कौन है वो फ्रोजन लेडी जो -22 डिग्री तापमान में भी जिंदा रही medical mystery about frozen lady in america | knowledge – News in Hindi
दिसंबर 1980 की घटना है, जब 19 साल की जीन दोस्तों से मिलकर मिनेसोटा के अपने घर लौट रही थीं. ड्राइव करती जीन की गाड़ी बर्फ में फंसने लगी, तब उन्होंने गाड़ी सड़क किनारे लगा दी और पैदल ही निकल पड़ीं. 2 मील दूर उनकी एक दोस्त का घर था. लिहाजा जीन ने तय किया कि बर्फीली आंधी वाली रात कोई खतरा न लेकर दोस्त के घर रह लिया जाए. आंधी-तूफान में संभल-संभलकर चलती जीन काफी देर बाद दोस्त के घर के करीब पहुंचते हुए बेहोश हो गईं और सारी रात वहीं पड़ी रहीं.
सुबह जब दोस्त के घर का दरवाजा खुला तो कुछ मीटर दूर पर बर्फ से ढंकी कोई चीज दिखी. बर्फ हटाने पर भीतर बेहोश जीन थी. आंखें खुली हुई थीं और सारा शरीर लकड़ी की तरह अकड़ा हुआ. दोस्त ने मान लिया कि वो मर चुकी है. इसके बाद भी जीन को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने देखते हुए उसे मुर्दा घोषित कर दिया. जोर देने पर जांच शुरू हुई तो डॉक्टर भी हैरत में आ गए. जीन जिंदा थीं और उनका दिल 1 मिनट में 12 बार धड़का भी था. इसके बाद शुरू हुई इलाज की प्रक्रिया.
जीन हिलियर्ड (Jean Hilliard) नाम की अमेरिकन युवती -22 डिग्री सेल्सियस तापमान पर 6 घंटे से ज्यादा पड़ी रही
बर्फ में पड़े रहने के कारण जीन की त्वचा इतनी सख्त हो चुकी थी कि गर्मी देने पर भी वो नर्म नहीं पड़ रही थी, इससे इंजेक्शन देना मुश्किल हो रहा था. कई इंजेक्शन टूटने के बाद आखिरकार जीन के शरीर के एक हिस्से में सुई जा सकी. थर्मामीटर में शरीर का तापमान नहीं आ रहा था. और आंखें रोशनी घटाने या एकदम तेज रोशनी चेहरे पर डालने पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रही थीं. मेडिकल स्टाफ ने जीन को मरा हुआ मान लिया लेकिन तब भी परिवार को देखते हुए उसे इलाज देने की कोशिश की गई. जीन का शरीर हीटिंग पैड से ढंक दिया गया और उन्हें 40 दिनों तक ऐसे ही ICU में रखा गया.
जीन के इलाज में लगे Dr. George Sather याद करते हैं कि उन सबने उसे मरा हुआ मान लिया था लेकिन कई घंटे बाद उसकी धड़कन सुनाई दी, जो 1 मिनट में 12 बार थी. इसके बाद समझ आया कि वो जिंदा है. हालांकि पूरे इलाज के दौरान हम मानते रहे कि जी जाने के बाद भी उसका मस्तिष्क काम नहीं कर पाएगा और न ही वो मूवमेंट कर सकेगी. लेकिन कई रोज बाद होश में आई जीन का मस्तिष्क और शरीर ठीक से काम कर रहा था.
कई रोज बाद होश में आई जीन का मस्तिष्क और शरीर ठीक से काम कर रहा था
जीन जिस तरह बर्फ की मूर्ति में बदल चुकी थी, वैसे में डॉक्टरों को भी लग रहा था कि जीन के जिंदा होने की उम्मीद तो बिल्कुल भी नहीं होगी. उसके शरीर का तापमान लेना भी लगभग मुश्किल था, क्योंकि उसका पूरा शरीर अकड़ चुका था. न तो बांहें उठाई जा सकती थीं और ना ही उसका मुंह ही खोला जा सकता था. वैसे आमतौर पर इंसान का दिल एक मिनट में 60 से 100 बार धड़कता है, लेकिन बर्फ में जमे होने की वजह से जीन की धड़कन एक मिनट में महज 12 बार ही धड़क रही थी. जीन को ऐसी हालत में जिसने भी देखा, उसने कहा कि इसे तो बस भगवान ही बचा सकते हैं. डॉक्टरों को भी ऐसा लग रहा था कि अगर किसी तरह जीन को बचा भी लिया गया तो उसका दिमाग काम नहीं करेगा और वो अपने शरीर को हिला भी नहीं पाएगी.
हालांकि डॉक्टरों ने उम्मीद नहीं छोड़ी. उन्होंने जीन को एक इलेक्ट्रिक कंबल में लपेटा, ताकि उसके शरीर का तापमान सामान्य किया जा सके और बर्फ को पिघलाया जा सके. इस प्रक्रिया में करीब एक घंटे लगे, लेकिन उसके बाद जो हुआ, उसे देखकर डॉक्टरों को भी यकीन नहीं हो रहा था. जीन के शरीर में हरकत हो रही थी. जांच के दौरान पाया गया कि उसके शरीर को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचा था. हालांकि फिर भी एहतियातन जीन को करीब 40 दिन तक आईसीयू में रखा गया और उसके बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. यह घटना आज भी डॉक्टरों के लिए किसी रहस्य से कम नहीं है कि बर्फ में रहकर कैसे कोई जिंदा रह सकता है?
1980 की घटना है, जब 19 साल की जीन दोस्तों से मिलकर मिनेसोटा के अपने घर लौट रही थीं
जीन को उसके बाद से मेडिकल मिरेकल घोषित कर दिया गया जो सालों बाद मेडिकल मिस्ट्री में बदल गया. अब भी डॉक्टर नहीं समझ सके हैं कि जीन जीवित और सामान्य कैसे रह सकीं. वैसे जीन अकेली नहीं, अमेरिका के ही पेनसिल्वेनिया से एक और मामला आया था. यहां Justin Smith नाम के 25 साल के युवक का तापमान बर्फ में रहने की वजह से 68 डिग्री चला गया था. 2 हफ्ते कोमा में रहने के बाद युवक जिंदा बच गया और दिमाग तक ऑक्सीजन की आपूर्ति न होने के बाद भी वो सही-सलामत था.
क्या होता माइनस तापमान में जाने से
शून्य से नीचे के तापमान में जाने के लिए खास तरह के कपड़े होते हैं जो शरीर को गर्मी देते हैं. जैसे-जैसे तापमान कम होता है, कपड़ों का फैब्रिक भी बदलता जाता है. साथ ही चूंकि इस तापमान में सांस तक पहुंचने वाली हवा जम जाती है इसलिए श्वसन के लिए मास्क भी लगाया जाता है. बचाव न होने पर व्यक्ति हाइपोथर्मिया का शिकार हो जाता है. ये वो स्थिति है, जिसमें शरीर का तापमान 95 डिग्री फैरनहाइट से कम हो जाता है. ये सीधे मस्तिष्क पर असर करता है और तुरंत इलाज न मिलने पर जान चली जाती है.
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