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बिना खारून नदी के पानी के बढ़ जायेगी जनता की दिक्कत

गर्मी से पहले जल आवर्धन योजना को साकार करना जरूरी

भिलाई । भिलाई-चरोदा निगम क्षेत्र के करीब लाख भर की आबादी की निगाहे जल आवर्धन योजना पर टिकी हुई है।  लोगों के मन में इस योजना के साकार होने की समयावधि को लेकर भी शंका कुशंका उभर रही है। यहां के भूजल स्तर को जीवन देने वाली भिलाई 3 का टप्पा तालाब तेजी से सूखने लगा है। इस स्थिति में गर्मी के दस्तक पडऩे से पहले जल आवर्धन योजना के तहत खारून नदी का पानी भिलाई-चरोदा की धरा में उतारना जरूरी है। इस गर्मी में खारून के पानी के बगैर जनता की दिक्कत बढ़ सकती है।

भिलाई-3 का टप्पा तालाब फरवरी महिने में ही तेजी से सूखने लगा है। पुराने थाना भवन के पीछे स्थित यह वही तालाब है जो पूर शहर के भूजल स्तर को ऊपरी सतह पर बनाये रखता है। दरअसल यह तालाब जमीन से काफी ऊंचाई पर है और इसी वजह से पूरे शहर के भूजल स्तर को इसका श्रोत जीवन प्रदान करता है। ऐसे में फरवरी माह में ही जिस तेजी के साथ टप्पा तालाब के जल स्तर में गिरावट आ रही है उससे आम जनता के मन में आने वाले गर्मी के मौसम में जल संकट की स्थिति गंभीर होने की आशंका उभरने लगी है।

भिलाई-चरोदा में लगभग सौ करोड़ की जल आवर्धन योजना का कार्य  प्रगति पर है। इस योजना को अमलेश्वर के पास खारून नदी पर इंटकवेल व सम्पवेल बनाकर साकार किया जाना है। बावजूद इसके आने वाली गर्मी से पहले खारून का पानी भिलाई-चरोदा आ पायेगा या नहीं, इस पर संशय बरकरार है। अगर इस गर्मी से पहले जल आवर्धन योजना धरातल पर साकार नहीं हुई तो जल संकट की स्थिति भयावह हो जाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा रहा है।

दरअसल भिलाई-चरोदा निगम क्षेत्र में मौजूदा जलापूर्ति व्यवस्था पूरी तरह से भूजल श्रोत पर निर्भर है। समय के साथ आबादी बढऩे से जलापूर्ति की यह व्यवस्था चरमराने लगी है। खासकर गर्मी का प्रकोप तेज होते ही भूजल स्तर में गिरावट के साथ जलापूर्ति वाले निजी व सार्वजनिक नल और नलकूप जवाब देने लगते हैं। नहरों से पानी छोडक़र तालाबों को भरने के बाद भूजल स्तर में होने वाला इजाफा कुछ दिन जलापूर्ति में राहत जरूर प्रदान करता है। लेकिन चिंता इस बात की है कि फरवरी माह में ही सबसे अहम टप्पा तालाब  सूखने लगा है, और नहर से तालाबों का भरने 15 अप्रैल के बाद ही ज्यादातर पानी छोड़़ा जाता है। ऐसे में किसी कारणवश जल आवर्धन योजना के साकार होने में विलंब होता है तो भिलाई-चरोदा की जनता को इस बार भीषण जल संकट का सामना करना पड़ सकता है।

शेष है सम्पवेल व फिल्टर प्लांट का काम

बताते हैं कि भिलाई-चरोदा जल आवर्धन योजना में सम्पवेल व फिल्टर प्लांट का कार्य अभी भी अधूरा है। खारून नदी पर अमलेश्वर के पास सम्पवेल का निर्माण कराया जा रहा है। वहीं बीएमवाय उरला में फिल्टर प्लांट निर्माणाधीन है। इन दोनों महत्वपूर्ण निर्माण कार्य में हो रही लेटलतीफी के चलते जल आवर्धन योजना मूर्तरूप नहीं ले पा रही है।  जबकि निगम के पूरे 40 वार्डों में योजना के तहत पाइप लाइन बिछाने के साथ ही सिरसाकला के मुख्य सहित अन्य सहायक टंकियों से जोड़ऩे का कार्य लगभग पूरा हो चुकै है। अलग- अलग स्तर पर पाइप लाइन की टेस्टिंग भी हो चुकी है। लेकिन सम्पवेल व फिल्टर प्लांट का काम शेष रहने से योजना के शीघ्र साकार होने को लेकर प्रश्नचिन्ह बना हुआ है।

दिसम्बर 2017 में हो जाना था पूरा

भिलाई-चरोदा जल आवर्धन योजना का पूरा काम नगर निगम के माध्यम से हो रहा है। इस काम को दिसम्बर 2017 में पूरा कर लेने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। लेकिन मुख्य पाइप लाइन को रेलवे पटरी व फोरलेन सडक़ के नीचे से ले जाने के लिए अनुमति मिलने में लंबा समय लगने से योजना का पूरा होने का लक्ष्य  भटक गया। इसके बाद जून 2018 तक काम पूरा करने का लक्ष्य भी असफल रहने पर दिसम्बर 2018 का नया लक्ष्य तय किया था। अब निगम की कोशिश है कि इस गर्मी से पहले ही खारून नदी के पानी से जलापूर्ति शुरू हो जाए।

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