जानें क्यों अपने घरों को लौटने के लिए मजबूर हैं प्रवासी मजदूर, क्या है अलग-अलग राज्यों में उनका हाल – Know why migrant laborers are forced to return to their homes, what is their condition in different states | knowledge – News in Hindi

लॉकडाउन 2 की घोषणा के बाद फैली अफवाह पर मुंबई (Mumbai) के एक रेलवे स्टेशन पर दूसरे राज्यों से आए हजारों मजदूरों की भीड़ इकट्ठी हो गई थी. इसी दौरान गुजरात (Gujarat) के सूरत में कपड़ा मिलों में काम करने वाले सैकड़ों मजदूरों ने अपने-अपने राज्यों में भेजे जाने की मांग शुरू कर दी थी. घर लौटने के क्रम में मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के कुछ मजदूर पैदल भुसावल की ओर लौट रहे थे. बृहस्पतिवार की रात वे ट्रेन की पटरियों पर ही सो गए. आज सुबह वहां से गुजरी मालगाड़ी ने उन्हें रौंद दिया, जिसमें 17 मजदूरों की मौत हो गई. इससे पहले भी कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जहां लोगों ने घर पहुंचने से पहले ही दुनिया को अलविदा कह दिया. वहीं, लोगों के सामानों के ट्रकों, टैंकरों और एंबुलेंस में छुपकर अपने घरों को लौटते समय पकड़े जाने की कई खबरें सामने आ चुकी हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि ये प्रवासी मजदूर घर लौटने को बेताव क्यों हैं.
अलग-अलग राज्यों में हैं 4 करोड़ से ज्यादा प्रवासी मजदूर
प्रवासी मजदूरों के घर लौटने की कोशिशों की इन तमाम घटनाओं से सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि दूसरों राज्यों में उनका हाल क्या है. लॉकडाउन के कारण एक तो वो अपने घरों से दूर दूसरे राज्यों में फंसे हैं. वहीं, दूसरी ओर उनके पास ना तो रोजगार (Employment) बचा है और ना ही खर्चे के लिए पैसा. एक अनुमान के मुताबिक, देश के अलग-अलग राज्यों में प्रवासी मजदूरों की संख्या 4 करोड़ से ज्यादा है. इनमें कुछ लोग ड्राइवर का काम करते हैं तो कुछ कंस्ट्रक्शन साइट्स पर दिहाड़ी मजदूरी (Daily Workers) करके अपने और अपने परिवार का पेट भरते हैं. कुछ प्रवासी श्रमिक ऐसे भी हैं तो कहीं मजदूरी या नौकरी करने के बजाय फुटपाथ या छोटे-छोटे बाजारों में सामान, सब्जी या दूसरी चीजें बेचते हैं.

शहरों में खाने-पीने की किल्ललत, रोजगार छिन जाने और पैसे खत्म होने के कारण ज्यादातर प्रवासी मजदूर घर लौटने को बेताव हैं.
अव्यवस्था के कारण शहरों में रुकना हो रहा था मुश्किल
शेल्टर होम, फ़ुटपाथ और फ्लाइओवर्स के नीचे रहने वाले प्रवासी मजदूरों की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है. हाल में दिल्ली के यमुना ब्रिज के नीचे रह रहे सैकड़ों मजदूरों की तस्वीरें वायरल हुई थीं. ऐसे मजदूर इसी आस में बैठै थे कि लॉकडाउन में राहत मिले और वे अपने घरों को रवाना हो जाएं. शेल्टर होम्स में भी व्यवस्था ठीक नहीं होने के कारण उनका बड़े शहरों में रुक पाना काफी मुश्किल हो रहा है. पुलिस-प्रशासन भी तमाम कोशिशों के बावजूद हर व्यक्ति को जरूरी चीजें मुहैया नहीं करा पा रही है. वहीं, कुछ प्रवासी मजदूरों को अपने खेतों में खड़ी फसलों की चिंता सता रही है. वे चाहते हैं कि जल्द से जल्द घर वापस लौट जाएं और अपनी फसल बचा लें, क्योंकि अब उनके पास नौकरी तो है नहीं. सरकार ने सिर्फ उन कंस्ट्रक्शन साइट्स पर ही काम शुरू करने की इजाजत दी है, जहां मजदूरों के रहने की व्यवस्था पहले से ही है. ऐसे में रोज साइट्स पर पहुंचने वाले मजदूरों का काम पूरी तरह से छिन गया है. वे भुखमरी के कगार पर पहुंच गए. ऐसे में उनके सामने घर लौटना ही एकमात्र विकल्प बचा था, जिसके लिए वे अपनी जान की परवाह भी नहीं कर रहे हैं.
राज्यों ने तेज की अपने लोगों को वापस लाने की कोशिश
केंद्र सरकार (Central Government) अब लॉकडाउन की वजह से दूसरे राज्यों में फंसे लोगों को घर वापस पहुंचाने के लिए विशेष ट्रेनें (Special trains) चलवा रही है. इन ट्रेनों से हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर अपने घर लौट रहे हैं. इससे पहले उत्तराखंड के हरिद्वार में फंसे पर्यटकों को दो बसों से निकाला गया था. इसके बाद उत्तर प्रदेश (UP) सरकार ने राजस्थान के कोटा में फंसे अपने राज्य के 2,500 छात्रों को बसों के जरिये वापस बुलाया था. फिर यूपी के सीएम योगी आदित्यानाथ (Yogi Adityanath) ने तमाम राज्यों में फंसे करीब 10 लाख लोगों को अपने-अपने घर पहुंचाने का ऐलान किया. इसके बाद कई राज्यों ने अपने प्रदेश के प्रवासी मजदूरों, छात्रों और पर्यटकों को वापस लाने की कवायद शुरू कर दी. फिर रेल मंत्रालय ने विशेष ट्रेनों से लोगों को वापस लाने का ऐलान किया. अब पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा है कि वो अपने लोगों को एकसाथ वापस ना लाकर चरणबद्ध तरीके से लाएगी.

हजारों प्रवासी मजदूरों ने लॉकडाउन-1 की घोषणा के बाद पैदल ही अपने परिवार को लेकर घर वापसी शुरू कर दी थी.
मजदूर वापसी के लिए करा रहे हैं ऑनलाइन पंजीकरण
छत्तीसगढ़ सरकार का अनुमान है कि राज्य के करीब एक लाख से ज्यादा श्रमिक कई राज्यों में हैं. अकेले जम्मू-कश्मीर में ही राज्य के 15 हजार से ज्यादा मजदूर फंसे हैं. राज्य सरकार सभी श्रमिकों का डाटा तैयार कर रही है. इसके लिए ऑनलाइन पंजीकरण हो रहा है. साथ ही राज्य सरकार ने कुछ हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं. वहीं, मजदूरों के लिए सभी राज्यों के नोडल अधिकारी भी बनाए गए हैं. छत्तीसगढ़ सरकार भी राजस्थान के कोटा में रहने वाले अपने 2,000 से ज्यादा छात्रों को बसों के जरिये वापस ले आई है. ओडिशा के पांच लाख से ज्यादा श्रमिक अलग-अलग राज्यों में फंसे हैं. इनमें ज्यादातर ने वापसी के लिए पंजीकरण करा लिया है. राजस्थान सरकार के ऑनलाइन पोर्टल पर करीब 15 लाख लोगों ने राज्य में आने और यहां से जाने के लिए पंजीकरण किया है. राजस्थान में अभी तक दूसरे राज्यों से 1 लाख 47 हजार प्रवासी आए हैं, जबकि राजस्थान से 60 हजार प्रवासियों को उनके राज्यों में भेजा गया है. इसी तरह झारखंड से अब तक 6,000 से ज्यादा लोगों की अलग-अलग राज्यों को वापसी हो चुकी है.
स्क्रीनिंग के बाद घरों तक पहुंचाने की हो रही व्यवस्था
असम सरकार ने भी अपने राज्य के लोगों वापस लाने की कवायद शुरू कर दी है. असम सरकार के स्वास्थ्य मंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक करीब 6 लाख लोग राज्य लौटना चाहते हैं. वहीं, बिहार के लाखों प्रवासियों के लौटने का सिलसिला शुरू हो चुका है. प्रवासियों में मजदूर, कामगार और छात्र शामिल हैं. बिहार सरकार के अनुसार बाहर रहने वाले 27 लाख से ज्यादा प्रवासियों ने आपदा अनुदान राशि और राहत के लिए आवेदन किया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी गाइडलाइन के बाद फंसे हुए प्रवासियों विशेष ट्रेनों से लाया जा रहा है. स्क्रीनिंग के बाद उन्हें बसों के जरिए उनके घर तक पहुंचाने की तैयारी है. मध्य प्रदेश सरकार ने भी अपने लोगों को लाने की कोशिशें तेज कर दी हैं. सरकार के मुताबिक, अभी मघ्य प्रदेश के एक लाख से ज्यादा लोग दूसरे प्रदेशों में फंसे हैं.
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