लॉकडाउन में मनोचिकित्सकों के पास इस तरह की आ रही हैं शिकायतें – During the lockdown many depression symptoms complaints are coming to psychiatrists nodrss | health – News in Hindi
मनोवैज्ञानिक और मनोचिकित्सकों का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान लोग तरह-तरह के बीमारी की शिकायत कर रहे हैं.
मनोचिकिस्तकों (Psychiatrists) के मुताबिक लॉकडाउन (Lockdown) और क्वारंटाइन (Quarantine) होने की वजह से लोगों की मानसिक स्थिति पहले की तुलना में कुछ बिगड़ने लगी है. लोग अब एंग्जायटी डिसआर्डर, डिप्रेशन को लेकर मनोचिकित्सक और मनोवैज्ञानिक से संपर्क कर रहे हैं.
लॉकडाउन के दौरान लोगों को डिप्रेशन कर रहा है परेशान
चिकिस्तकों के मुताबिक लॉकडाउन और क्वारंटाइन होने की वजह से असुरक्षा की भावना से ग्रसित कुछ लोगों की मानसिक स्थिति पहले की तुलना में कुछ बिगड़ने लगी है. लोग एंग्जायटी डिसआर्डर, डिप्रेशन को लेकर मनोचिकित्सक और मनोवैज्ञानिक से संपर्क कर रहे हैं. इसको लेकर डॉक्टरों का मानना है कि डिप्रेशन कई तरह के होते हैं. लॉकडाउन के दौरान भी डिप्रेशन हो रहे हैं और लॉकडाउन से पहले भी डिप्रेशन होते थे, लेकिन इस समय अनिश्चितता. जॉब जाने का डर और फाइनेंसियल लॉस से संबंधित मामले ज्यादा आने लगे हैं.
मानसिक अवसाद से घिरे लोग फेसबुक और सोशल साइट्स पर मैसेज कर मदद की गुहार लगा रहे हैं. (सांकेतिक तस्वीर)
लॉकडाउन के दौरान लोगों में घबराहट बढ़ गई है
मनोचिकित्सकों के मुताबिक, पहले ये मैन फैक्टर नहीं थे. पहले उदासीपन, लोगों से बात नहीं करना, सुसाइडल टेंडेसी आना, खाना कम खाना, होपलेसनेस जैसी बीमारी के मरीज ज्यादा आते थे, लेकिन अब आपको घर में रहना है तो आप नहीं चाहते हुए भी अपने बच्चे से बात करेंगे. आपके बच्चे आपके सामने खेल रहे हैं तो वह आपको उदास होने नहीं देंगे. इस तरह की मरीज अब न के बराबर आ रहे हैं, लेकिन अब लॉकडाउन के दौरान लोगों में घबराहट बढ़ गई है. नींद में बहुत दिक्कत होने लगी है. कई तरह की असुरक्षा का भावना मन में बस गया है.
ज्यादातर लोगों को वित्तीय असुरक्षा का भय सता रहा है
ऐसे में मानसिक अवसाद से घिरे लोग फेसबुक और सोशल साइट्स पर मैसेज कर मदद की गुहार लगा रहे हैं. मनोविज्ञान को जानने वाले विशाल कहते हैं, ‘ऐसी कोई भी स्थिति जिसमें आप पर बंदिशें लगाई जाती हैं, तो वह मन को विचलित करती है और हताशा लाती है. आप जो करना चाहते हैं वो कर नहीं सकते और मतभेदों के बीच आप जीवन जी रहे होते हैं. प्रतिबंधों के आदेशों से उत्पन्न हालात का लोगों की मन की स्थिति पर गंभीर असर पड़ता है. घरों में बंद रहने को मजबूर लोगों में किसी को कोरोना वायरस के संक्रमण का डर, किसी को नौकरी जाने की चिंता तो किसी को अन्य वित्तीय असुरक्षा का बोझ सता रहा है. जब आप सामाज से जुड़े शब्दों को परिभाषित करते हैं तो इस स्थिति में साथियों से या परिवार से मिलना भी चाहते हैं, बात करना चाहते हैं. साथ ही चाहते हैं कि वे एक दूसरे को देखें, लेकिन यदि आप पर ये सब करने से रोक लग जाए और करने को कुछ भी नहीं हो तो इस प्रकार का डर सताने लगता है.’
सोने में किसी तरह की कोई दिक्कत न हो इसका विशेष ख्याल रखना होगा. (सांकेतिक चित्र)
क्या कहते हैं मनोचिकित्सक
पूर्वी दिल्ली के पटपड़गंज मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (Max Super Speciality Hospital) के मनोचिकित्सक डॉ राजेश कुमार कहते हैं, ‘लॉकडाउन के दौरान लोगों को कई बातों का ध्यान रखना जरूरी हो गया है. सोने में किसी तरह की कोई दिक्कत न हो इसका विशेष ख्याल रखना होगा. खाने में संतुलित आहार लेना होगा. लोग पानी ज्यादा से ज्यादा पीएं, जिससे आपकी इम्यूनिटी पावर बढ़ेगी. खाने में विटामिन की मात्रा अधिक हो इसका विशेष ख्याल रखें. जो व्यक्ति डॉक्टरों के सलाह पर दवा ले रहे हैं वह डेली चार्ट बना कर डॉक्टर की सलाह को मानें. जिन व्यक्तियों को डांस, गाना, खेल, पैंटिंग्स और टीवी देखने में रुचि रखते हैं वह अपने आपको इसमें व्यस्त रखें. इससे उनको खुशी महसूस होगी. जो छात्र हैं वह रोज अपने आपको एकेडमिक काम में व्यस्त रखें.’
लोगों को अपने आपको व्यस्त रखना होगा
राजेश कुमार आगे कहते हैं, ‘लॉकडाउन के दौरान लोग अपने मां-बाप, दोस्तों के साथ जुड़े रहे हैं. सोशल डिस्टेंसिंग को मैंटेन रखते हुए अपने परिवार के साथ कनेक्ट रहें. आध्यात्म के साथ आपने आपको जोड़े रखने के लिए घर पर ही पूजा-पाठ में लगे रहें. अपने आपको स्वस्थ्य रखने के लिए घर में ही योगा और व्यायाम करें. इससे आपको नींद अच्छी आएगी. सोने के चार घंटे पहले तक स्ट्रेस से रिलेटेड एक्सरसाइज न करें. रोज डायरी लिखने का प्रयास करें. जिनसे आप मानसिक तौर पर स्वस्थ्य रहेंगे और हमेशा खुश रहने की कोशिश करेंगे.’
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First published: May 5, 2020, 9:48 PM IST