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बिना प्रस्ताव, टेंडर और वर्कऑर्डर के सीएमओ हॉउस में हो रहा है नाली निर्माण व मरम्मत कार्य 

बिना प्रस्ताव, टेंडर और वर्कऑर्डर के सीएमओ हॉउस में हो रहा है नाली निर्माण व मरम्मत कार्य 

डोंगरगढ़- एक तरफ पूरा देश कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से जूझ रहा है लोगो को दो वक्त की रोटी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही हैं पार्षदों ने अपनी निधि के पैसे गरीब जरूरतमन्दो को सहायता पहुंचाने में खर्च कर दी वहीं दूसरी तरफ धर्मनगरी के नाम से विख्यात डोंगरगढ़ में नगर पालिका के अधिकारी कर्मचारी धर्म के मार्ग को छोड़कर अधर्म के मार्ग पर चल रहे हैं। आपातकाल जैसी स्थिति में भी भ्रष्टाचार करने का कोई अवसर नहीं छोड़ रहे हैं। जिसका एक प्रमाण हाल ही में देखने को

मिला।
दरअसल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मामला यह है कि कोरोना संकट काल के दौरान अपनी जेबें गरम् करने के लिए नगर पालिका के अधिकारी व इंजीनियर इतने बेताब हैं कि किसी भी काम का प्रस्ताव टेंडर व वर्क ऑर्डर निकलने का भी इंतजार इनसे नहीं हो पा रहा है और कमीशन खाने के चक्कर में बिना किसी प्रस्ताव के ही निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया गया है।

 

कार्य प्रारंभ से पूर्व होता है प्रस्ताव- सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार 50 हजार से ऊपर की राशि वाले निर्माण कार्यों का प्रस्ताव बनाकर पीआईसी व परिषद में रखना होता है, जब दोनों सदन में यह पारित होता है तब जाकर इसकी टेंडर निविदा निकाली जाती है जिसके बाद वर्कआर्डर जारी कर ठेकेदार को कार्य प्रारंभ करने की अनुमति दी जाती है लेकिन यहाँ पर ऐसा कुछ भी नही हुआ। ठेकेदार, इंजीनियर और सीएमओ की मिलीभगत से सभी नियमों को दरकिनार करते हुए बिना प्रस्ताव के ही नाली निर्माण व मरम्मत कार्य प्रारंभ कर दिया गया। जब से कोरोना काल लगा है तब से पीआईसी व परिषद की एक भी बैठक नही हुई है तो फिर इस नाली व मरम्मत कार्य का प्रस्ताव कब हुआ यह समझ से परे है।

क्यों पड़ी नाली की जरूरत- अब प्रश्न यह उठता है कि कोरोना जैसी महामारी के दौरान जहाँ एक ओर लोगो को अपनी जान की पड़ी हुई है तो दूसरी ओर मुख्य नगर पालिका अधिकारी निवास में नाली व मरम्मत कार्य की जरूरत क्यों पड़ी तो आपको बताते चलें कि दो माह पूर्व नवपदस्थ मुख्य नगर पालिका अधिकारी हेमशंकर देशलहरा डोंगरगढ़ में पदस्थ हुए हैं। यह अपने परिवार के साथ सीएमओ हॉउस में शिफ्ट हुए जो कि सीएमओ हॉउस है ही नहीं। सूत्र बताते हैं कि यह अतिथि गृह है जिसका निर्माण लोक निर्माण विभाग द्वारा लगभग 1992 में किया गया था। इस अतिथि गृह का निर्माण वीआईपी के ठहरने के लिए किया गया था और सीएमओ क्वाटर का निर्माण ओव्हरब्रिज के नीचे किया गया है जहां पर प्रारंभ से सीएमओ रहते आये हैं लेकिन बीते कुछ समय से सीएमओ व इंजीनियर इस अतिथि गृह का उपयोग सीएमओ हॉउस के रूप में कर रहे है। इसी कड़ी में वर्तमान सीएमओ हेमशंकर देशलहरा भी सीएमओ क्वाटर को छोड़कर परिवार सहित अतिथि गृह में शिफ्ट हो गए। शिफ्ट हो गए वहां तक तो ठीक है लेकिन आते ही अतिथि गृह में अपने मन मुताबिक मरम्मत कार्य ऐसे करवा रहे हैं जैसे यह उनका खुद का घर हो और अब यहाँ से वे वापस ही नहीं जायेंगे। सूत्रों की माने तो सीएमओ ने यहाँ पर हर रूम में एसी लगवाई है साथ ही मरम्मत कार्य करवाया है जो 50 हजार की तो नहीं आती इसका भी कोई प्रस्ताव पारित नहीं किया गया।
चहेते ठेकेदार कर रहे ठेकेदारी- वर्तमान नगर पालिका चुनाव में कांग्रेस के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के साथ पालिका मे कांग्रेस पार्टी का कब्जा हुआ और नये अध्यक्ष के साथ कुछ नये ठेकेदारों का भी पालिका प्रवेश हुआ जो रोजाना जनप्रतिनिधि के दफ्तर में पाये जाते हैं, चूंकि वो अध्यक्ष के चहेते है इसलिए पालिका से जुड़े अधिकतर निर्माण कार्य उनके हाथों ही संपन्न कराये जा रहे हैं। इसलिए सीएमओ हॉउस यानी अतिथि गृह में बनने वाली नाली निर्माण व मरम्मत कार्य का ठेका भी श्याम अग्रवाल को मिला। इसके अलावा भी कुछ मरम्मत कार्य श्याम अग्रवाल से संपन्न कराये जा रहे हैं। एक तरफ नगर पालिका में फंड नहीं होने की बात कही जाती है दूसरी तरफ केवल अधिकारी को खुश करने के लिए 2 लाख 54 हजार रुपये की नाली, लाखो रुपये के मरम्मत कार्य व लाखों रुपये की एसी लगवाना कहाँ तक उचित है यह तो आप भलीभांति समझ सकते हैं यदि इन्ही पैसो से जनता के हित में कोई कार्य करवाया जाता तो नगरवासियों का भला होता।। बीते दो माह पूर्व इसी सीएमओ के द्वारा एक इंजीनियर को सेनेटाइजर खरीदी मामले में भ्रष्टाचार करने के आरोप में दोषी बताते हुए कार्यवाही करवाई थी और उक्त इंजीनियर को सस्पेंड कर दिया गया था वहीं मुख्य दोषी सीएमओ पूजा पिल्ले को पदोन्नति देते हुए जोन कमिश्नर बनाया गया तो अब देखना यह है कि स्वंम को दूध का धुला कहने वाले सीएमओ व इंजीनियर पर क्या कार्यवाही होती है या फिर राजनीति की चादर में इनके काले कारनामों को ढक दिया जाता है। इसके पूर्व भी इंजीनियर विजय मेहरा के द्वारा अध्यक्ष निधि के कई कार्य बिना किसी टेंडर व वर्कआर्डर प्रारंभ कर दिये गए थे जिसे मीडिया में आने के बाद बंद करवा दिया गया था। उसके बाद भी विजय मेहरा द्वारा सबक ना लेते हुए पुनः उसी तरह की गलती को दोहराया गया और सीएमओ हॉउस में बन रही नाली निर्माण का कार्य प्रारंभ कर दिया गया। इसी तरह और भी कई कार्य बिना किसी प्रस्ताव व टेंडर के कोरोना काल में कराये जा रहे हैं जिनकी यदि सूक्ष्मता से जांच की जाये तो बड़े खुलासे हो सकते हैं।

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