील दी कि जो कर्मचारी काम कर रहे हैं, वह पूरे वेतन के हकदार हैं. लेकिन जो काम नहीं कर रहे है, उनको 30 फीसदी वेतन देने को ही कहा जाना चाहिए. अगर सरकार चाहे तो बाकी 70 फीसदी हिस्‍सा कर्मचारी बीमा निगम या पीएम केयर्स फंड के पैसों से दे.

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First published: May 8, 2020, 5:40 PM IST



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