मिस्त्र के राजा तूतेनखामेन का ताबूत क्यों कहलाता है शापित egypt mummy tutankhamun curse | knowledge – News in Hindi
कौन थे ये राजा
साल 1922 में अंग्रेज पुरातत्वविद होवार्ड कार्टर (Howard Carter) और उनके सहयोगी लॉर्ड कार्नरवन (Lord Carnarvon) ने इजिप्ट के लक्जर (Luxor) शहर में राजा तूतेनखामेन का मकबरा खोज निकाला था. इतिहासकारों के अनुसार वो प्रचीन मिस्त्र के 18वें राजवंश के 11वें राजा थे. ताबूत खोलने पर बिल्कुल साबुत और बेहद कीमती आभूषणों से भरा हुआ था. माना गया कि मौत के वक्त राजा की उम्र 17 साल से अधिक नहीं रही होगी. उनकी मौत की सही वजह कोई बता नहीं सका.
माना गया कि मौत के वक्त राजा की उम्र 17 साल से अधिक नहीं रही होगी
कैसी रही होगी दफनाने की प्रक्रिया
मिस्त्र, रोम और ग्रीस में राजाओं और राजसी खानदान या बड़े पदों पर काम करने वालों की मौत पर उन्हें सामान्य लकड़ी के ताबूत में नहीं दफनाया जाता था, बल्कि लकड़ी के ताबूत को भी एक डिब्बे में बंद किया जाता था. पत्थर से बना यही डिब्बा सार्कोफेगस कहलाता है. पत्थर का ये ताबूत जमीन से कुछ ऊपर रखा जाता था. मिस्त्र में इसकी शुरुआत 2686 BCE (Before Common Era) की मानी जाती है.
माना जाता था कि मौत के बाद दूसरे संसार में व्यक्ति साबुत पहुंचे, इसके लिए सार्कोफेगस जरूरी है. लकड़ी पर नक्काशी के साथ ताबूत के भीतर कीमती रत्न और गहने भी रखे जाते थे, साथ ही मृतक का नाम खुदवाया जाता था ताकि मरने के बाद उसे कोई मुश्किल न हो. साथ ही साथ सार्कोफेगस लकड़ी के चौकोर ताबूत से अलग मृतक के शरीर के बनावट और कद के आधार पर बने होते थे. पुर्नजन्म पर यकीन करने वाली मिस्त्र की सभयता में मरने वाले के शरीर पर खास लेप किया जाता और फिर उसे दफनाया जाता, जिससे शरीर खराब न हो.
ताबूत की खुदाई पर पैसे लगाने वाले तमाम लोग एक के बाद एक मरते चले गए
इधर एक बड़े राजा के मकबरे की खोज के बाद जल्दी ही दोनों खोजकर्ता सुर्खियों में आ गए. एक तरफ इंटरव्यू चलते रहे तो दूसरी ओर मरे हुए राजा के शाप का असर शुरू होने लगा. लॉर्ड कार्नरवन को शेविंग के दौरान एक मच्छर ने काट लिया, जिससे वे जख्मी हो गए और तेज बुखार में अनाप-शनाप बड़बड़ाते हुए 2 ही दिनों में उनकी मौत हो गई. राजा के शरीर पर कथित तौर पर एक्सरे करने वाले रेडियोलॉजिस्ट Sir Archibald Douglas Reid की एकाएक बिना किसी वजह मौत हो गई. एक शोधकर्ता आर्सनिक पॉइजनिंग से मारा गया. इनमें से एक Prince Ali Kamel Fahmy भी थे, जिन्हें उसी साल उनकी पत्नी ने गोली मार दी. विजिट करने वालों में से एक सूडान के गर्वनर जनरल Sir Lee Stack को 1924 में उनके विरोधियों ने मार दिया.
यहां तक कि ताबूत की खुदाई पर पैसे लगाने वाले तमाम लोग एक के बाद एक मरते चले गए. खुदाई के एक दशक के भीतर ही 26 में से सिर्फ 6 लोग बाकी रहे.
आज भी राजा तूतेनखामेन के ताबूत को लेकर रहस्य बना हुआ है कि आखिर उसे खोलने वाले बेमौत क्यों मरे
जल्द ही माना जाने लगा कि राजा तूतेनखामेन का ताबूत शापित है और उसे छूने या किसी भी तरह की छेड़खानी करने वाली की बदकिस्मती आ जाती है. भूतपूर्व Egyptologist (इजिप्ट पर अध्ययन करने वाले) डॉमिनिक मॉन्टसेरट ने द इंडिपेंडेंट अखबार से एक इंटरव्यू में ममी के अभिशप्त होने और रहस्यमयी मौतों के बारे में खुलकर बात की. ममी के शापित होने पर कई किताबें भी लिखी गईं, जिनमें एक किताब Lost in a Pyramid; or, The Mummy’s Curse खासी चर्चित रही.
वैसे एक बड़ा तबका मानता है कि शापित होना जैसी कोई बात नहीं है, बल्कि अचानक हुई मौतों की वजह ताबूतों के भीतर जमा जहरीली गैस या पैथोजन रहे होंगे. हजारों सालों तक जमीन में बंद रहने के दौरान ताबूत और मृत शरीर दोनों में ही खतरनाक पैथोजन यानी वायरस या बैक्टीरिया पैदा हो जाते हैं और इन्हें खोलना बीमार कर सकता है. ममी पर लैब स्टडी भी हुई. इसमें देखा गया कि ताबूतों के भीतर कई तरह के जानलेवा फंगस पैदा हो जाते हैं, जैसे Aspergillus niger. ये इतने घातक होते हैं कि इनसे सांस लेने में रुकावट और फेफड़ों में खून जमना जैसी दिक्कतें आ सकती हैं.
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