छत्तीसगढ़

राज्य में अविलंब पूर्ण शराब बंदी करने हेतु।

 

विषय- राज्य में अविलंब पूर्ण शराब बंदी करने हेतु।

,डी एन योगी एडीटर इन चीफ कबीर क्रांति,कवर्धा

सबका संदेस न्यूज़ छत्तीसगढ़-

लॉक डाउन की वर्तमान परिस्थिति में देश व राज्य के करोड़ों मजदूरों का रोजगार खत्म हो गया है चाहे वह औद्योगिक मजदूर हो, अनियमित ठेका मजदूर हो, कृषि मजदूर, छोटा मोटा व्यवसाय करने वाले या रिक्शा ठेला गाड़ी चलाने वाले हो। किसानों की स्थिति भी बहुत खराब है। पहले मौसम ने फसलों को बर्बाद किया, फिर लॉकडाउन में फसलें खेत में ही रह गई। किसान बर्बादी के कगार पर आ गए हैं।
ऐसी गंभीर परिस्थिति के मद्देनजर इन्हें जीने के लिए आर्थिक मदद एवं अन्य सुविधाएं दी जानी चाहिए थी, भोजन, आश्रय, चिकित्सा व अन्य सुविधाएं युद्ध स्तर पर उपलब्ध करवाई जानी चाहिए थी, मनरेगा को प्रत्येक गांव में खोलकर उसमें कार्य दिवस एवं मजदूरों की संख्या को दोगुना करना चाहिए था।
ऐसा करना तो दूर किंतु सरकार ने पूरे राज्य में शराब दुकान खोल दी है। जबकि यह सर्वविदित एवं प्रमाणित है कि शराब के कारण राज्य की आम जनता परेशान हैं, परिवार बर्बाद हो रहे हैं, अपराध बढ़ रहे हैं, महिलाओं पर अपराध एवं बलात्कार भी बढ़ रहे हैं, शराब ने छत्तीसगढ़ के जनजीवन को तबाह कर दिया है और दुखद पहलू यह भी है कि अब महिलाओं ने भी पीना शुरू कर दिया है। हम और कितना सामाजिक पतन देखना चाहते हैं? क्या हम यह इसलिए अनदेखा कर रहे हैं क्योंकि यह पतन गरीब जनता का हो रहा है?
इस लॉकडाउन की स्थिति में रोजगार विहीन आम जनता अपना सब कुछ शराब में डूबो देगी, उनके घर के बर्तन, संपत्ति, मकान, जेवर और जमीन बिक जाएगी। और खरीदेगा कौन? खरीदेंगे मुट्ठी भर सेठ, साहूकार और अमीर।
केंद्र सरकार ने बड़े पूंजीपतियों का कर्जा माफ किया, अन्य सभी पूंजीपतियों को भी सरकार ने आर्थिक मदद व पैकेज देने का ऐलान किया है लेकिन आम जनता के लिए सरकार ने शराब का उपहार दिया है!!
इस लॉक डाउन की स्थिति में शराब के बंद होने के कारण मुत्यु व तमाम तरह के अपराधों में भारी कमी आई थी और आम जनता में हर्ष का माहौल था। लेकिन अब यह गमगीन माहौल में तब्दील होने वाला है। आम जनता की बर्बादी के आधार पर अगर सरकार चलाने की आवश्यकता पड़ रही है तो बेहतर है कि सरकार चलाना बंद कर दिया जाए या फिर राज्य में पूर्ण शराबबंदी की जाए। वैसे भी चुनाव के पहले आपने पूर्ण शराबबंदी का वादा किया था।
कुछ लोग सोचते हैं कि शराब के जरिए सरकार की जो आय होती है वह बहुत महत्वपूर्ण है। उनसे हमारा निवेदन है कि वे जाकर जांच लें कि आखिर शराब से कितनी आय होती है और यह राज्य की आय का कितना प्रतिशत है। राज्य की आम जनता जितने की शराब खरीदती है यदि उतना रुपया अगर बाजार में प्रचालित होता है तो क्या उस से भारी मात्रा में टैक्स उत्पन्न नहीं होता? क्या वह सरकार के खजाने में नहीं जाता? क्या इतनी सी बात सरकार नहीं समझ पा रही है?
सरकार से हमारा निवेदन है कि सरकारी खजाने के एक छोटे से अंश की पूर्ति के लिए राज्य की 99% आम जनता की जिंदगी से खिलवाड़ ना किया जाए, उन्हें मौत के मुंह में ना ढकेला जाए, उन्हें व उनके परिवार को बर्बाद होने से रोका जाए। एक ओर सरकारें जनता को कोरोना मौतों से बचाने की बात कर रही है वहीं दूसरी ओर असंख्य परिवारों की बर्बादी की नीति लेना कहां तक उचित है।
पुनः हमारा निवेदन है की समाज की रक्षा करें, समाज को बर्बादी से बचाएं, अपना वादा पूरा करें और पूर्ण शराबबंदी लागू करें।
महोदय जी धन्यवाद

 

 

 

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