देश दुनिया

Lockdown: पटना में शीर चाय की चुस्की के बिना फीका पड़ रहा 2020 का रमजान|lockdown Ramadan 2020 faded without a sip of sheer tea in Patna bihar nodtg | patna – News in Hindi

Lockdown: पटना में शीर चाय की चुस्की के बिना फीका पड़ रहा 2020 का रमजान

पटना में शीर चाय की चुस्की के बिना फीका पड़ रहा 2020 का रमजान (फाइल फोटो)

इस खास चाय की शुरुआत इसी शहर से हुई है. चुनिंदा टी स्टॉलों पर रमजान (Ramadan) के महीने में ही यह चाय मिलती है. इसे बनाने में सात से आठ घंटे लगते हैं. कश्मीरी पत्ती और ड्राईफ्रूट से बनी इस चाय से रोजेदारों को ऊर्जा मिलती है.

पटना. रमजान (Ramadan) के महीने में बिहार की राजधानी पटना (Patna) के सब्जीबाग में हर शाम की रौनक में जो चीज चार चांद लगती है, वह है शीर चाय (Sheer Tea) की चुस्की. ये चाय अपने गुलाबी रंग की वजह से जानी जाती है और इसे पीने से रोजेदारों को फुर्ती आती है. ये चाय की दुकान केवल रमजान के मौके पर, शाम के इफ्तार के मौके पर खुलती है, जिसे पीने के लिए लोग दूर-दूर से सब्जीबाग की गली में आते हैं. लेकिन इस साल कोरोना संकट के दौर में लॉकडाउन (Lockdown) के कारण यह मुमकिन नहीं है. क्योंकि कहीं भी कोई भी बेवजह बाजार में नहीं आ सकता है. ऐसे में इस बार का रमजान पटना वासियों के लिए बहुत फीका फीका सा है.

बता दें, इस खास चाय की शुरुआत इसी शहर से हुई है. चुनिंदा टी स्टॉलों पर रमजान के महीने में ही यह चाय मिलती है. इसे बनाने में सात से आठ घंटे लगते हैं. कश्मीरी पत्ती और ड्राईफ्रूट से बनी इस चाय से रोजेदारों को ऊर्जा मिलती है.

1962 में हुई थी शीर चाय की शुरुआत
1962 में पहली बार यह चाय बनी थी. अंजुमन इस्लामिया हाल के सामने वक्फ मार्केट में इसे गफ्फार उस्ताद ने बनाया था. 1972 तक सिर्फ वही इस चाय को बनाते थे. इसका शौक फरमाने वाले रोजेदार रोजा खोलने के बाद वहां जाकर इस चाय का लुत्फ उठाते थे. उनके इंतकाल के बाद उनके चार शागिर्द -मोहम्मद सदरू मियां, निजाम मियां, मोहम्मद पप्पू और मोहम्मद भोला इसे अलग-अलग जगहों पर बनाना शुरू किए. बाद में करीब 15 जगहों पर यह बनने लगी. अब पटना में शीर चाय के करीब 50 स्टॉल हो गए हैं.कैसे बनती है चाय?

सब्जीबाग स्थिति डिंगडांग शीर चाय के मोहम्मद पप्पू और मोहम्मद इमरान ने बताया कि शीर चाय बनाने के लिए कश्मीरी पत्ती को पानी में तीन घंटे तक उबाला जाता है. फिर बिना छाने इसे लस्सी की तरह एक घंटे तक फेंटते हैं. इससे चाय का रंग गुलाबी हो जाता है. फिर इसे छानकर दोबारा चूल्हे पर चढ़ाया जाता है. जब लीकर खौलने लगता है तो इसमें काजू, कागजी बादाम, छुहारा, दालचीनी, पोस्तादाना, बड़ी इलाचयी, जाफरान, अखरोट का पेस्ट और दूध डाला जाता है. इसे तीन घंटे तक और पकाया जाता है. गाढ़ापन आने के बाद इसमें चीनी डालते हैं, और अंत में केवड़ा एसेंस (शत) डाला जाता है. इस तरह इसे बनाने में छह से सात घंटे का समय लगता है. इमरान ने बताया कि यह चाय रोजेदारों को बहुत ऊर्जा देती है.

ये भी पढ़ें: COVID-19: लॉकडाउन में बाल नहीं काटने पर नाई की हत्या, 7 आरोपितों पर हत्या का केस दर्ज

News18 Hindi पर सबसे पहले Hindi News पढ़ने के लिए हमें यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें. देखिए पटना से जुड़ी लेटेस्ट खबरें.


First published: May 5, 2020, 7:34 PM IST



Source link

Related Articles

Back to top button